देश की रिटेल महंगाई (Retail Inflation) में अब एक ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की जा सकती है. बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई दर सिर्फ 0.4% से 0.6% तक रह सकती है. यानी सितंबर की तुलना में लगभग एक प्रतिशत अंक की गिरावट. यह गिरावट लगातार छठे महीने दर्ज हुई है – जो संकेत देती है कि आने वाले महीनों में बाजार में राहत बनी रह सकती है.

सब्जियों से लेकर दाल तक, सब कुछ सस्ता – कितना और कैसे?

‘बॉब एसेंशियल कमोडिटीज इंडेक्स’ के अनुसार, अक्टूबर में महंगाई घटाने का सबसे बड़ा रोल सब्जियों का रहा. रिपोर्ट बताती है कि प्याज के दाम 51% गिरे, जो 2020 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है. टमाटर की कीमतों में 40% और आलू में 31% की कमी आई. मंडियों में सब्जियों की आवक 30% बढ़ी, जिससे सप्लाई बढ़ी और दाम गिरे. दालों की बात करें तो अरहर दाल के दामों में 29% की गिरावट हुई, जो पिछले 8 सालों में सबसे बड़ी मानी जा रही है.

खाद्य तेलों में भी राहत मिली

सरसों तेल 16% सस्ता,
सोया तेल 8% सस्ता,
सूरजमुखी तेल 17% सस्ता हुआ.

अनाज में मिला-जुला असर – चावल सस्ता, आटा महंगा

रिपोर्ट के अनुसार, चावल के दाम अप्रैल से हर महीने घट रहे हैं, अक्टूबर में भी कीमतें 1.2% नीचे आईं. वहीं दूसरी ओर आटे की कीमतें 2% बढ़ गई हैं, जो गेहूं उत्पादन और लॉजिस्टिक कॉस्ट में बढ़ोतरी से जुड़ा है.

कमोडिटी इंडेक्स लगातार छठे महीने गिरा

‘बॉब एसेंशियल कमोडिटीज इंडेक्स’, जिसमें सब्जियां, दालें, तेल, अनाज जैसी 20 ज़रूरी चीज़ों के भाव शामिल हैं, अक्टूबर में एक साल पहले की तुलना में 3.6% नीचे आ गया. यह गिरावट नवंबर के शुरुआती छह दिनों में 3.8% तक पहुंच चुकी है.

क्यों घट रही है महंगाई?

बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री अदिति गुप्ता के अनुसार, “अच्छी फसल, कृषि जिंसों के दामों में वैश्विक गिरावट और सरकार द्वारा GST में की गई कटौतियों के कारण महंगाई लगातार घट रही है. आने वाले महीनों में भी रिटेल महंगाई कम ही रहने की संभावना है.”

इसके अलावा भारत में मानसून की स्थिति और सरकार की भंडारण नीति ने भी खाद्य आपूर्ति स्थिर रखी, जिससे बाजार में कीमतों पर दबाव नहीं बढ़ा.

हालिया बाजार स्थिति

सोमवार, 10 नवंबर को सेंसेक्स 319 अंक चढ़कर 83,535 पर बंद हुआ था. मंगलवार को बाजार में थोड़ी गिरावट आई और सेंसेक्स 298 अंक फिसल गया. यह ट्रेंड बताता है कि भले शेयर बाजार अस्थिर हो, लेकिन महंगाई के मोर्चे पर भारत को फिलहाल राहत मिल रही है.

क्या महंगाई शून्य के करीब जाएगी?

यदि नवंबर में भी कमोडिटी इंडेक्स इसी तरह नीचे जाता रहा, तो भारत में रिटेल महंगाई 1% से भी नीचे आने की संभावना जताई जा रही है – जो पिछले चार सालों में सबसे निचला स्तर होगा. हालांकि विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि त्योहारी सीजन और कृषि इनपुट लागत के चलते दिसंबर में मामूली उछाल देखने को मिल सकता है.

महंगाई की रफ्तार थम चुकी है, पर कहानी खत्म नहीं हुई. भारत की रसोई में राहत का दौर शुरू है, पर बाजार की नब्ज़ यही कहती है – “अगर आवक और नीतियाँ स्थिर रहीं, तो दिसंबर तक दाल-चावल से लेकर तेल तक सब सस्ता हो सकता है.”