दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) पिछले दो-तीन दिनों से GPS स्पूफिंग की समस्या से जूझ रहा है। इसके चलते दिल्ली आने वाली कई फ्लाइट्स को जयपुर डायवर्ट करना पड़ा और एयर इंडिया की कुछ फ्लाइट्स में 1 घंटे से अधिक की देरी हुई। GPS स्पूफिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें सैटेलाइट नेविगेशन सिग्नल को मैनुपुलेट किया जा सकता है। इस वजह से एयर ट्रैफिक कंट्रोल और पायलटों को विमान की असली स्थिति का सही अंदाजा नहीं हो पाता, जिससे उड़ानों की सुरक्षा पर असर पड़ता है।
हालांकि यह पहला मामला नहीं है। पिछले महीने मिडल ईस्ट में वियाना से दिल्ली आने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट को दुबई डायवर्ट करना पड़ा। जांच में पता चला कि ऐसा करप्ट सिग्नल (GPS Spoofing) की वजह से हुआ। इस दौरान विमान का ऑटोपायलट, ऑटोथ्रस्ट, फ्लाइट डायरेक्ट और ऑटोलैंड सिस्टम फेल हो गए। पायलट को फ्लाइट को मैनुअली उड़ाना पड़ा और दुबई में सुरक्षित लैंडिंग करनी पड़ी।
IGI एयरपोर्ट पर, पूर्वी हवाओं के चलते विमान आम तौर पर द्वारका की तरफ लैंडिंग और वसंत कुंज की तरफ टेकऑफ करते हैं, लेकिन GPS स्पूफिंग से यह प्रक्रिया प्रभावित हुई। अधिकारियों ने कहा कि एयरपोर्ट पर बैकअप नेविगेशन सिस्टम और पायलटों के प्रशिक्षण के कारण सभी विमानों को सुरक्षित तरीके से डायवर्सन और लैंडिंग सुनिश्चित किया गया।
दिल्ली एयरपोर्ट पर ATC सिस्टम में तकनीकी खराबी, 100 से अधिक उड़ानें प्रभावित
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI) पर मंगलवार को एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) सिस्टम में आई तकनीकी खराबी के चलते उड़ानों के संचालन में व्यापक बाधा उत्पन्न हुई। ATC सिस्टम में गड़बड़ी आने के बाद हवाई अड्डे पर आने और जाने वाली कई उड़ानों में देरी दर्ज की गई।
सूत्रों के अनुसार, ATC में सॉफ्टवेयर से जुड़ी तकनीकी समस्या सामने आई, जिसकी वजह से उड़ान संचालन की प्रक्रिया धीमी पड़ गई। इस कारण कम से कम 100 उड़ानें निर्धारित समय से लेट हो गईं। कई एयरलाइनों, विशेषकर स्पाइसजेट, इंडिगो और एयर इंडिया की उड़ानों पर इसका असर पड़ा है।
दिल्ली एयरपोर्ट की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया “एयर ट्रैफिक कंट्रोल प्रणाली में तकनीकी दिक्कत की वजह से IGI एयरपोर्ट पर उड़ान संचालन प्रभावित हो रहा है। समस्या के समाधान के लिए DIAL और सभी संबंधित टीमें मिलकर काम कर रही हैं।” उड़ानों में देरी के चलते यात्रियों को हवाई अड्डे पर लंबे इंतजार और शेड्यूल में बदलाव जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कई यात्रियों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी और परेशानी साझा की।
एयरपोर्ट प्रबंधन ने यात्रियों से हुई असुविधा पर खेद जताते हुए सलाह दी है. यात्री अपनी उड़ान से संबंधित ताज़ा अपडेट, एयरलाइंस की आधिकारिक वेबसाइट, ऐप या कस्टमर केयर पर चेक करें, आवश्यक होने पर यात्रा समय में बदलाव की योजना बनाएं. ATC टीम द्वारा तकनीकी समस्या का समाधान किए जाने का काम जारी है।
विमानों का ‘नकली नेविगेशन’ दुश्मन है GPS Spoofing
साल की शुरुआत में एयरपोर्ट की मुख्य रनवे 10/28 को अपग्रेड करने के लिए बंद किया गया। पुराना इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) हटाया गया ताकि इसे कैटेगरी III बनाया जा सके, जो घने कोहरे में भी दोनों तरफ से लैंडिंग की इजाजत देता है। अब पायलट ‘रेक्वायर्ड नेविगेशन परफॉर्मेंस’ (RNP) पर निर्भर हैं, जो GPS के बिना काम नहीं कर सकता। जैसे ही GPS स्पूफिंग शुरू होती है, IGIA से लगभग 60 नॉटिकल माइल दूर सिग्नल गड़बड़ हो जाते हैं, जिससे मुख्य रनवे पर उड़ानों का संचालन प्रभावित होता है।
क्या है GPS Spoofing?
दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) मंगलवार को GPS स्पूफिंग की वजह से प्रभावित हुआ। इस तकनीक के चलते एयरपोर्ट पर कंजेशन दिखाई दिया, जिससे कई फ्लाइट्स की लैंडिंग में देरी हुई और कुछ को जयपुर एयरपोर्ट पर डायवर्ट करना पड़ा। GPS स्पूफिंग एक तरह की हैकिंग है, जिसमें सैटेलाइट नेविगेशन सिग्नल को मैनिपुलेट किया जाता है। इसके कारण पायलट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल को विमान की वास्तविक स्थिति का सही अंदाजा नहीं होता, जिससे उड़ानों की सुरक्षा पर असर पड़ता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, पहले GPS स्पूफिंग के मामले ज्यादातर इंटरनेशनल रूट पर देखने को मिलते थे, लेकिन अब भारत में ऑपरेट होने वाले फ्लाइट्स भी इसकी जद में आ गई हैं। ग्लोबल एयरलाइंस ऑपरेशन पिछले कुछ सालों से इसकी वजह से प्रभावित हो रहे हैं, जिससे यह सुरक्षा के लिए बड़ा मुद्दा बन गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार शाम दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (IGI) एयरपोर्ट पर कंजेशन देखा गया। एयरपोर्ट के आसपास हवाओं के डायरेक्शन में अचानक बदलाव के कारण कई इनकमिंग फ्लाइट्स को जयपुर डायवर्ट करना पड़ा, जबकि दिल्ली एयरपोर्ट के सभी चारों रनवे उस समय पूरी तरह ऑपरेशनल थे।
फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट Flightradar24 के अनुसार, IGI एयरपोर्ट नाइट ऑपरेशन प्रभावित होने के मामले में दुनिया में काठमांडु के बाद दूसरे नंबर पर है। इस दौरान कई Air India और IndiGo की फ्लाइट्स डायवर्ट हुईं। एक सीनियर पायलट ने बताया कि आगमन (Arrivals) के लिए ज्यादातर एयरक्राफ्ट GPS बेस्ड एरिया नेविगेशन (RNAV) का पालन करती हैं। GPS स्पूफिंग की स्थिति में एयरक्राफ्ट की नेविगेशन क्षमता घट जाती है, जिसके कारण एयर ट्रैफिक कंट्रोल को विमानों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखने के लिए मैनुअली मेनटेन करना पड़ता है।
ट्रैफिक पीक पर डायवर्जन का झटका
एयरपोर्ट के सभी चारों रनवे पूरी तरह ऑपरेशनल होने के बावजूद हवाओं के डायरेक्शन में अचानक बदलाव के कारण कई इनकमिंग फ्लाइट्स को जयपुर डायवर्ट करना पड़ा। एयरपोर्ट पर रोजाना लगभग 1,550 विमान उड़ान भरते हैं। मंगलवार रात IndiGo के 5 और Air India के 2 विमान जयपुर डायवर्ट किए गए। इस वजह से हजारों यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ा।
GPS सिस्टम की दो मुख्य चुनौतियाँ
एयरलाइंस के अधिकारियों के अनुसार, GPS को दो प्रमुख तकनीकी ख़तरों का सामना करना पड़ता है:
GPS जामिंग
आमतौर पर युद्ध क्षेत्रों में सैन्य उपयोग के दौरान किया जाता है।
इसका उद्देश्य दुश्मन की लोकेशन ट्रैकिंग को निष्क्रिय करना होता है।
GPS स्पूफिंग
इसमें फर्जी GPS सिग्नल भेजे जाते हैं, जिससे विमान के सिस्टम को गलत लोकेशन का संकेत मिलता है।
अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के अनुसार, हाल के वर्षों में यह गतिविधि मध्य पूर्व, तुर्की, यूक्रेन और अन्य संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में देखी गई है।
कुछ मामलों में विमान को वास्तविक स्थिति से हजारों किलोमीटर दूर दिखाने तक की घटनाएँ दर्ज की गई हैं।
कैसे काम करता है GPS स्पूफिंग?
