कुन्दन कुमार/पटना। विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब राज्यभर के नगर निकायों में राजनीतिक सरगर्मी तेज होने की उम्मीद है। कारण है नगर निगमों में स्थायी समिति के सदस्यों के चयन की नई व्यवस्था, जो अब पूरे बिहार में लागू हो चुकी है। चुनावी माहौल के चलते अभी फिलहाल निकायों में शांति बनी हुई है, लेकिन जैसे ही नतीजे आएंगे और नई सरकार बनेगी, वैसे ही नगर निगमों में खींचतान तेज हो जाएगी।

समिति के सदस्य चुने जाएंगे

सबकी निगाहें खास तौर पर पटना नगर निगम पर टिकी रहेंगी, जहां बदले हुए राजनीतिक समीकरणों के बीच नई प्रक्रिया के तहत सदस्यों का चयन किया जाएगा। अब तक महापौर, मुख्य पार्षद या अध्यक्ष द्वारा स्थायी समिति के सदस्यों को मनोनीत करने की व्यवस्था थी, लेकिन नई प्रणाली में इसे पूरी तरह बदल दिया गया है। अब पार्षदों के गुप्त मतदान से समिति के सदस्य चुने जाएंगे, जिससे इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ेगी।

कैबिनेट की मुहर लग चुकी थी

बिहार नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश, 2025 को राज्य सरकार ने अधिसूचित कर दिया है। इस अध्यादेश पर पहले ही कैबिनेट की मुहर लग चुकी थी। अध्यादेश के अनुसार छह महीने के भीतर सशक्त स्थायी समिति के गठन के लिए निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

दिशा-निर्देश जारी करेगा

नोटिफिकेशन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पूरी प्रक्रिया डीएम (जिलाधिकारी) के पर्यवेक्षण, निर्देशन और नियंत्रण में होगी। नगर विकास विभाग समय-समय पर मतदान प्रक्रिया से संबंधित दिशा-निर्देश जारी करेगा। अध्यादेश में धारा 21 की उपधारा (3) में संशोधन किया गया है, जिसके तहत यह व्यवस्था अब पूरे राज्य में लागू होगी। राजपत्र में इसके प्रकाशन की तिथि से यह प्रभावी हो चुका है।

नया स्वरूप देगा

यह संशोधन स्थानीय निकायों में शक्ति संतुलन को नया स्वरूप देगा और आने वाले दिनों में नगर निगमों में पार्षदों की भूमिका पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगी।