वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने व्याख्याता के पद पर पदोन्नति के लिए राज्य शासन द्वारा तय कैडर व मापदंडों को सही ठहराते हुए शिक्षक की याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद ई संवर्ग के 1378 व्याख्याताओं को प्राचार्य के पद पर पदाेन्नति का रास्ता साफ हो गया है। बता दें कि याचिका पर सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने 5 अगस्त 2025 को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

बता दें कि 30 अप्रैल को प्राचार्य पदोन्नित की सूची जारी की गई थी। इसके तहत छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के ई संवर्ग एवं टी संवर्ग के 2,925 प्राचार्य के पदों पर स्कूल शिक्षा एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के व्याख्याता नियमित, व्याख्याता एलबी तथा प्रधान पाठक माध्यमिक विद्यालय को पदोन्नति देकर प्राचार्य बनाया था।

प्राचार्य पदोन्नति को लेकर हाईकोर्ट में कई याचिकाएं लगी है। एक मामला 2019 से जुड़ा हुआ है, जबकि दूसरा प्रकरण 2025 और बीएड-डीएलएड से जुड़ा है। 28 मार्च 2025 को जब हाईकोर्ट की पिछली सुनवाई हुई थी तो राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को आश्वस्त किया गया था कि अगली सुनवाई तक प्राचार्य पदोन्नित का आदेश जारी नहीं किया जाएगा। कोर्ट का आश्वस्त करने के बाद भी 30 अप्रैल को पदोन्नति सूची जारी कर दी गई। अगले दिन एक मई को हाईकोर्ट ने इस पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। जस्टिस रविंद्र कुमार ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है। इससे पहले इन्टरविनर अधिवक्ता अनूप मजूमदार ने पक्ष रखा था। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में प्राचार्य पदोन्नति को लेकर हाईकोर्ट ने अहम फैसले में राज्य सरकार के बनाए गए नियमों और मापदंडों को पूरी तरह वैध माना है।

नारायण प्रकाश तिवारी ने याचिका दायर कर प्राचार्य पद पर 65% की बजाय 100% पद ई संवर्ग को देने की मांग की थी। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि प्राचार्य पदोन्नति के लिए बनाए गए नियमों को लेकर डिवीजन बेंच में पहले ही विस्तार से सुनवाई हो चुकी है। 9 जून से 17 जून तक चली सुनवाई में सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए सरकार के नियमों को वैध करार दिया गया। कोर्ट ने 30 अप्रैल को जारी प्राचार्य की सूची पर लगी रोक को हटाते हुए इसे बहाल कर दिया है। डिवीजन बेंच ने प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए 65% ‘ई संवर्ग, 25% लोकल बॉडी संवर्ग और 10% सीधी भर्ती का कोटा मान्य बताया है।

याचिकाकर्ता नारायण प्रकाश तिवारी की याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल ने 5 अगस्त 2025 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। छत्तीसगढ़ में प्राचार्य पदोन्नति को लेकर हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने अहम फैसले में राज्य सरकार के बनाए गए नियमों और मापदंडों को पूरी तरह वैध माना है। डिवीजन बेंच ने इस संबंध में लगाई गई आधा दर्जन याचिकाओं को पहले ही खारिज कर दिया था।

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