GPS Spoofिंग में हैकर्स जमीन से फर्जी GPS सिग्नल भेजते हैं, जो विमान के कोकपिट में लगे GPS रिसीवर को भ्रमित कर देते हैं। इस वजह से रियल सैटेलाइट डेटा में कंजेशन दिखाई देता है और विमान को अपनी सही पोजीशन की पहचान नहीं हो पाती। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई विमान लखनऊ के ऊपर उड़ रहा हो, तो स्पूफिंग की स्थिति में कोकपिट स्क्रीन में पटना का लोकेशन सिग्नल दिख सकता है। यानी विमान की पोजीशन कुछ ही सेकंड में लगभग 300-335 किलोमीटर तक गलत दिशा में ‘शिफ्ट’ दिखाई देने लगती है, जो उड़ान संचालन के दौरान गंभीर खतरा पैदा कर सकती है।
2024 में रिकॉर्ड तोड़ केस, 62% की वृद्धि
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में GPS सिग्नल जैमिंग और स्पूफिंग के 4.3 लाख मामले दर्ज किए गए, जो 2023 की तुलना में 62% अधिक हैं। विशेषज्ञ इसे वैश्विक नागरिक उड्डयन सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती मान रहे हैं। अब तक यह समस्या ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय मार्गों और संघर्ष क्षेत्रों में देखने को मिलती थी, लेकिन अब भारत में ऑपरेट होने वाले व्यावसायिक विमानों पर इसका प्रभाव दर्ज होना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चिंता बन गया है।
नए ILS सिस्टम पर तेजी से काम जारी
दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) रनवे 10/28 पर नए इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) को चालू करने में तेजी से जुटा हुआ है। हाल ही में इंडिगो ने इस नए सिस्टम पर ट्रायल फ्लाइट संचालित की और इसकी रिपोर्ट नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को सौंप दी है। सूत्रों के अनुसार, नए ILS के पूरा सक्रिय होने की संभावित तारीख 27 नवंबर बताई जा रही है, लेकिन मौजूदा मौसम और बढ़ते उड़ान दबाव को देखते हुए इसे समय से पहले लागू करने की जरूरत महसूस की जा रही है।
नए ILS सिस्टम के चालू होने के बाद:
रनवे के दोनों सिरों से लैंडिंग की सुविधा मिल सकेगी
घने कोहरे में भी विमानों की लैंडिंग सुचारू तरीके से हो सकेगी
GPS आधारित नेविगेशन पर निर्भरता कम होगी
और GPS स्पूफिंग जैसी घटनाओं का प्रभाव घटेगा
एविएशन विशेषज्ञों का कहना है कि नए ILS के एक्टिव होने से सर्दियों में दिल्ली एयरपोर्ट पर फ्लाइट कैंसलेशन और डायवर्जन की स्थिति में उल्लेखनीय कमी आएगी।
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