भारत की सैन्य शक्ति को मजबूत करने वाले अमेरिकी अपाचे हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी में तुर्की ने बड़ा रोड़ा अटकाया है। बोइंग कंपनी से भारतीय सेना के लिए ऑर्डर किए गए छह AH-64E अपाचे हेलीकॉप्टरों में से तीन जुलाई 2025 में सफलतापूर्वक भारत पहुंच चुके थे, लेकिन शेष तीन की डिलीवरी नवंबर में अचानक रुक गई। सूत्रों के अनुसार, यह खेल सीधे तुर्की की राजधानी अंकारा से जुड़ा है, जहां से पाकिस्तान वर्षों से भारत विरोधी गतिविधियां चला रहा था, अब वही भूमिका राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन का तुर्की निभा रहा है।
डिलीवरी में अड़ंगा: विमान बीच रास्ते से लौटा
प्लेन स्पॉटर @KiwaSpotter की रिपोर्ट के मुताबिक, 30 अक्टूबर को यूक्रेन का भारी मालवाहक विमान An-124 (सीरियल नंबर UR-82008) जर्मनी के लीपजिग से उड़ान भरकर अमेरिका के एरिजोना स्थित मेसा गेटवे हवाई अड्डे पर पहुंचा। यहां तीन अपाचे हेलीकॉप्टरों को लोड किया गया, जो भारतीय सेना के रंग में रंगे हुए थे। तस्वीरों में हेलीकॉप्टरों को विमान पर लादते हुए साफ दिखाया गया है।
1 नवंबर को विमान मेसा गेटवे से उड़ा और इंग्लैंड के ईस्ट मिडलैंड्स हवाई अड्डे पर उतरा, जहां यह आठ दिनों तक रुका रहा। 8 नवंबर को भारत की ओर आगे बढ़ने की बजाय, कार्गो एयरक्राफ्ट N2O124 अपने लोड सहित अमेरिका वापस लौट गया। कारण बताया गया – “अज्ञात लॉजिस्टिक मुद्दे”। लेकिन यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट में विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से खुलासा हुआ कि इंग्लैंड में एक हफ्ते फंसे रहने के बाद तुर्की ने अपने एयरस्पेस की क्लियरेंस वापस ले ली। सूत्र ने स्पष्ट कहा कि मंजूरी रोके जाने का कारण “भारत और तुर्की के बीच संबंधों की वर्तमान स्थिति” है। वापसी पर अपाचे हेलीकॉप्टरों को An-124 से उतारकर F-250 ट्रकों से अमेरिकी हवाई अड्डे पर ले जाया गया।
मई 2025 में हुए चार दिवसीय युद्ध के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान के साथ खुला गठबंधन किया, जिसने दोनों देशों के संबंधों को नए निचले स्तर पर पहुंचा दिया। अंकारा ने न केवल पहलगाम आतंकी हमले के बदले शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सार्वजनिक निंदा की, बल्कि इस्लामाबाद को दर्जनों ड्रोन सहित सैन्य सहायता भी मुहैया कराई।
तुर्की और पाकिस्तान घनिष्ठ सहयोगी रहे हैं। एर्दोगन ने 2019 से संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में कश्मीर का बार-बार जिक्र कर इसे “शांति के लिए खतरा” बताया, जिसे भारत ने अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप माना। ऑपरेशन सिंदूर में तुर्की का पाकिस्तान समर्थन संबंधों में बची कसर पूरी कर दी। विशेषज्ञों का मानना है कि लाल किले पर धमाकों से लेकर अपाचे डिलीवरी रोकने तक, सबूतों की डोर अंकारा तक जा रही है।
बोइंग के प्रवक्ता ने घटना को लॉजिस्टिक समस्या बताया, लेकिन सूत्रों की मानें तो यह राजनयिक दबाव का नतीजा है। भारतीय सेना की एविएशन विंग के लिए ये अपाचे महत्वपूर्ण हैं, और इस देरी से रक्षा तैयारियों पर असर पड़ सकता है। भारत सरकार ने अभी आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि वैकल्पिक रूट्स पर विचार हो रहा है।
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