देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर (देहरादून) में आयोजित अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता 2025 में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने देश के विभिन्न राज्यों से पधारे वन अधिकारियों, खिलाड़ियों एवं खेल प्रेमियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि 28वीं अखिल भारतीय वन खेलकूद एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिता की मेजबानी का सौभाग्य उत्तराखण्ड को प्राप्त हुआ है।

पीएम मोदी का जताया आभार

मुख्यमंत्री ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का आभार व्यक्त किया तथा वन विभाग और आयोजकों को इस भव्य आयोजन के लिए बधाई दी। मुख्यमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष प्रतियोगिता में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 42 टीम, 3,390 खिलाड़ी, जिनमें 700 से अधिक महिला खिलाड़ी भाग ले रही हैं। उन्होंने सभी खिलाड़ियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि “खेल केवल शारीरिक तंदुरुस्ती का माध्यम नहीं, बल्कि व्यक्तित्व विकास और राष्ट्र निर्माण के भी आधार हैं।

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पर्यावरण की रक्षा के असली प्रहरी

मुख्यमंत्री ने कहा कि खेल व्यक्ति में अनुशासन, टीमवर्क और संघर्ष की भावना विकसित करते हैं। उन्होंने कहा कि वन कर्मियों का फिट रहना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि वे वन और पर्यावरण की रक्षा के असली प्रहरी हैं। प्रदेश के 8 शहरों में 23 खेल अकादमियां, एक राज्य खेल विश्वविद्यालय और महिलाओं के लिए महिला स्पोर्ट्स कॉलेज की स्थापना की जा रही है। उन्होंने कहा कि “राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक लाने वाले खिलाड़ियों को हमारी सरकार नियुक्ति दे रही है। उत्कृष्ट खिलाड़ियों को ₹50 लाख की सम्मान राशि भी प्रदान कर रही है।

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1,600 से अधिक रुद्राक्ष के पौधे लगाए गए

मुख्यमंत्री ने उल्लेख किया कि हाल ही में वर्ल्ड कप विजेता भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य एवं उत्तराखण्ड की बेटी स्नेह राणा को ₹50 लाख की प्रोत्साहन राशि प्रदान करने की घोषणा की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 38वें राष्ट्रीय खेलों को उत्तराखण्ड ने ‘ग्रीन गेम्स’ की थीम पर आयोजित किया, जहाँ सभी सामग्री E-Waste और Recycled Material से तैयार की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2.77 हेक्टेयर भूमि पर ‘खेल वन’ विकसित किया गया है, जहाँ पदक विजेताओं के नाम पर 1,600 से अधिक रुद्राक्ष के पौधे लगाए गए हैं।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य का लगभग 71% क्षेत्र वनाच्छादित है, जो इसे देश का ‘Oxygen Bank’ और ‘Water Tower’ बनाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 6 राष्ट्रीय उद्यान, 7 वन्यजीव विहार और 4 संरक्षण आरक्षित क्षेत्र हैं, जो पूरे देश के औसत से कहीं अधिक है। वन्यजीव संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने GPS ट्रैकिंग, ड्रोन सर्विलांस, डॉग स्क्वॉड जैसी आधुनिक तकनीकें लागू की हैं। साथ ही, मानव-वन्यजीव संघर्ष में मुआवजा राशि को ₹6 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख रुपये कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में “सीएम यंग ईको-प्रिन्योर योजना” के तहत युवाओं को नेचर गाइड, ड्रोन पायलट, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर, ट्रैकिंग गाइड और ईको-टूरिज्म उद्यमी के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है। साथ ही, “कैन्टर राइड” जैसी पहलों से स्थानीय समुदायों को वन्यजीव संरक्षण और पर्यटन से जोड़कर उनकी आजीविका सशक्त की जा रही है। उन्होंने कहा कि कॉर्बेट में ‘वन्यजीवों का एम्स’ कहे जाने योग्य आधुनिक रेस्क्यू सेंटर स्थापित किया गया है।

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मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से हल्द्वानी जू सफारी परियोजना और उत्तरकाशी में प्रस्तावित स्नो लेपर्ड कंज़र्वेशन सेंटर की स्वीकृति हेतु सहयोग का अनुरोध किया। उन्होंने कहा “ये दोनों परियोजनाएं राज्य के पर्यटन और वन्यजीव संरक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।”

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान का उल्लेख करते हुए खिलाड़ियों से आग्रह किया कि “यदि आप इस स्टेडियम परिसर में अपनी माता जी के नाम एक पौधा लगाएंगे, तो यह माँ के प्रति प्रेम और सम्मान का प्रतीक होगा और इस आयोजन को यादगार बनाएगा। उन्हें पूर्ण विश्वास है कि देशभर से आए वन अधिकारी और खिलाड़ी अपनी अनुशासन, परिश्रम और खेल भावना से न केवल खेलों में उत्कृष्टता प्राप्त करेंगे, बल्कि वन संपदा के संरक्षण और हरित उत्तराखण्ड निर्माण के संकल्प को भी साकार करेंगे।