Stock Market Crash: 7 नवंबर की सुबह निवेशकों के लिए चौंकाने वाली रही. शुरुआती बढ़त के बाद बाजार में गिरावट हावी हो गई. सेंसेक्स −272.84 (0.33%) अंकों की गिरावट के साथ 83,038.17 के स्तर पर फिसल गया, जबकि निफ्टी −73.95 (0.29%) अंक लुढ़ककर 25,435.75 के आसपास कारोबार कर रहा है. शुरुआती सत्र में ही निवेशकों के अरबों रुपये डूब गए.
सेंसेक्स के 30 में से 19 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई. बैंकिंग, ऑटो और IT सेक्टर के शेयरों में बिकवाली का दबाव सबसे अधिक रहा. मार्केट एनालिस्ट्स के अनुसार, ग्लोबल ट्रेंड और FII सेलिंग प्रेशर के कारण घरेलू बाजार कमजोर रुख में है. वहीं, ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म Groww के IPO में निवेश का आज आखिरी दिन होने से भी निवेशकों में सतर्कता देखी गई.
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विदेशी बाजारों में भी मायूसी
एशियाई बाजारों में आज भारी गिरावट देखने को मिली. जापान का Nikkei Index 2.16% गिरकर 49,783 पर बंद हुआ. वहीं कोरिया का Kospi 2.49% टूटकर 3,926 पर पहुंच गया.
हॉन्गकॉन्ग का Hang Seng इंडेक्स 1.11% गिरकर 26,190 पर और चीन का Shanghai Composite 0.16% फिसलकर 4,001 के स्तर पर आ गया.
अमेरिकी बाजार भी सोमवार को लाल निशान में बंद हुए. Dow Jones 0.84%, Nasdaq Composite 1.90% और S&P 500 1.12% की गिरावट के साथ बंद हुए. इससे वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है.
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FII और DII के आंकड़े बताते हैं बाजार की चाल
6 नवंबर को Foreign Institutional Investors (FII) ने ₹3,605 करोड़ के शेयर बेचे, जबकि Domestic Institutional Investors (DII) ने ₹4,814 करोड़ की खरीदारी की.
अक्टूबर में जहां विदेशी निवेशकों ने ₹14,610 करोड़ का निवेश किया था, वहीं सितंबर में उन्होंने ₹35,301 करोड़ के शेयरों की बिकवाली की थी. इसके उलट घरेलू निवेशक लगातार बाजार को संभाल रहे हैं और अब तक ₹65,343 करोड़ से अधिक की खरीदारी कर चुके हैं.
लगातार दूसरे दिन गिरावट, निवेशकों में चिंता (Stock Market Crash)
6 नवंबर को भी सेंसेक्स 148 अंक गिरकर 83,311 पर और निफ्टी 88 अंक टूटकर 25,509 पर बंद हुआ था. लगातार दो दिनों से बाजार में बिकवाली का दौर चल रहा है. मेटल और मीडिया सेक्टर पर सबसे ज्यादा दबाव है, जबकि ऑटो और IT शेयरों में हल्की खरीदारी देखी गई थी.
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर विदेशी निवेशकों की निकासी जारी रहती है, तो आने वाले सत्रों में सेंसेक्स 82,000 के नीचे भी जा सकता है.
शेयर बाजार की यह गिरावट केवल आंकड़ों की कहानी नहीं, बल्कि निवेशकों की बदलती मनोदशा का संकेत है. विदेशी निवेशकों की बिकवाली, वैश्विक आर्थिक दबाव और घरेलू राजनीतिक अनिश्चितता, इन तीनों ने मिलकर बाजार के रुख को कमजोर बना दिया है. अब निगाहें RBI की अगली नीति बैठक और अमेरिकी ब्याज दरों के रुख पर हैं, जो बाजार की अगली दिशा तय करेंगे.
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