दिल्ली की सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत ‘फूल वालों की सैर’ को आखिरकार हरी झंडी मिल गई है। उपराज्यपाल (LG) वी.के. सक्सेना(V.K Saxena) के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने इस पारंपरिक उत्सव को उसके पुराने ऐतिहासिक स्थल पर आयोजित करने की अनुमति दे दी है। कार्यक्रम के आयोजक अंजुमन-ए-सैर-ए-गुल-फरोशा को DDA की ओर से औपचारिक अनुमति पत्र भेज दिया गया है। इसके साथ ही, इस बात की पुष्टि हो गई है कि उत्सव पूर्व की तरह ही अपने पारंपरिक स्वरूप और स्थान पर आयोजित होगा।

दरअसल, इस वर्ष यह सैकड़ों साल पुराना उत्सव इसलिए अटक गया था क्योंकि नवंबर 2023 में तत्कालीन आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के वन और पर्यावरण विभाग ने दक्षिणी रिज क्षेत्र में सार्वजनिक आयोजनों पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। चूंकि ‘फूल वालों की सैर’ का मुख्य आयोजन स्थल भी इसी क्षेत्र में आता है, इसलिए डीडीए ने अनुमति देने में विलंब किया। बाद में जब मामला मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर उठा, तो उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने इस पर गंभीरता से संज्ञान लिया और अधिकारियों को तत्काल जांच और समाधान के निर्देश दिए। इसके बाद डीडीए ने आयोजन को उसके पारंपरिक स्थल पर अनुमति दे दी।

इस बार आयोजकों ने मांगी थी लिखित अनुमति

जानकारी के अनुसार, डीडीए हर वर्ष ‘फूल वालों की सैर’ के आयोजन की अनुमति देता रहा है और पूर्व में यह कार्यक्रम बिना किसी व्यवधान के संपन्न होता आया है। हालांकि इस बार आयोजकों ने नियमों के तहत लिखित अनुमति का अनुरोध किया था, जो प्रारंभिक स्तर पर लंबित रही। अंततः एलजी वी.के. सक्सेना के हस्तक्षेप और समीक्षा के बाद डीडीए ने औपचारिक अनुमति जारी की।

गंगा-जमुनी तहज़ीब की है प्रतीक

एलजी वी.के. सक्सेना स्वयं भी इस परंपरा से जुड़े रहे हैं। पिछले तीन वर्षों से वे व्यक्तिगत रूप से ख्वाजा बख्तियार काकी की दरगाह और माता योगमाया मंदिर जाकर इस सैर में शामिल होते रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली की यह सांस्कृतिक विरासत हिंदू-मुस्लिम एकता और गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक है, इसलिए इस ऐतिहासिक आयोजन को रोका जाना उचित नहीं होगा।

‘लापरवाही या उदासीन रवैया नहीं किया जाएगा बर्दाश्त’

डीडीए ने पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए इस आयोजन के लिए सशर्त अनुमति दी है। निर्देश दिए गए हैं कि कार्यक्रम के दौरान प्रकृति और दक्षिणी रिज क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को किसी भी प्रकार की क्षति न पहुंचे। वहीं, एलजी वी.के. सक्सेना ने अधिकारियों को स्पष्ट चेतावनी दी है कि जनता से जुड़े मुद्दों में लापरवाही या उदासीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि जो अधिकारी जनहित के विरुद्ध कार्य करेंगे, उनके विरुद्ध कार्रवाई तय है।

अगले वर्ष फरवरी-मार्च में किया जाएगा आयोजित

गौरतलब है कि ‘फूल वालों की सैर’ दिल्ली की एक सदियों पुरानी परंपरा है, जिसकी शुरुआत 19वीं सदी की शुरुआत में बताई जाती है। यह परंपरा हिंदू-मुस्लिम एकता और गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक मानी जाती है। इस सैर के दौरान श्रद्धालु ख्वाजा बख्तियार काकी की दरगाह और माता योगमाया मंदिर दोनों स्थानों पर फूलों की चादर और फूलों के पंखे चढ़ाकर सौहार्द और मेल-जोल का संदेश देते हैं। आयोजक संस्था ने जानकारी दी है कि अब यह कार्यक्रम आगामी वर्ष फरवरी-मार्च के बीच आयोजित किया जाएगा।

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