अजयारविंद नामदेव, अनूपपुर। कहते हैं, मां की ममता संसार की सबसे बड़ी शक्ति है, जो न जाति देखती है, न प्रजाति। अनूपपुर जिले के राजेन्द्रग्राम के पास किरण घाटी में ऐसा ही एक दृश्य सामने आया, जिसने हर देखने वाले का दिल झकझोर दिया, यहां एक बंदरिया अपने मृत बच्चे को सीने से लगाए घंटों तक इधर-उधर घूमती रही, मानो उसे विश्वास ही न हो कि उसका लाडला अब इस दुनिया में नहीं रहा। अपने बच्चे के प्रति उसका प्रेम देख हर कोई भावुक हो गया।

मृत बच्चे को सीने से चिपकाए इधर-उधर घूमती रही

अनूपपुर जिले के राजेन्द्रग्राम पवित्र नगरी अमरकंटक छत्तीसगढ़ मार्ग किरण घाटी क्षेत्र में बंदरों की भारी तादाद रहती है। यहां से गुजरने वाले राहगीर अक्सर इन बंदरों को केले और खाने की चीजें देकर आगे बढ़ जाते हैं। लेकिन यह इलाका उस वक्त भावुकता से भर गया, जब किसी अज्ञात वाहन की ठोकर से एक नन्हे बंदर की मौत हो गई। उसकी मां उस दर्दनाक हादसे से अनजान अपने मृत बच्चे को सीने से चिपकाए कभी सड़क किनारे बैठ जाती, कभी खाने की तलाश में इधर-उधर घूमती रही।

बच्चे के मुंह तक केले का टुकड़ा ले जाकर खिलाने की कोशिश करती रही

राहगीरों दीपक मांझी लालू भैय्या ने बताया कि वह बंदरिया कभी केले का टुकड़ा खुद खाती, तो कभी अपने बच्चे के मुंह तक ले जाकर खिलाने की कोशिश करती रही। उसका यह मातृत्व भाव देखकर हर किसी की आंखें भर आईं। जिस बच्चे ने दम तोड़ दिया था, उसे भी उसने अपने से जुदा नहीं किया। वह अपने मृत बच्चे को प्यार से सहलाती, मानो उसकी सांसें फिर लौट आएंगी।

मां की ममता की अमर कहानी

इस हृदय विदारक नजारे को देखकर वहां मौजूद लोगों ने मां शब्द की असली ताकत महसूस की। कई लोगों ने इस दृश्य को अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर सोशल मीडिया पर साझा किया, जो अब तेजी से वायरल हो रहा है। लोगों का कहना है कि यह तस्वीर सिर्फ एक बंदरिया और उसके बच्चे की नहीं, बल्कि मां की ममता की उस अमर कहानी की झलक है जो इंसान हो या जानवर, हर हृदय में समान रूप से बसती है। किरण घाटी का यह मंजर अब लोगों के दिलों में हमेशा के लिए अंकित हो गया है। एक मां का अटूट प्रेम, जो मृत्यु के बाद भी अपने बच्चे से जुदा नहीं हुआ। 

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