राज्य आंदोलनकारी कमल भंडारी के शहीद स्थल पर मुंडन कराने को लेकर करन महारा ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट साझा कर लिखा है कि ‘आज दिल बहुत भारी है. मसूरी से लौटते वक्त मन में बस एक ही सवाल घूम रहा था कि क्या हमने ये राज्य इसी दिन के लिए बनाया था? हमारे राज्य आंदोलनकारी कमल भंडारी आज शहीदों की उपेक्षा से इतने आहत हुए कि उन्होंने मुंडन कराकर शहीद स्थल, मसूरी में आमरण अनशन शुरू कर दिया. सोचिए… वो लोग जिनके संघर्ष, त्याग और बलिदान की वजह से उत्तराखंड बना, आज उन्हीं की भावनाओं का कोई मोल नहीं रह गया. शहीदों की प्रतिमाओं पर दीप तक नहीं जलाए गए इससे बड़ा अपमान क्या हो सकता है?’
करन ने लिखा कि ‘मैं खुद उस आंदोलन का हिस्सा रहा हूं. स्वर्गीय विपिन चंद्र त्रिपाठी जी के साथ जेल में दिन गुजारे हैं. हफ्तों, महीनों घर-परिवार से दूर रहा, सड़कों पर नारे लगाए, लाठियां खाईं, लेकिन उस वक्त मन में कोई दर्द नहीं था. क्योंकि एक सपना था अपने पहाड़ के लिए, अपनी मिट्टी के लिए. हम सबको यकीन था कि जब उत्तराखंड बनेगा, तो हालात बदलेंगे. गांवों में रोजगार मिलेगा, हमारे बच्चे पलायन नहीं करेंगे, बुजुर्ग अपने आंगन में मुस्कुराएंगे.’
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करन ने आगे लिखा कि ‘आज जब देखता हूं, तो मन सच में टूट जाता है. वो सपना जैसे धुंध में कहीं खो गया है. जिनके नाम पर हमने आंदोलन किए, आज उनकी याद में दीप तक नहीं जलते. कमल भंडारी जी का यह कदम हम सबके लिए आईना है कि हम अपनी जड़ों से कितना दूर हो गए हैं. भाजपा सरकार ने राज्य के शहीदों को याद रखना छोड़ दिया. उस सपने की आग को बुझाने की कोशिश की है, जो कभी हमारे सीने में जलती थी. आज मैं बस इतना ही कहना चाहता हूं कि अगर हमें सच में अपने उत्तराखंड से प्यार है, तो शहीदों के सम्मान की लौ फिर जलानी होगी. हमें फिर से उस आत्मा को जगा देना होगा जो इस राज्य की असली पहचान है. संघर्ष, आत्मसम्मान और अपनेपन की भावना.’
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