रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस का 19वां वर्ष एक नये वातावरण में हम मनाने जा रहें हैं. ये किसी भी राज्य के लिए उसके राज्य का स्थापना दिवस वस्तुतः उसके लिए आत्म आंकलन का विषय होता है. यह दिवस अपनी उपलब्धियों को स्मरण करने का और भविष्य की चुनौतियों के लिए स्वयं को सक्षम और सामर्थ्यवान बनाने का होता है.
राज्य स्थापना की यह वर्षगांठ कई मायनों में विगत वर्षो से थोड़ी भिन्न हैं. प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस की सरकार के लिए यह प्रथम स्थापना वर्ष है. सरकार बनने के बाद विगत 9 महीनों में जो परिवर्तन की आहट हुई है, उसमें यह कतई भी संदेह नहीं है कि यह प्रदेश सरकार अपने पुरखों की भावनओं के अनुरूप छत्तीसगढ़ को गढ़ने का और संवारने का कार्य कर रही है. गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ को अपना ध्येय वाक्य मानते हुए राज्य सरकार ने जो पूर्व की चली आ रही व्यवस्था में जो आमूलचूल परिवर्तन किये हैं वह प्रशंसनीय है. इन र्निर्णयों को परिणाम तक पहुंचाना एक चुनौती पूर्ण कार्य भी है.
अपनी संस्कृति अपने संस्कार और अपनी अस्मिता की पहचान को बनायें रखना किसी भी निर्वाचित सरकार का प्रथम दायित्व होता है. यह उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ की प्रदेश सरकार ने अपनी लोक संस्कृति और लोक संस्कारों को अपने प्रयासों से जीवंतता प्रदान की है. लोक पर्व हरेली, गोवर्धन पूजा सहित अनेक लोक पर्वों को राज्य सरकार ने अपने प्रयासों से एक नया स्वरूप दिया हैं. सरकार का यह प्रयास निश्चित ही प्रणम्य है, परन्तु साथ ही सदैव यह भी स्मरण रखना होगा कि भारत विभिन्न संस्कृतियों धर्म पंथ का समुंदर हैं. हमारी विविधताओं के मध्य समन्वय ही हमारी सुन्दरता है इसलिए छत्तीसगढ़ राज्य में सभी संस्कृतियों को और रीति-रिवाजों को समुचित सम्मान मिलता रहें यह भी सुनिश्चित करना राज्य सरकार का दायित्व है.
छत्तीसगढ़ राज्य कृषि प्रधान राज्य है. हमारी संर्पूण व्यवस्था और उपलब्धियों का आधार कृषि ही हैं. इसलिए जब तक हमारे किसान भाई बहन खुशहाल नहीं होंगे, तब तक राज्य की खुशहाली की कल्पना अधूरी होगी. छत्तीसगढ़ की वर्तमान कांग्रेस की सरकार बधाई की पात्र है कि उसने अपने गठन के प्रथम दिवस से आज दिनांक तक पूरी ईमानदारी के साथ कृषि एवं कृषकों के हित में र्निणय लिए हैं. जमीनी स्तर पर इसका प्रभाव सीधे तौर पर नजर आता है. आज गांव के छोटे से छोटे किसान की क्रय क्षमता बढ़ी हैं उसका जीवन पहले से ज्यादा सुविधाजनक हुआ है और इसका पूरा श्रेय राज्य सरकार की संवेदनशीलता को जाता हैं. साथ ही सरकार के लिए भविष्य में यह भी निर्णय महत्वर्पूण होगा कि वह अपनी मानसिकता सहयोग से ज्यादा आत्मनिर्भरता की ओर केन्द्रित करें क्योंकि जब राज्य के अधिक से अधिक नागरिक आत्मनिर्भर होंगे तो खुशहाली स्वमेव द्वार पर दस्तक देगी.
बस्तर सरगुजा सहित प्रदेश के आदिवासी वनांचल क्षेत्रों में वनपुत्रों को उनके बहुप्रतिक्षित अधिकारों को उन्हें दिलाने की राज्य सरकार की अब तक की कोशिशों परिणाम मूलक रहीं है. आदिवासियों को पूर्व सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन को उन्हें वापस कराना सरकार की आदिवासी भाई-बहनों के प्रति संवेदनशील भावनाओं का प्रमाण हैं, पर साथ यह भी महत्वर्पूण है कि आगे बढ़ती हुई दुनिया से आदिवासी भाई बहनों को समाज विकास की मुख्यधारा में जोड़ना भी सरकार का नैतिक दायित्व है. इस कार्य के लिए राज्य सरकार को एक सम्पूर्ण कार्य योजना के साथ आगे बढ़ना होगा.
छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक संपदा और यहां की नैसर्गिक स्रोतों पर सर्वप्रथम हमारे छत्तीसगढ़ियों का अधिकार हो छत्तीसगढ़ियों के हितों के संरक्षाण के प्रति राज्य सरकार का स्पष्ट दृष्टिकोण हम हर छत्तीसगढ़ियों को गर्व का अनुभव करा रहा हैं, परन्तु हमें आवश्यकता पड़ने पर कुछ जगहों पर उदार भी होना होगा यह राज्य सरकार को स्मरण रखना होगा.
नरवा गरवा घुरवा बारी छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी यह केवल एक नारा नहीं अपितु एक विराट दृषिटकोण को अपने में समेटे हुए एक पावन संकल्प है. छत्तीसगढ़ के भौगोलिक वातावरण सामाजिक परिवेश रहन सहन और खान पान के अनुरूप छत्तीसगढ़ के विकास को मूर्तरूप देने की राज्य सरकार की एक कोशिश है और सरकार की इस कोशिश में राज्य के प्रत्येक नागरिक का सहयोग आवश्यक है.
राज्य स्थापना के 19वें वर्ष में आईये हम सब संकल्प लें कि हम अपने छत्तीसगढ़ राज्य को बेहतर शिक्षा सुलभ स्वास्थ्य, आवागमन औद्योगिक विकास, उन्नत कृषि के सर्वोत्तम लक्ष्य तक राज्य सरकार के प्रयासों में अपना सहयोग और सहभागिता सुनिश्चित करेंगे हमारी यही कोशिश हमें बेहतर छत्तीसगढ़ नवा छत्तीसगढ़ के मुकाम तक पहुंचायेगी.