अनोपचंद तिलोकचंद प्राइवेट लिमिटेड (AT Pvt. Ltd. के चेयरमैन तिलोकचंद बरड़िया का सलाहकार संपादक संदीप अखिल से खास चर्चा-
Business Leader : रायपुर का सदर बाजार, जो शहर की आर्थिक और सांस्कृतिक पहचान माना जाता है, वर्षों से आभूषणों की जगमगाहट और ग्राहकों की भीड़ का प्रतीक रहा है। इसी बाजार की शान है – अनोपचंद तिलोकचंद प्राइवेट लिमिटेड जो सिर्फ एक ज्वेलरी ब्रांड नहीं बल्कि रायपुर की परंपरा, विश्वास और प्रतिष्ठा का दूसरा नाम बन चुका है. इस गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं AT Pvt. Ltd. के चेयरमैन तिलोकचंद बरड़िया.

एक विचार से बनी पहचान
साल 1957 में रथ दूज के दिन एक छोटे से कमरे से शुरू हुआ यह व्यवसाय आज पूरे प्रदेश में प्रतिष्ठा का प्रतीक है। इसके संस्थापक स्वर्गीय जसराज बरड़िया ने ईमानदारी, सादगी और पारदर्शिता को व्यापार का मूलमंत्र बनाया। उनके तीनों पुत्र – तिलोकचंद, शांति और अशोक बरड़िया – ने उसी परंपरा को आगे बढ़ाया। तिलोकचंद बरड़िया बताते हैं, “हमारी दुकान की नींव जो आज दिखाई नहीं देती, वह हमारे पिताजी की ईमानदारी और दूरदृष्टि है।” उनका मानना है कि किसी भी व्यवसाय की असली पूंजी विश्वास होती है। ग्राहक को वही मिले जिसकी जानकारी दी गई है, यही अनोपचंद तिलोकचंद की पहचान है।
नवाचार और नूतनता की मिसाल
बरड़िया परिवार ने हमेशा समय से आगे सोचने की परंपरा निभाई। चांदी का प्रतिशत निकालने की पद्धति सबसे पहले इसी परिवार ने अपनाई। जब बाजार में सिर्फ 22 और 24 कैरेट सोना चलता था, तब AT Pvt. Ltd. ने 23 कैरेट सोना पेश कर नई दिशा दी। यह पहल पूरे देश में लोकप्रिय हो गई। यही नहीं, MMTC के माध्यम से विदेशों से सोना मंगाने की शुरुआत करने वाली छत्तीसगढ़ की पहली यूनिट भी यही थी। आगे चलकर “अनूप एक्सपोर्ट” के नाम से दुबई तक आभूषणों का निर्यात शुरू हुआ, जिससे रायपुर का नाम अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचा।

आधुनिक सोच और विस्तार की यात्रा
समय के साथ कदम मिलाते हुए कंपनी ने मुंबई में अत्याधुनिक फैक्ट्री स्थापित की, जहां प्रशिक्षित कारीगर आधुनिक डिज़ाइनों पर काम करते हैं। रायपुर से आगे बढ़ते हुए अहमदाबाद शाखा खोली गई और अब देश के अन्य बड़े शहरों में विस्तार की योजना पर काम चल रहा है।
ग्राहकों के लिए अनोखा अनुभव
अनोपचंद तिलोकचंद ज्वेलर्स में ग्राहकों की पसंद और सुविधा के अनुसार चार विशिष्ट फ्लोर बनाए गए हैं – सोनाली फ्लोर – सोने के आभूषणों के लिए। रुपाली फ्लोर – चांदी और चांदी निर्मित आभूषणों के लिए। दामिनी फ्लोर – शादी-ब्याह से जुड़ी विशेष ज्वेलरी के लिए और त्रिवेणी फ्लोर – हीरे, नवरत्न और उपरत्नों के लिए जहां हीरा, माणिक, नीलम, पन्ना, पुखराज, गोमेद जैसे नवरत्नों के साथ जामुनी, टोपाज और मूनस्टार जैसे दुर्लभ उपरत्न भी उपलब्ध हैं।
परंपरा और प्रगति का संगम
साल 1957 के छोटे व्यवसाय से शुरू हुआ यह प्रतिष्ठान आज 8–10 गुना विस्तार पा चुका है। बदलते फैशन ट्रेंड्स और तकनीक के साथ खुद को ढालते हुए भी यह परिवार अपनी परंपराओं और मूल्यों से जुड़ा रहा है। यही वजह है की कोतवाली चौक सदर बाजार का नाम आते ही सबसे पहले अनोपचंद तिलोकचंद ज्वेलर्स का नाम याद आता है।

सामाजिक सरोकार में अग्रणी
तिलोकचंद बरड़िया सिर्फ व्यापारी नहीं, बल्कि समाजसेवी भी हैं। वे कहते हैं, “जब समाज आगे बढ़ेगा, तभी हमारा विकास सार्थक होगा।” बरड़िया परिवार ने रायपुर के डी.के. अस्पताल में प्याऊ की व्यवस्था की है, जो वर्षों से प्यासों को राहत देता है। इसके अलावा दादाबाड़ी और नगपुरा तीर्थों में अतिथि गृह बनवाए गए हैं। धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में परिवार की सक्रिय भागीदारी रहती है। रोटरी क्लब जैसी संस्थाओं द्वारा कई बार इन्हें सम्मानित किया जा चुका है।
स्वर्गीय जसराज बरड़िया : दूरदर्शिता और विश्वास की विरासत
अनोपचंद तिलोकचंद प्राइवेट लिमिटेड की नींव रखने वाले स्वर्गीय जसराज बरड़िया जी उस दौर में भी आधुनिक दृष्टिकोण रखते थे, जब व्यवसाय पूरी तरह परंपरागत था। वे मानते थे – “व्यवसाय की असली पूंजी विश्वास होती है।” उनकी सच्चाई और समर्पण ने इस प्रतिष्ठान को मजबूती दी, और यही उनकी सबसे बड़ी विरासत बनी। आज अनोपचंद तिलोकचंद ज्वेलर्स सिर्फ एक ज्वेलरी शोरूम नहीं, बल्कि रायपुर की पहचान है – एक ऐसी जगह, जहां परंपरा, विश्वास और आधुनिकता का संगम देखने को मिलता है। तिलोकचंद बरड़िया और उनका परिवार अपने पिता की दी हुई ईमानदारी और पारदर्शिता की सीख पर चलते हुए हर ग्राहक को सिर्फ आभूषण नहीं, बल्कि विश्वास का मूल्य भी देते हैं। निर्विवादित रूप से कहा जा सकता है – “सदर बाजार कोतवाली चौक की विशेष पहचान का दूसरा नाम – अनोपचंद तिलोकचंद ज्वेलर्स.
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