अभय मिश्रा, मऊगंज। जिला बनने के बाद भी मध्य प्रदेश के मऊगंज की स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही। इलाज के इंतजार में एक तीन माह की मासूम ने अपनी मां की गोद में ही दम तोड़ दिया। घटना मऊगंज जिला के सिविल अस्पताल की है। जहां सुबह से तीन घंटे तक परिजन डॉक्टरों के इंतजार में भटकते रहे, लेकिन किसी ने बच्ची को देखने की जहमत तक नहीं उठाई।
इलाज नहीं, इंतजार मिला और मौत ने गेट पर रोक दी मासूम की सांसें
जानकारी के मुताबिक, ग्राम महेवा थाना नईगढ़ी निवासी मानसी यादव अपनी तीन माह की बच्ची के साथ ग्राम बामनगढ़ स्थित ननिहाल में रह रही थी। गुरुवार सुबह अचानक बच्ची की तबीयत बिगड़ने पर परिजन सुबह करीब 6 बजे मऊगंज जिला अस्पताल पहुंचे। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में न कोई डॉक्टर मौजूद था, न कोई जिम्मेदार स्वास्थ्यकर्मी। सुबह 6 बजे से 9 बजे तक वे इलाज के लिए भटकते रहे, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। करीब 9:15 बजे बच्ची के इलाज के लिए पर्ची बनाई गई और तभी वहां उपस्थित चिकित्साकर्मियों ने बच्ची को रीवा के संजय गांधी अस्पताल रेफर कर दिया। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, बच्ची ने अस्पताल के गेट पर पहुंचते ही दम तोड़ दिया।
सुबह से घूमते रहे, डॉक्टर नहीं मिला, परिजनों का फूटा दर्द
घटना के बाद अस्पताल परिसर में हंगामा मच गया। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए। एक महिला परिजन ने रोते हुए कहा कि सुबह से घूम रहे थे, कोई डॉक्टर नहीं मिला, मेरी बच्ची गेट पर ही मर गई। वहीं एक अन्य परिजन ने कहा कि तीन घंटे तक कोई नहीं आया, अगर समय पर इलाज मिलता तो बच्ची बच सकती थी।
सिविल अस्पताल या लापरवाही का गढ़ ?
यह पहली बार नहीं है जब मऊगंज अस्पताल की व्यवस्था सवालों के घेरे में आई हो। कभी मरीजों को स्ट्रेचर नहीं मिलता तो कभी एक्स-रे फिल्म की रिपोर्ट मोबाइल पर दी जाती है।
अब एक मासूम की मौत ने यह साबित कर दिया है कि यहां डॉक्टरों से ज्यादा भरोसा किस्मत पर है। अस्पताल के प्रबंधन से जब इस मामले पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो किसी अधिकारी ने बयान देना उचित नहीं समझा। वहीं इस पूरे मामले पर डिप्टी कलेक्टर पवन गुरैया, जिनके पास स्वास्थ्य विभाग की निगरानी की जिम्मेदारी है, उन्होंने कहा कि हम बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं, लेकिन जांच की जा रही है।
कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश, बोले- तथ्य सामने आने पर होगी वैधानिक कार्रवाई
सूत्रों के अनुसार, मऊगंज सिविल अस्पताल की ओपीडी का निर्धारित समय सुबह 9:00 बजे है, लेकिन 9:15 बजे बच्ची के उपचार के लिए लिए पर्ची बनवाने के बाद उसे रीवा रेफर कर दिया गया। इस दौरान अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों और स्टाफ की निष्क्रियता पर अब सवाल उठने लगे हैं। इस मामले पर मऊगंज कलेक्टर संजय जैन ने कहा कि जांच के आदेश दिए गए हैं। जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
मऊगंज की सच्चाई- नाम जिला, सिस्टम तालुका स्तर का
मऊगंज के लोग आज यह सवाल पूछ रहे हैं कि जब जिले का दर्जा मिल गया, तो सुविधाएं कब मिलेंगी ? हर दिन एक नई मौत, हर दिन नई लापरवाही। मऊगंज सिविल अस्पताल आज एक ‘जिला’ नहीं, बल्कि सिस्टम की संवेदनहीनता का प्रतीक बन चुका है।
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