रामकुमार यादव, अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले से भ्रष्टाचार और लापरवाही का एक नया मामला सामने आया है। अंबिकापुर नगर निगम क्षेत्र के नेहरू वार्ड में बनाई गई सड़क महज दो दिन में उखड़ने लगी है। सड़क उखड़ने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे नगर निगम और ठेकेदार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्षों से खराब पड़ी सड़क को अब जाकर लगभग 60 लाख रुपये की लागत से बनाया गया था, लेकिन घटिया सामग्री के इस्तेमाल के कारण यह दो दिन भी नहीं टिक सकी। इससे वार्डवासियों में भारी आक्रोश है।

स्थानीय निवासी बबन सोनी ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि यह सत्तीपारा की सड़क सालों से खराब थी। कितने सालों से खराब सड़क पर आम जनता जूझ रही है, उस पर चल रही है, गिर रही है, मर रही है, हाथ-पैर तुड़वा रही है। सालों बाद 60 लाख रुपये का बजट आया है। यह 60 लाख रुपये की सड़क कलेक्ट्रेट के पास बनी है, जहां जिले के प्रमुख अधिकारीयों के कार्यालय हैं। भाजपा कार्यालय भी वहीं पर है। सड़क परसों बनी थी और कल ही उखड़ गई। आज सुबह मैंने खुद देखा, पैर से हल्का-सा रगड़ा तो पूरा हिस्सा उखड़ गया। यह 60 लाख रुपये की लागत से बनी सड़क नगर निगम अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत का परिणाम है। घटिया मटेरियल का इस्तेमाल कर आम जनता के पैसों का बंदरबांट किया जा रहा है। नतीजा यह है कि सड़क निर्माण मानक स्तर से नीचे किया गया है। आम जनता को दरकिनार कर पूरा पैसा खाने का काम किया गया है।

नगर निगम एमआईसी सदस्य (पीडब्ल्यूडी) मनीष सिंह ने मौके पर पहुंचकर सड़क का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया सुबह सूचना मिली कि रोड का निर्माण गुणवत्ता के अनुसार नहीं हुआ है। निरीक्षण में यह बात सही पाई गई। जिसके बाद ठेकेदार और इंजीनियर को मौके पर बुलाकर तत्काल निर्देश दिया गया है कि ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

उन्होंने आगे कहा कि हम खुद भी इस सड़क से रोज गुजरते हैं, जनता की तरह हमें भी परेशानी होती है। हमने निर्देश दिए हैं कि सड़क की पूरी जांच की जाएगी। यदि नीचे की परत भी खराब पाई गई, तो उसे भी दोबारा बनाया जाएगा।

एमआईसी सदस्य मनीष सिंह ने स्पष्ट किया कि महापौर ने पहले ही बोला था कि क्वालिटी में कोई भी कंप्रोमाइज नहीं होगा, उसके बावजूद अगर ठेकेदार ऐसा कर रहे हैं तो उसका खामियाजा ठेकेदार को भुगतना पड़ेगा। अगर सड़क सही नहीं बनाएंगे तो दोबारा बनाने का खर्च उनके ही माथे जाएगा।

वीडियो वायरल होने के बाद इंजीनियरों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे मौके पर पहुंचकर सड़क का निरीक्षण करें और जहां भी गुणवत्ता में कमी मिले, वहां तुरंत सुधार कार्य शुरू करें।