TCS Valuation Drop: भारत की सबसे प्रतिष्ठित टेक कंपनियों में से एक टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), जिसने दो दशकों तक आईटी सेक्टर पर दबदबा बनाए रखा, अब अपनी चमक खोती हुई दिखाई दे रही है. ऐसा पहली बार हुआ है कि इन्फोसिस और HCL टेक जैसी कंपनियां वैल्यूएशन के मामले में TCS से आगे निकल गई हैं.

कभी अपनी प्राइसिंग पावर और तेज ग्रोथ के दम पर इंडस्ट्री को लीड करने वाली TCS का PE Ratio अब 22.5 गुना रह गया है, जबकि Infosys का PE – 22.9 गुना, HCL Tech का PE – 25.5 गुना हो गया है.

यह अंतर सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि इंडस्ट्री और निवेशकों का नजरिया TCS के प्रति बदल रहा है.

TCS Valuation Drop

TCS Valuation Drop

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क्या बदला? क्यों गिरा TCS का दबदबा

पिछले 14 साल में TCS का औसत P/E हमेशा इंडस्ट्री के औसत से करीब 15% ऊपर रहा है. यह कंपनी की ब्रांड वैल्यू, मजबूत कॉन्ट्रैक्ट पाइपलाइन और उच्च प्रॉफिट मार्जिन का प्रमाण था.

लेकिन पिछले एक वर्ष में TCS की ग्रोथ लगभग थम गई है, और यही निवेशकों की सबसे बड़ी चिंता है.

पिछले साल सितंबर में TCS का PE – 32.6 गुना था. अब यह गिरकर – 22.5 गुना रह गया है.

मार्केट एनालिस्ट साफ कह रहे हैं कि TCS की प्रॉफिट ग्रोथ कमजोर हुई है, मार्जिन दबाव में हैं और बड़े क्लाइंट डील्स में भी कमी आई है.

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मार्केट कैप का बड़ा झटका – ₹4.5 लाख करोड़ का नुकसान (TCS Valuation Drop)

TCS की सबसे बड़ी गिरावट उसकी मार्केट कैप में दिखाई देती है. एक साल पहले कंपनी का मार्केट कैप – ₹15.44 लाख करोड़ था. नवंबर 2025 आते-आते यह गिरकर – ₹11.3 लाख करोड़ रह गया.

यानी TCS ने ₹4.5 लाख करोड़ से अधिक मूल्य गंवा दिए, जो कई बड़ी कंपनियों की कुल वैल्यू के बराबर है.

2020 में निफ्टी की टॉप 5 आईटी कंपनियों में TCS की हिस्सेदारी 55% थी. आज यह घटकर 43.4% रह गई है. गिरावट सिर्फ आंकड़ों में नहीं है, बल्कि प्रतिष्ठा में भी दर्ज हो चुकी है.

आईटी सेक्टर में सुस्ती, लेकिन सबसे बड़ा असर TCS पर क्यों

कोविड के बाद दुनिया भर में टेक सेक्टर धीमा पड़ा. कंपनियों ने खर्च कम किए, यूरोप की अर्थव्यवस्था कमजोर हुई और डील्स की गति धीमी हो गई.

लेकिन इसी मुश्किल माहौल में भी HCL लगातार नई डील्स जीत रहा है और Infosys ने अपनी डिजिटल सर्विसेज को मजबूत किया है. वहीं दूसरी ओर, TCS की ग्रोथ लगभग स्थिर बनी हुई है.

सबसे बड़ा झटका: P/E Ratio 2021 में 38.2 गुना था, जो अब गिरकर 22.5 गुना रह गया है.

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BFSE सेक्टर का उभार – आईटी क्यों पीछे छूटा (TCS Valuation Drop)

मार्केट का झुकाव भी बदल रहा है. अब बैंकिंग, फाइनेंस और बीमा (BFSE) सेक्टर निफ्टी 50 में पहले से मजबूत स्थिति में है.

दिसंबर 2023 वेटेज – 34.5%
नवंबर 2025 वेटेज – 35.4%

यह तीन साल का उच्च स्तर है, और यह दर्शाता है कि निवेशकों का भरोसा आईटी की बजाय BFSI सेक्टर में बढ़ रहा है.

एक्सपर्ट की राय – “TCS का परफॉर्मेंस 4 क्वार्टर से कमजोर”

इक्विनॉमिक्स रिसर्च के सीईओ G. चोक्कालिंगम के अनुसार “पिछली चार तिमाहियों में TCS की प्रॉफिट ग्रोथ काफी धीमी रही है. मार्जिन घटे हैं, डील्स कमजोर हुई हैं और प्रतिस्पर्धियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है.”

आंकड़े भी यही कहते हैं, TCS की साल-दर-साल नेट प्रॉफिट ग्रोथ – 4.4%, टॉप 5 आईटी कंपनियों की ग्रोथ – 6%

यानी सेक्टर रिकवर हो रहा है, लेकिन TCS उतनी तेजी से रिकवर नहीं कर पा रहा. एनालिस्ट मानते हैं कि अगली तिमाही में भी TCS की ग्रोथ रेंज कमजोर ही दिखेगी.

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क्या TCS की बादशाहत खत्म हो गई (TCS Valuation Drop)

TCS के लिए यह सिर्फ वैल्यूएशन की गिरावट नहीं है, बल्कि यह स्पष्ट संकेत है कि मार्केट अब उसे पहले जैसा प्रीमियम देने को तैयार नहीं है.

दूसरी तरफ, Infosys और HCL Tech बेहतर मार्जिन, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और मजबूत डील्स की बदौलत वैल्यूएशन की दौड़ में TCS से आगे निकल चुके हैं.

क्या यह TCS के लिए मुश्किल दौर की शुरुआत है? या कंपनी दोबारा अपने पुराने मुकाम पर लौटेगी? इसका जवाब आने वाले दो से तीन क्वार्टर में मिल सकता है.

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