नई दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली के वसंत कुंज ई-1 सेक्टर के निवासियों ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) पर पानी के बिलों में चार गुना बढ़ोतरी का आरोप लगाया है। स्थानीय रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) और नागरिकों ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा है कि डीडीए ने बिना किसी पूर्व सूचना के 44 महीनों के बकाया बिल एक साथ थमा दिए हैं। आरडब्ल्यूए के अनुसार, फ्लैट मालिकों को 10 नवंबर 2025 की तिथि पर पानी का बिल भेजा गया है, जिसमें प्रति फ्लैट ₹1,434.34 प्रति माह के हिसाब से भुगतान मांगा गया है। निवासियों का कहना है कि यह रकम पिछले वर्षों की तुलना में चार गुना अधिक है और बिना किसी औचित्य के वसूली की जा रही है।
निवासियों ने आरोप लगाया कि डीडीए ने मीटर रीडिंग या पानी की वास्तविक खपत की जानकारी दिए बिना मनमाने तरीके से बिल जारी किए हैं। आरडब्ल्यूए ने इस मामले को लेकर डीडीए अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है और जल्द सुधार की मांग की है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर डीडीए ने बिलों की समीक्षा नहीं की तो वे कानूनी कार्रवाई करने को मजबूर होंगे। वहीं डीडीए की ओर से इस मामले पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है।
आरडब्ल्यूए ने इस मनमानी वसूली पर सवाल उठाते हुए डीडीए प्रशासन और अधिकारियों से कई बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है। इसके जवाब में डीडीए ने 11 नवंबर 2025 को आरडब्ल्यूए को एक आधिकारिक पत्र जारी किया है। हालांकि, निवासियों का कहना है कि इस जवाब में संतोषजनक जानकारी नहीं दी गई। आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों ने बताया कि वर्ष 2019 में डीडीए की एक आवासीय योजना के तहत कुल 1214 फ्लैट आवंटित किए गए थे, जिनमें एलआईजी (LIG), एमआईजी (MIG) और एचआईजी (HIG) श्रेणी के फ्लैट शामिल हैं। तब से सभी फ्लैट मालिक हर महीने लगभग ₹350 के हिसाब से पानी का बिल नियमित रूप से जमा करते आ रहे हैं। अब अचानक कई गुना बढ़ा हुआ बिल थमाना अनुचित और अस्वीकार्य है।
आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधियों और नागरिकों ने कहा, “डीडीए ने न तो किसी बैठक में इस विषय पर चर्चा की, न ही पहले कोई नोटिस जारी किया। नागरिकों से राय लिए बिना पानी के बिल चार गुना बढ़ा दिए गए हैं। हम इस फैसले का विरोध करते हैं और मांग करते हैं कि डीडीए इस पर आरडब्ल्यूए से बातचीत करे और बढ़ाए गए बिलों को वापस ले।” निवासियों ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे डीडीए मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन और कानूनी कदम उठाने पर मजबूर होंगे।
पानी की आपूर्ति का वास्तविक खर्च ज्यादा : डीडीए
डीडीए ने 11 नवंबर 2025 को आरडब्ल्यूए को भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया कि वसंत कुंज ई-1 आवासीय पॉकेट में पानी की आपूर्ति दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के टैंकरों के माध्यम से की जाती है, और इसके साथ ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) के संचालन और रखरखाव पर भी भारी खर्च होता है।
डीडीए के अनुसार, इन सभी सेवाओं पर आने वाला वास्तविक खर्च प्रति फ्लैट प्रति माह वसूल किए जा रहे पुराने शुल्क से कहीं अधिक है। यह विषय डीडीए की बाहरी ऑडिट टीम और वरिष्ठ अधिकारियों की बैठकों में कई बार उठाया गया, जिसके बाद पानी के बिलों को वास्तविक खर्च के अनुसार संशोधित करने का निर्णय लिया गया। प्राधिकरण ने बताया कि आरडब्ल्यूए को जुलाई 2020 से फरवरी 2024 की अवधि के लिए ₹1,434.34 प्रति माह प्रति फ्लैट की दर से बिल जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। पत्र में डीडीए प्रशासन ने यह भी कहा है कि इस संबंध में आरडब्ल्यूए को पहले भी कई बार सूचनाएं और जानकारियां दी गई थीं।
नागरिकों ने कई सवाल उठाए
आरडब्ल्यूए के महासचिव माधवेंद्र शुक्ला ने बताया कि वर्ष 2019 में डीडीए ने 1,214 फ्लैटों का आवंटन किया था, जहां वर्तमान में लगभग 5,000 लोग रह रहे हैं। उन्होंने कहा, “यहां पर दिल्ली जल बोर्ड की पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति नहीं होती है। डीडीए टैंकरों के माध्यम से पानी उपलब्ध कराता है। अब वह डीजेबी को चुकाई जाने वाली राशि सीधे लोगों से वसूलना चाहता है, जो अनुचित है। बिना किसी पूर्व सूचना या परामर्श के चार गुना बिल बढ़ाना गलत है।”
