रायपुर। श्रमिक निर्माण कार्यकर्ता, खेतिहर मज़दूर, असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी और औद्योगिक श्रमिक ये सभी हमारे समाज के वे नाज़ुक परंतु अटल कड़ी हैं, जिनके बिना किसी भी समाज की अर्थव्यवस्था टिक नहीं सकती। छत्तीसगढ़ जैसा संसाधन-संपन्न राज्य, जहां निर्माण, खनन, खेती और औद्योगिक गतिविधियां व्यापक हैं, वहां श्रमिकों की भलाई और सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना न सिर्फ सामाजिक दायित्व है बल्कि विकास का आधार भी है। वर्ष 2025-26 के रजत जयंती (25वीं वर्षगांठ) के मौके पर छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने श्रमिक कल्याण को विशेष प्राथमिकता दी है और कई नई शुरुआत करते हुए बहुत सी वित्तीय मदद की योजनाएं शुरू की है, जिसका उद्देश्य असंगठित और कृषि-आधारित मजदूरों की आमदनी, सामाजिक सुरक्षा और जीवन-स्तर को लगातार बेहतर बनाना है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का व्यापक दृष्टिकोण और कुशल नेतृत्व
छत्तीसगढ़ की वर्तमान सरकार, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में श्रमिकों के उत्थान को शासन ने अपना एक मुख्य लक्ष्य बना लिया है मुख्यमंत्री के नेतृत्व में अब नीतियाँ सिर्फ कागज़ी घोषणाएँ नहीं रही बल्कि लाभार्थियों तक इन नीतियों का तत्काल और सीधा लाभ दिलाने बैंकों में राशि भेजी जा रही है। राज्य सरकार ने श्रमिकों के लिए व्यवस्थित पंजीकरण, इकाइयों के साथ समन्वय और विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का समेकन सुनिश्चित किया है। हाल के बड़े कार्यक्रमों में श्रमिकों के खाते में सीधे राशि का हस्तांतरण किया जा रहा है और श्रमिक सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है। सरकार के इस व्यापक कदम से लाभार्थियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

प्रमुख योजनाएं — क्या नई और क्या पहले से थी
छत्तीसगढ़ सरकार की श्रम कल्याण संबंधी कार्यक्रमों में कुछ नए बड़े कदम और कुछ पुरानी शासकीय योजनाओं में सुधार शामिल हैं। जनवरी 2025 में मुख्यमंत्री ने दीनदयाल उपाध्याय भूमि-हीन कृषि मज़दूर कल्याण योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत राज्य के लाखों भूमिहीन कृषि मजदूरों—विशेषकर आदिवासी समुदायों और पारंपरिक कर्मठ समूहों जैसे बैगा, गुनिया आदि को वार्षिक आर्थिक सहायता देने का एलान किया गया। सरकार का उद्देश्य इन कामगारों को सामाजिक सुरक्षा देकर उनकी वार्षिक आय में स्थायी योगदान कराना है। इस योजना से लाखों लाभार्थियों को प्रतिवर्ष लगभग 10,000 रु. की सहायता का प्रावधान किया गया, जिसकी शुरुआती किश्तों का वितरण किया भी जा चुका है।
इसी तरह असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की भलाई के लिये राज्य ने एक समेकित ‘अटल श्रम सशक्तिकरण’ पहल भी आरंभ की है। इसकी शुरुआत असंगठित श्रमिकों के पंजीकरण, स्व-सहायता समूहों के साथ समन्वय, स्किल ट्रेनिंग, सामाजिक सुरक्षा कवर (बीमा/पेंशन) आवास और स्वास्थ्य संबंधी लाभों पर केंद्रित है। प्रदेश सरकार ने इसे एक ‘अंब्रेला’ योजना के रूप में पेश किया ताकि विभिन्न किस्म की सहायता और योजनाएँ एक साथ बेहतर तरीके से लागू हो सकें। इससे असंगठित श्रमिक संगठित हो रहे हैं और सरकारी लाभों तक उनकी पहुँच सरल हुई है।

प्रदेश की साय सरकार ने श्रमिकों के अधिकारों और लाभों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए नियमित रूप से श्रमिक महासम्मेलन आयोजित किए हैं। सितंबर 2025 को आयोजित एक सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने 1.84 लाख पंजीकृत श्रमिकों के बैंक खातों में कुल 65.16 करोड़ रु. का प्रत्यक्ष हस्तांतरण किया। मुख्यमंत्री का यह कदम दर्शाता है कि सरकार लाभार्थियों तक नकद सहायता पहुँचाने के लिए कितनी तत्पर है। ऐसे प्रत्यक्ष हस्तांतरण से छोटे मज़दूरों के जीवन पर तात्कालिक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उनकी रोजमर्रा की आवश्यकताओं को पूरा करने, बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य उपचार में मदद मिलती है।
छत्तीसगढ़ के श्रम विभाग और श्रम कल्याण मंडल की पारंपरिक योजनाएं—जैसे निर्माण मज़दूर पुनर्वास सहायता, औद्योगिक स्वास्थ्य व सुरक्षा कार्यक्रम, कर्मचारी राज्य बीमा, तथा पंजीकृत श्रमिकों के लिए भत्ते और अनुदान—अभी भी चल रही हैं और समय-समय पर उनमें सुधार और डिजिटलीकरण किया जा रहा है ताकि लाभार्थियों को आवेदन और भुगतान में परेशानी न हो। राज्य की आधिकारिक श्रम विभाग वेबसाइट पर विभिन्न योजनाओं का ब्यौरा उपलब्ध है जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर लाभार्थी स्वयं जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

