पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान समाप्त होते ही कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. शकील अहमद ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा की है। उन्होंने अपना इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजा है।

मतदान से पहले इस्तीफा नहीं देना चाहता था

डॉ. शकील अहमद ने अपने पत्र में लिखा है कि वे मतदान समाप्त होने के बाद ही इस्तीफा दे रहे हैं ताकि इससे पार्टी को किसी भी तरह का नुकसान न हो। उन्होंने कहा मैं नहीं चाहता था कि मेरे फैसले से मतदान से पहले कोई गलत संदेश जाए या कांग्रेस को पाँच वोट का भी नुकसान हो।

परिवार की तीन पीढ़ियां रही हैं कांग्रेस से जुड़ी

शकील अहमद ने अपने पत्र में अपने परिवार के कांग्रेस से गहरे जुड़ाव का भी ज़िक्र किया है। उन्होंने लिखा कि उनके दादा स्व. अहमद गफूर 1937 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे जबकि उनके पिता शकूर अहमद ने 1952 से 1977 के बीच पाँच बार विधायक रहते हुए कई अहम पदों की ज़िम्मेदारी निभाई। 1985 के बाद स्वयं शकील अहमद भी पाँच बार विधायक और सांसद चुने गए।

कहा- कांग्रेस की नीतियों पर अब भी अटूट विश्वास है

डॉ. अहमद ने स्पष्ट किया कि पार्टी छोड़ने का मतलब किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल होना नहीं है। उन्होंने लिखा मेरा किसी दूसरी पार्टी में जाने का इरादा नहीं है। मैं जीवन भर कांग्रेस की नीतियों और सिद्धांतों का समर्थक रहूंगा। मेरे जीवन का अंतिम वोट भी कांग्रेस के पक्ष में ही गिरेगा।

मतभेद कुछ व्यक्तियों से

उन्होंने आगे कहा कि उनका मतभेद कांग्रेस की विचारधारा से नहीं बल्कि कुछ वर्तमान नेताओं से है जो पार्टी की सत्ता में हैं। अपने पत्र के अंत में उन्होंने अनुरोध किया कि इस पत्र को उनकी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा माना जाए।

कांग्रेस के लिए बड़ा झटका

बिहार में रिकॉर्ड तोड़ मतदान के बीच शकील अहमद का यह फैसला पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि कांग्रेस की सीटें इस बार बढ़ेंगी और गठबंधन की सरकार बनेगी, लेकिन उनके इस्तीफे ने कांग्रेस संगठन में हलचल मचा दी है।