रायपुर। राजधानी रायपुर के तेलीबांधा तालाब परिसर में बने बच्चों का उद्यान मैथिली शरण गुप्त पर ठेकेदार का अवैध कब्जा है. महापौर मीनल चौबे के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद निगम अधिकारी कार्रवाई करने में टालमटोल कर रहे हैं.
हैदराबाद की ECST कंपनी द्वारा संचालित एडवेंचर जोन और रोपवे को हटाने का आदेश दिए हुए लगभग छह महीने बीत चुके हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं बदला. नेता प्रतिपक्ष आकाश तिवारी ने इस मामले में महापौर और अधिकारियों पर ठेकेदार से सांठगांठ का गंभीर आरोप लगाया है. स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं, आखिर यह रिश्ता क्या कहलाता है?

उद्यान से कारोबारी मैदान तक का सफर
उद्यान में ECST हैदराबाद कंपनी ने एडवेंचर एक्टिविटी, रोपवे और झूले लगाकर इसे व्यावसायिक केंद्र बना दिया था. बच्चों के लिए बने इस पार्क में अब टिकट काटकर ही एंट्री मिलती है. लल्लूराम डॉट कॉम की खबर के बाद मामला गरमाया. महापौर मीनल चौबे ने तुरंत संज्ञान लिया और 48 घंटे में उद्यान खाली करने का सख्त निर्देश दिया.
महापौर ने कहा, मीडिया के माध्यम से गार्डन में कब्जे की जानकारी मिली. अधिकारियों को उद्यान में हुए क़ब्ज़ा को हटाने का फोटो भेजकर रिपोर्टिंग करने को कहा गया. बड़े लोहे के स्ट्रक्चर होने के कारण बारिश में नहीं हटाया गया, लेकिन उद्यान को मूल स्वरूप में लाने के निर्देश दे दिए गए हैं.
लल्लूराम डॉट कॉम की टीम जब पड़ताल करते करते उद्यान में पहुँची थी तो टीम ने देखा छह महीने बाद भी स्थिति जस की तस. कुछ छोटे झूले हटा दिए गए, लेकिन एडवेंचर जोन और रोपवे अब भी चल रहे हैं. अधिकारियों ने केवल नोटिस जारी कर खानापूर्ति की और उसे कूड़ेदान में फेंक दिया.

रायपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष आकाश तिवारी ने महापौर पर सीधा निशाना साधा. उन्होंने कहा, उद्यान को मैदान बने छह महीने हो गए. झूले हटाकर कार्रवाई की वाहवाही लूटी गई, लेकिन एडवेंचर और रोपवे अब भी चल रहे हैं. बच्चों का उद्यान अपने स्वरूप में नहीं आया. आखिर महापौर और अधिकारी ECST कंपनी पर मेहरबान क्यों हैं? ठेकेदार से क्या रिश्ता है?”
तिवारी ने आगे कहा कि अधिकारियों ने फोटो भेजकर रिपोर्टिंग की, लेकिन असल कार्रवाई शून्य. यह साफ दिखाता है कि निर्देशों को ठेंगा दिखाया जा रहा है.
महापौर मीनल चौबे ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, नोटिस जारी किया गया था. कार्रवाई की जानकारी नहीं है, अधिकारियों से पूछना होगा. अगर कार्रवाई नहीं हुई तो आगे एक्शन लेंगे. हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि छह महीने में क्या हुआ, तो उन्होंने टालते हुए कहा कि अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी.
उद्यान के आसपास रहने वाले लोग परेशान हैं. एक स्थानीय निवासी ने कहा, बच्चों के लिए बना पार्क अब ठेकेदार का अड्डा बन गया. महापौर निर्देश देती हैं, अधिकारी नोटिस थमाते हैं, लेकिन कुछ होता नहीं. यह मेहरबानी क्यों? क्या कोई कमीशन का खेल चल रहा है? दूसरे निवासी ने पूछा, ये रिश्ता क्या कहलाता है? जनता के पार्क पर ठेकेदार का कब्जा और अधिकारी खामोश है.
रायपुर नगर निगम में भाजपा की बहुमत वाली सरकार होने के बावजूद ऐसे मामले सवाल उठाते हैं. महापौर मीनल चौबे ने पदभार संभालते ही अतिक्रमण हटाने के कई अभियान चलाए, लेकिन ठेकेदारों पर मेहरबानी क्यों? अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो यह मामला और तूल पकड़ सकता है. जनता पूछ रही है – उद्यान बच्चों का होगा या ठेकेदार का कारोबार?
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