पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सम्राट चौधरी के खिलाफ दायर वह याचिका, जिसमें उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। अदालत ने इस याचिका को बिना आधार और न्यायालय का समय बर्बाद करने वाली बताते हुए साफ शब्दों में कहा कि इस तरह के मामलों से न्यायिक प्रक्रिया पर अनावश्यक बोझ डाला जा रहा है। यह याचिका हैदराबाद के एक निवासी ने दायर की थी, जिसमें सम्राट चौधरी पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपने चुनावी हलफनामों में जन्मतिथि और उम्र से संबंधित गलत जानकारी दी है। याचिका के अनुसार 1995 में एक आपराधिक मामले के दौरान उन्होंने खुद को 15 साल का नाबालिग बताया, जबकि 1999 के विधानसभा चुनाव के नामांकन पत्र में उन्होंने अपनी उम्र 25 वर्ष से अधिक दर्शाई। इसके बाद भी 2020 और 2025 के चुनावों में दाखिल किए गए हलफनामों में उम्र में अंतर पाया गया।
आयोग को जांच के निर्देश दिए जाएं
याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की थी कि सम्राट चौधरी का नामांकन रद्द किया जाए, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और निर्वाचन आयोग को जांच के निर्देश दिए जाएं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि इस तरह की याचिकाएं केवल राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से लाई जाती हैं और इनसे न्यायिक संसाधनों की बर्बादी होती है। भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए इसे सत्य और न्याय की जीत बताया। पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने अपने X (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में कहा सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय स्पष्ट करता है कि झूठ और साजिश पर आधारित राजनीति की कोई जगह नहीं है। सत्य की हमेशा जीत होती है। वहीं, राजनीतिक माहौल में इस फैसले के बाद एनडीए खेमे में उत्साह देखने को मिला। पटना में जदयू की ओर से पोस्टर अभियान चलाया गया, जिसमें लिखा गया 25 से 30, फिर से नीतीश। सोशल मीडिया पर पार्टी ने दावा किया कि बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA सरकार बनने जा रही है।
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