रेखराज साहू, महासमुंद। ‘स्कूल आ पढ़े बर, जिनगी ला गढ़े बर’ इस स्लोगन से शिक्षा विभाग छात्र-छात्राओं का भविष्य गढ़ने का वादा करती है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. जब शिक्षक ही नहीं होंगे, तो इन बच्चों का भविष्य कैसे गढ़ा जायेगा. जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी के चलते छात्रों की पढ़ाई सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है. हाईस्कूल अमलोर में शिक्षकों की कमी के चलते परेशान छात्रों और पालको ने आज जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का घेराव कर जमकर नारेबाजी की. छात्र-छात्राओं ने शिक्षकों की मांग को लेकर यहां जमकर हंगामा भी किया.

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शिक्षकों के अभाव में छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है, लेकिन अधिकारी इस मामले से पूरी तरह बेखबर दिख रहे हैं. छात्रों का कहना है कि हम लोगों को दसवीं की बोर्ड परीक्षा देना है. लेकिन हमारे स्कूल में शिक्षक नहीं हैं ऐसे में हम लोग बोर्ड परीक्षा कैसे देंगे ?

शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला अमलोर को दो वर्ष पहले हाई स्कूल में उन्नयन कर दिया गया. लेकिन आज तक शिक्षक की पदस्थापना नहीं हुई है. जिससें परेशान बच्चे व पालको ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का घेराव कर किया है.

अमलोर हाईस्कूल की छात्रा सुरेखा ने बताया कि हमारे यहां स्कूल नहीं है हम लोग झोपड़ स्कूल में पढ़ते हैं हम टीचर और स्कूल की मांग करने आए हैं गांव वाले और सरपंच एक बार शिक्षा विभाग को अवगत करा चुके हैं फिर भी हमारे स्कूल में शिक्षक नहीं भेजे गए हैं हम लोगों को मिडिल कि शिक्षक हफ्ते में एक बार आकर पढ़ाते हैं और एक ही या दो पीरियट हो पाता है शिक्षक नहीं होने के कारण हम लोग अच्छे से पढ़ नहीं पा रहे हैं. हमारा 10वीं का बोर्ड है हम कैसे पेपर देंगे.

वहीं 10 वी की छात्रा मनीषा ने बताया कि बोर्ड का पेपर है और हमारी पढ़ाई अभी तक शुरू नहीं हो पाई है हम कैसे पेपर देंगे. अगर फेल हो जाएंगे तो मम्मी-पापा हमें आगे की कक्षा नहीं पढ़ाएंगे हमें पेपर की चिंता सता रही है.

जिला शिक्षा अधिकारी बी.एल.कुर्रे ने बताया कि मिडिल स्कूल के दो शिक्षकों का ट्रांसफर होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है. हम आज ही दो शिक्षक की व्यवस्था हाई स्कूल में कर देंगे.

गौरतलब है कि जिले में आये दिन बच्चे स्कूलों में ताला जड़ते आ रहे है. उसके बावजूद शिक्षक की व्यवस्था नहीं होना कई सवालों को जन्म देती है.

बता दें कि महासमुंद जिले में कुल 1957 शासकीय स्कूल संचालित है. जिनमें प्राथमिक 1281, मिडिल 491, हाईस्कूल 66, हायर सेकेण्डरी स्कूल 119 है. जिनमें 1 लाख 35 हजार बच्चें अपना भविष्य गढ़ने आते हैं. इन स्कूलों में 1211 पद आज भी खाली है. 35 हाई स्कूल एवं 33 हायर सेकेण्डरी स्कूल ऐसे हैं जहां अपना भवन नहीं है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चे कैसे पढाई करते होगें.