हरिश्चंद्र शर्मा, ओंकारेश्वर। मां नर्मदा के तट पर बसी ओंकारेश्वर तीर्थनगरी, जो अब तक अपनी भक्ति, संत-परंपरा और आध्यात्मिकता के लिए जानी जाती रही है, इन दिनों एक अलग कारण से सुर्खियों में है। यहां “ममलेश्वर लोक” 120 करोड़ की परियोजना को लेकर ब्रह्मपुरी बस्ती के सैकड़ों परिवारों में चिंता और असंतोष है। लोगों का कहना है कि अगर यह योजना मौजूदा रूप में लागू हुई तो सैकड़ों घर, दुकानें, आश्रम और धर्मशालाएं उजड़ जाएंगी।

जहां शिव विराजते, वहां उजाड़ क्यों?- यह केवल कुछ घरों की बात नहीं, बल्कि धर्म, परंपरा और आजीविका के सह-अस्तित्व की कहानी है। यह वही बस्ती है जहां हर सुबह आरती की ध्वनि से दिन की शुरुआत होती है, और हर शाम साधु-संतों के सत्संग से वातावरण गूंजता है।

संत समाज और जनप्रतिनिधियों की अपील

विवाद बढ़ने पर ओंकारेश्वर के विधायक नारायण पटेल, संत समाज और स्थानीय प्रतिनिधियों का एक प्रतिनिधिमंडल भोपाल पहुंचा। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ मोहन से मुलाक़ात कर परियोजना का स्थान बदलने की मांग रखी। विधायक पटेल एवं ओंकारेश्वर षट् दर्शन संत मंडल के अध्यक्ष महंत मंगलदास त्यागी जी महाराज ने बताया – मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया है कि किसी का अहित नहीं होगा। मुख्य सचिव को इस विषय पर आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।” नगर भाजपा अध्यक्ष संतोष वर्मा और पार्षद दिनेश पेंटर ने कहा कि यह संघर्ष किसी राजनीतिक लाभ का नहीं, बल्कि जनभावना की रक्षा का है। जो बस्ती भगवान शिव की छाया में बसती है, उसे उजाड़कर कोई ‘लोक’ नहीं बस सकता,”।

सर्वे कार्य पर फिलहाल रोक

प्रशासन ने परियोजना का सर्वे सोमवार को शुरू किया था लेकिन मंगलवार को बढ़ते विरोध और भोपाल में हुई वार्ता के बाद सर्वे कार्य फिलहाल रोक दिया गया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने खंडवा जिला एवं ओंकारेश्वर के जनप्रतिनिधि संतों को विश्वास दिलाया है कि है कि पहले स्थानीय नागरिकों की आपत्तियां सुनी जाएंगी। प्रशासन और संत समाज के साथ समन्वय स्थापित कर वैकल्पिक स्थल पर चर्चा करने निर्देश जारी करूं दिए हैं।

ओंकारेश्वर की ‘त्रिपुरी’ पहचान?

ओंकारेश्वर को ब्रह्मपुरी, शिवपुरी और विष्णुपुरी के त्रिकोण में बसाया गया है यही इसका धार्मिक और आध्यात्मिक आधार है।
स्थानीय विद्वान कहते हैं, अगर ब्रह्मपुरी का हिस्सा हटाया या उजाड़ा गया, तो ओंकारेश्वर का यह त्रिदेव स्वरूप अधूरा हो जाएगा। संतों का कहना है कि यह केवल जमीन का नहीं, तीर्थ की आत्मा का सवाल है।

जनता की मांगें

  1. ममलेश्वर लोक का स्थान बदला जाए, ताकि ब्रह्मपुरी की बस्तियां और पुरातन आश्रम सुरक्षित रहें।
  2. किसी भी निर्माण से पहले ओंकारेश्वर की अति प्राचीन सभ्यता धार्मिकता सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव अध्ययन किया जाए।
  3. मां नर्मदा की गोद में बसे हमारे आशियानों को मत उजाड़िए यही हमारी विनती है।

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