शासकीय योजनाओं के जमीनी प्रभाव से बदल रहा श्रमिकों का जीवन
छत्तीसगढ़ की साय सरकार की योजनाओं का असर धरातल पर धीरे-धीरे दिखने लगा है। प्रत्यक्ष बैंक ट्रान्सफर से मज़दूर अपने छोटे-छोटे ऋण निपटाने, बच्चों की फीस और आकस्मिक स्वास्थ्य खर्चों में मदद पा रहे हैं। इससे सूदखोरों पर निर्भरता कम हुई है और घरेलू वित्तीय स्थिति में स्थिरता आई है। भूमि-हीन कृषि मज़दूरों को दी जाने वाली सालाना सहायता से उनकी बचत और निवेश करने की क्षमता बढ़ी है—कुछ परिवारों ने इस राशि से छोटे व्यवसाय शुरू किए हैं या कृषि-सम्बन्धित छोटे उपकरण खरीदे हैं। अटल श्रम सशक्तिकरण के जरिए असंगठित श्रमिकों का पंजीकरण और पहचान बनी है, जिससे उन्हें बीमा और अन्य योजनाओं तक पहुँचना सुगम हुआ है। पंजीकरण के साथ ही सरकार उन्हें प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों में भी जोड़ रही है जिससे उनकी रोज़गार-क्षमता बढ़ रही है। श्रमिक सम्मेलनों और स्थानीय स्तर की कार्यशालाओं से श्रमिकों में आत्मविश्वास बढ़ा है। वे अब अपने अधिकारों और सरकारी योजनाओं के बारे में अधिक जागरूक हैं और स्थानीय प्रशासन से संवाद करने में अधिक सक्षम हुए हैं।
रजत जयंती वर्ष और श्रमिक कल्याण का प्रतीकात्मक और व्यावहारिक महत्व
रजत जयंती वर्ष छत्तीसगढ़ के लिए सिर्फ़ उत्सव का समय नही है बल्कि यह समग्र विकास और राज्य के पुराने लक्ष्यों का पुनर्मूल्यांकन करने का भी अवसर है। इस ऐतिहासिक वर्ष में साय सरकार का श्रमिक कल्याण को प्राथमिकता देना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संदेश देता है कि चोटी की उपलब्धियों के साथ-साथ आधारभूत श्रमिक-श्रेणियों का उत्थान भी राज्य के विकास एजेंडे का केंद्र है। रजत महोत्सव के कार्यक्रमों में विशेष श्रमिक सम्मेलनों और कल्याण पैकेजों की घोषणा ने यह स्पष्ट किया कि विकास का लाभ समावेशन (inclusion) की नीति आधारित है।
श्रमिक कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों का निदान
सरकार ने श्रमिक कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों को समझते हुए कुछ कदम उठाए हैं और उसके लिए नीति-निर्देश भी निर्धारित किए हैं।ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों से पंजीकरण के लिए दूर-दराज़ इलाकों के लिये मोबाइल कैंप, ग्रामस्तरीय पंजीकरण मंच और ब्लॉक ऑफिस स्तर पर पोर्टल सहायता दी जा रही है ताकि डिजिटल डिवाइड कम हो। स्किल और उद्यमिता प्रशिक्षण के लिए अटल श्रम सशक्तिकरण पहल के तहत लाभार्थियों को तकनीकी और स्वरोज़गार प्रशिक्षण देने की योजनाएँ जोड़ी जा रही हैं, ताकि वे माइक्रो-एंटरप्रेन्योर बन सकें और लोकल मार्केट से जुड़ सकें। सर्विस डिलीवरी में तेजी के लिए प्रत्यक्ष बैंक ट्रांसफर के आयोजन (जैसे श्रमिक सम्मेलनों में एक साथ भुगतान) से प्रशासनिक देरी कम हुई है और लाभार्थियों को आर्थिक राहत तत्काल मिली है। विभिन्न कल्याण योजनाओं को एक ही छत्र के नीचे लाकर कार्य-समन्वय और निगरानी को बेहतर बनाया जा रहा है—इससे योजनाओं का डुप्लीकेशन घटेगा और लाभार्थी आसानी से अपनी उपयुक्तता जान पाएँगे।
श्रम कल्याण योजना से नयी उम्मीदें, ठोस पहल और साझा जिम्मेदारी
छत्तीसगढ़ में श्रम कल्याण संबंधी योजनाएँ यह दर्शाती हैं कि राज्य की नीतियाँ अब “लोग-केंद्रित” और “लाभार्थी-केंद्रित” होकर काम कर रही हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में रजत जयंती वर्ष की पृष्ठभूमि में यह कार्यक्रम अधिक महत्व रखती हैं—क्योंकि विकास की सफलता तभी सही मानी जा सकती है जब उसका लाभ अंतिम पंक्ति के लोगों तक भी पहुँचें। प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण, भूमिहीन मजदूरों के लिये वार्षिक अनुदान, असंगठित श्रमिकों के लिये समेकित योजनाएँ और स्थानीय स्तर पर जागरूकता के साथ यह यात्रा जारी है। छत्तीसगढ़ की साय सरकार के नेतृत्व में पंचायतें, नगर समाज और निजी क्षेत्र मिलकर जो काम काम कर रहा है उस आधार पर कहा जा सकता है कि बहुत ही जल्द छत्तीसगढ़ उन राज्यों की कतार में शामिल हो सकता है जहाँ श्रमिकों का जीवन मात्र जीविकोपार्जन न रहकर गरिमापूर्ण, सुरक्षित और समृद्ध बन गया हो।

