मुंबई के दलाल स्ट्रीट पर सुबह की हलचल आज कुछ अलग थी – जैसे किसी लंबे इंतज़ार के बाद राहत की सांस मिली हो. चार दिन से लगातार चढ़ता बाजार आज भी हरे निशान में खुला. टीवी स्क्रीन पर चमकते नंबरों के बीच ब्रोकर्स के चेहरों पर मुस्कान थी, क्योंकि दूर अमेरिका में 43 दिन से ठप पड़ा सरकारी पहिया आखिर घूमने लगा था.

अमेरिकी शटडाउन खत्म होने की खबर जैसे ही आई, भारतीय बाजार में उत्साह की लहर दौड़ गई. निवेशकों के चेहरे पर उम्मीदें लौट आईं – लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या ये तेजी टिक पाएगी या फिर ये सिर्फ राहत की एक अस्थायी चमक है?
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चैप्टर 1: शटडाउन का अंत और सेंटीमेंट की उड़ान
अमेरिका में करीब डेढ़ महीने से चल रहे सरकारी शटडाउन का अंत आखिरकार बुधवार रात हुआ. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फंडिंग बिल पर हस्ताक्षर कर दिए, जिससे सरकारी विभागों में फिर से कामकाज शुरू हो गया. भारत में इस खबर का सीधा असर देखने को मिला. सेंसेक्स आज सुबह 169 अंक चढ़कर 84,635 के पार पहुंच गया, जबकि निफ्टी ने 25,925 का स्तर छू लिया. यह लगातार चौथा दिन था जब बाजार हरे निशान में कारोबार कर रहे थे. निवेशकों का मानना है कि अमेरिकी शटडाउन खत्म होने से वैश्विक अनिश्चितता में कमी आई है और व्यापारिक गतिविधियों में स्थिरता लौटेगी.
चैप्टर 2: ग्लोबल सिग्नल और ट्रंप का ट्रिगर
अमेरिकी शटडाउन के साथ-साथ ट्रंप प्रशासन की भारत के प्रति सौम्य नीति ने भी बाजार को मजबूती दी. राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर सकारात्मक संकेत दिए, जिससे विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ा.
वहीं, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से दिसंबर में ब्याज दरों में संभावित कटौती की उम्मीद ने भी ग्लोबल इक्विटी मार्केट को सहारा दिया. निवेशकों को अब उम्मीद है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में स्थिरता आने से डॉलर इंडेक्स पर दबाव घटेगा और उभरते बाजारों – खासतौर पर भारत – में निवेश का प्रवाह तेज़ होगा.
चैप्टर 3: घरेलू मोर्चे पर राहत की खबरें
भारत में भी आर्थिक संकेत बाजार के पक्ष में हैं. अक्टूबर महीने में महंगाई दर घटकर 0.25% रह गई, जो पिछले 18 महीनों में सबसे निचला स्तर है. खाने-पीने की चीजों के दाम घटे हैं और टैक्स में राहत से उपभोक्ताओं को फायदा हुआ है. कम होती महंगाई ने यह उम्मीद जगाई है कि RBI अपनी अगली मौद्रिक नीति बैठक में रेपो रेट घटा सकता है. ब्याज दरों में कटौती का मतलब होगा – सस्ती लोन दरें, अधिक निवेश और बाजार में नई ऊर्जा.
चैप्टर 4: मार्केट एक्सपर्ट्स की राय – रैली जारी रहेगी?
अशिका इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का कहना है कि अमेरिकी सीनेट की प्रगति और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद ने ‘रिस्क-टेकिंग अप्रोच’ को बढ़ाया है. निफ्टी लगातार ऊंचे स्तर पर बना हुआ है, जबकि वैश्विक बाजारों में राहत की भावना बनी हुई है. HDFC सिक्योरिटीज के नंदिश शाह ने कहा- “बिहार चुनावों में एनडीए की संभावित जीत ने राजनीतिक स्थिरता का संदेश दिया है. इससे निवेशकों का भरोसा और मजबूत हुआ है.”
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चैप्टर 5: निफ्टी के लिए महत्वपूर्ण स्तर
रेलिगेयर ब्रोकिंग के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अजीत मिश्रा के मुताबिक, निफ्टी अब 25,800 के रेजिस्टेंस को पार कर चुका है. अगर यह रफ्तार बरकरार रहती है तो अगला टारगेट 26,000–26,100 के बीच हो सकता है. हालांकि, वीकली एक्सपायरी के चलते कुछ कंसोलिडेशन संभव है, लेकिन ओवरऑल ट्रेंड पॉजिटिव बना हुआ है. मेटल, बैंकिंग और ऑटो सेक्टर के साथ-साथ आईटी और एनर्जी सेक्टर में भी नई खरीदारी की लहर देखी जा रही है.
चैप्टर 6: निवेशकों के लिए संकेत – कब करें मुनाफा बुकिंग?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अभी बाजार ‘शॉर्ट टर्म बुलिश’ जोन में है. लेकिन अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों और आरबीआई के फैसलों पर नज़र रखना जरूरी है. स्मॉल और मिड-कैप शेयरों में सावधानी बरतने की सलाह दी गई है. दीर्घकालिक निवेशक मुनाफा बुकिंग के बजाय स्ट्रैटेजिक पोर्टफोलियो बैलेंसिंग अपनाएं.
चैप्टर 7: क्या तेजी कायम रह पाएगी?
अमेरिकी शटडाउन खत्म होने से बाजार को राहत तो मिली है, लेकिन असली परीक्षा अगले हफ्ते होगी – जब अमेरिका के रोज़गार और मुद्रास्फीति डेटा जारी होंगे. अगर आंकड़े बेहतर आए, तो भारतीय बाजार नए रिकॉर्ड बना सकते हैं. वरना, विदेशी निवेशकों की बिकवाली दोबारा दबाव बना सकती है.
अमेरिका की राहत और भारत की उम्मीदें फिलहाल शेयर बाजार को चमक दे रही हैं. लेकिन ये तेजी कितनी स्थायी है, इसका जवाब आने वाले हफ्तों में मिलेगा. फिलहाल, निवेशकों के लिए यही सही समय है – सावधानी के साथ अवसर को पहचानने का.
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