दूसरी ओर, डीडीए प्रशासन का कहना है कि वसंत कुंज ई-1 सेक्टर में पानी की आपूर्ति, एसटीपी संचालन और रखरखाव पर आने वाला वास्तविक खर्च पहले की दरों से कहीं अधिक है। डीडीए के मुताबिक, यह निर्णय ऑडिट टीम और अधिकारियों की बैठकों के बाद लिया गया, और आरडब्ल्यूए को इस बारे में कई बार जानकारी दी गई थी।
डीजेबी के पानी के टैंकरों से होती है सप्लाई
माधवेंद्र के अनुसार, “डीडीए ने वादा किया था कि डीजेबी की पाइपलाइन से पानी की सप्लाई शुरू होगी, लेकिन छह साल बीत जाने के बाद भी आज तक ऐसा नहीं हुआ। इसके बजाय डीडीए अब टैंकरों और बोरवेल के जरिए सप्लाई कर रहा है और उसका खर्च चार गुना बढ़ाकर नागरिकों से वसूल रहा है।” आरडब्ल्यूए के अनुसार, वर्तमान में वसंत कुंज ई-1 आवासीय पॉकेट के 1214 फ्लैटों में हर दिन करीब 10 लाख लीटर पानी की आपूर्ति होती है। इसमें से 4–5 लाख लीटर प्रतिदिन पानी के टैंकरों से, 4–5 लाख लीटर प्रतिदिन बोरवेल व एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) से दिया जाता है। सूत्रों के मुताबिक, ये पानी के टैंकर द्वारका स्थित डीजेबी के फिलिंग स्टेशन से भेजे जाते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह “दोहरे भुगतान” का मामला बनता है. पहले फ्लैट खरीदते समय पाइपलाइन शुल्क लिया गया और अब टैंकरों व बोरवेल का खर्च भी लगाया जा रहा है। नागरिकों ने डीडीए से पारदर्शी ऑडिट रिपोर्ट जारी करने और पानी की आपूर्ति व्यवस्था पर स्थायी समाधान निकालने की मांग की है।
पानी के टैंकरों से सड़कें हुई खराब
आरडब्ल्यूए के सदस्यों के अनुसार, “हर दिन कई पानी के टैंकर आवासीय पॉकेट में प्रवेश करते हैं। इनमें 22,000 से 30,000 लीटर तक पानी भरा होता है। लगातार भारी टैंकरों की आवाजाही से सड़कें उखड़ रही हैं, गड्ढे बन रहे हैं और नालियों के ढक्कन भी टूट गए हैं।” स्थानीय निवासियों का कहना है कि पहले जहां केवल कुछ ही टैंकर आते थे, अब बढ़ी हुई मांग के कारण प्रतिदिन दर्जनों टैंकर कॉलोनी में घूम रहे हैं। इससे न केवल सड़कें और नाले क्षतिग्रस्त हो रहे हैं, बल्कि ट्रैफिक जाम और सुरक्षा खतरे भी बढ़ गए हैं, क्योंकि कई बार टैंकर संकरी गलियों में फंस जाते हैं।
नागरिकों के साथ करेंगे बैठक
डीडीए अधिकारियों ने बताया, “नागरिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए आवासीय पॉकेट में कई कार्य पहले से चल रहे हैं और यह आगे भी जारी रहेंगे। हमारा उद्देश्य निवासियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना है।” अधिकारियों के अनुसार, डीडीए ने वसंत कुंज ई-1 पॉकेट में जलापूर्ति, सीवेज और रखरखाव संबंधी मुद्दों पर कई कदम उठाए हैं, और आगे की रणनीति स्थानीय निवासियों की राय लेकर तय की जाएगी।
बकाया राशि 1434 रुपये आई : डीडीए
वसंत कुंज ई-1 सेक्टर में बढ़े हुए पानी बिल को लेकर जारी विवाद के बीच दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अपना विस्तृत पक्ष रखा है। अधिकारियों ने बताया कि फ्लैटों का कब्जा जुलाई 2020 से शुरू हुआ था और तभी से यहां द्वारका सेक्टर-20 के पोचनपुर स्थित दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) आपातकालीन केंद्र से पानी के टैंकरों के जरिए आपूर्ति की जा रही है। डीडीए अधिकारियों के अनुसार, “टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति, डीजेबी रॉयल्टी शुल्क, बूस्टिंग चार्ज, एसटीपी संचालन और रखरखाव सहित कुल खर्च ₹1,434.34 प्रति माह आता है, जबकि अब तक निवासियों से केवल ₹363 प्रति माह ही वसूला जा रहा था।”
अधिकारियों ने बताया कि यह मामला तब उठा जब बाहरी लेखा परीक्षा दल (External Audit Team) ने यह इंगित किया कि डीडीए निवासियों से पानी की आपूर्ति पर वास्तविक खर्च की वसूली नहीं कर रहा है। इसके बाद जुलाई 2020 से फरवरी 2024 तक की अवधि का पुनर्मूल्यांकन किया गया, जिसमें बकाया राशि की गणना की गई और संशोधित दर ₹1,434 प्रति माह तय की गई। डीडीए ने यह भी स्पष्ट किया कि इस बारे में आरडब्ल्यूए को कई बार टेलीफोन, मौखिक और लिखित संदेशों के माध्यम से सूचित किया गया था। अधिकारियों के अनुसार, “आगे से हर साल पानी की खपत और वास्तविक संचालन लागत के आधार पर खर्च की गणना की जाएगी, ताकि शुल्क पारदर्शी और निष्पक्ष रहे।”
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