सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक आदेश जारी करते हुए कहा कि अब किसी भी नागरिक की गिरफ्तारी से पहले पुलिस, ED, CBI या कोई भी जांच एजेंसी आरोपी को लिखित रूप से गिरफ्तारी का कारण बताएगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि गिरफ्तारी मनमाने ढंग से नहीं हो सकती, बल्कि उसके पीछे ठोस, स्पष्ट और कानूनी आधार होना जरूरी है। अदालत ने कहा कि गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति को यह जानने का संवैधानिक अधिकार है कि उसे किस मामले में और किस धारा के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है। इसके साथ ही एजेंसी को गिरफ्तारी के समय लिखित नोटिस/गिरफ्तारी मेमो देना अनिवार्य होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पुलिस, ईडी, सीबीआई सहित सभी जांच एजेंसियों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले या गिरफ्तार करने के तुरंत बाद, उसे उसकी समझ में आने वाली भाषा में लिखित रूप से गिरफ्तारी का कारण बताना अनिवार्य होगा। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि यदि गिरफ्तारी की वजह आरोपी को उसकी भाषा में लिखित रूप से नहीं बताई गई, तो ऐसी गिरफ्तारी और उसके बाद की रिमांड दोनों को अवैध माना जाएगा।
बता दें कि यह फैसला जुलाई 2024 में मुंबई में हुए बहुचर्चित बीएमडब्ल्यू हिट-एंड-रन केस से जुड़े ‘मिहिर राजेश शाह बनाम महाराष्ट्र सरकार’ मामले की सुनवाई के दौरान दिया गया। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी से पहले या तुरंत बाद उसकी समझ में आने वाली भाषा में लिखित रूप से गिरफ्तारी का कारण बताना आवश्यक है।
इस फैसले में न्यायमूर्ति मसीह ने 52 पन्नों का विस्तृत निर्णय लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी देना केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता की मौलिक सुरक्षा है।अदालत ने यह भी कहा कि गिरफ्तार व्यक्ति को कारणों की जानकारी ‘यथाशीघ्र’ दी जानी चाहिए, ताकि आरोपी को अपने अधिकारों और कानूनी स्थिति का स्पष्ट ज्ञान हो सके।
अदालत ने अपने फैसले में निम्न प्रमुख बिंदु निर्धारित किए हैं
गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार बताना संविधान का आदेश है, और यह किसी भी परिस्थिति में टाला नहीं जा सकता।
गिरफ्तारी का कारण लिखित रूप में दिया जाना अनिवार्य होगा, और वह भाषा वही होनी चाहिए जिसे आरोपी समझ सके।
यदि गिरफ्तारी के समय अधिकारी तत्काल लिखित कारण देने में असमर्थ हो,
तो पहले मौखिक रूप से कारण बताए जाएं, और
बाद में लिखित नोटिस, रिमांड के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किए जाने से कम से कम दो घंटे पहले, आरोपी को सौंपा जाना चाहिए।
यदि गिरफ्तारी के कारण लिखित रूप में नहीं बताए गए, तो
गिरफ्तारी और उसके बाद की रिमांड दोनों को अवैध माना जाएगा, और आरोपी को रिहा होने का अधिकार होगा।
देशभर में लागू होगा आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस आदेश की प्रति देश के सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, तथा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजी जाएगी। इससे सुनिश्चित होगा कि यह फैसला पूरे भारत में तुरंत प्रभाव से लागू हो।
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