रायपुर। छत्तीसगढ़ की धरती सदैव ऐसे व्यक्तित्वों से समृद्ध रही है, जिन्होंने अपनी कर्मनिष्ठा, उद्यमशीलता और परोपकार से समाज को नई दिशा दी। इन्हीं विभूतियों में एक नाम अत्यंत आदर और गर्व से लिया जाता है — सुभाष चंद अग्रवाल, जिन्हें समाज “दानवीर भामाशाह” के रूप में जानता है। न्यूज़ 24 एमपीसीजी और लल्लूराम डॉट कॉम के सलाहकार संपादक संदीप अखिल से विशेष बातचीत में सुभाष चंद अग्रवाल जी ने अपने जीवन, व्यवसाय और समाज सेवा की प्रेरणादायक यात्रा साझा की। इस साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “व्यवसाय में अर्जित लाभ तभी सार्थक है जब उसका उपयोग समाज की भलाई में किया जाए। सच्ची संपत्ति वही है जो दूसरों के काम आए।”

प्रारंभिक जीवन : संस्कारों से संवरती एक प्रेरक यात्रा

सुभाष चंद अग्रवाल का जन्म 16 जून 1958 को रायगढ़ जिले के खरसिया में हुआ। उनके पिता स्व. श्री निरंजन लाल अग्रवाल और माता स्व. श्रीमती गंगा देवी अग्रवाल ने उन्हें बचपन से ही अनुशासन, सादगी और सेवा के संस्कार दिए।
साक्षात्कार में उन्होंने स्मरण करते हुए कहा, “मेरे माता-पिता ने सिखाया कि परिश्रम और ईमानदारी से कमाया गया धन ही सुख देता है, और समाज के लिए किया गया कार्य ही जीवन को अर्थपूर्ण बनाता है।”

उन्होंने रायपुर के दुर्गा कॉलेज से बी.कॉम की पढ़ाई की और गोल्ड मेडलिस्ट रहे। छात्र जीवन में ही नेतृत्व और कर्मठता उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन चुके थे। आज वे अपनी धर्मपत्नी श्रीमती शोभा देवी अग्रवाल के साथ रायपुर के वीआईपी रोड स्थित “नीरगंगा” निवास में रहते हैं, जहाँ पारिवारिक सादगी और आपसी सहयोग उनका जीवन मंत्र है।

व्यवसायिक सफलता की कहानी : बंदना ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज

सुभाष चंद अग्रवाल ने व्यवसायिक जगत में अपनी पहचान आयरन और स्टील उद्योग के माध्यम से बनाई। वे बंदना ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज, रायपुर के संस्थापक और प्रमुख संचालक हैं।
उन्होंने साक्षात्कार में कहा, “व्यवसाय मेरे लिए केवल लाभ का साधन नहीं, बल्कि रोजगार और विकास का माध्यम है। जब किसी उद्योग से सैकड़ों परिवारों का जीवन सुधरता है, तभी वह सच्चा उद्योग कहलाता है।”

उनके नेतृत्व में यह समूह आज छत्तीसगढ़ और देश दोनों स्तरों पर औद्योगिक विकास का पर्याय बन चुका है। उनके द्वारा स्थापित औद्योगिक इकाइयों ने राज्य में हजारों युवाओं को रोजगार प्रदान किया और रायपुर को स्टील राजधानी के रूप में सशक्त पहचान दी।

समाज सेवा और दानशीलता : परोपकार की मिसाल

सुभाष चंद अग्रवाल का मानना है kf “समाज से मिला धन समाज को लौटाना ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए।”
इसी भावना से उन्होंने अनेक सामाजिक और धार्मिक संस्थानों के माध्यम से परोपकार के कार्य किए हैं।

श्री रामस्वरूपवास निरंजन लाल चैरिटेबल ट्रस्ट

साल 2003 में स्थापित इस ट्रस्ट के तहत रायपुर में एक विशाल धर्मशाला का निर्माण किया गया। इसमें 190 वातानुकूलित बिस्तर, दो बड़े एसी हॉल (6000 और 6500 वर्गफुट) तथा आधुनिक लॉन की सुविधा है।
उन्होंने बताया —
“यह धर्मशाला किसी भी सामाजिक, धार्मिक या पारिवारिक कार्यक्रम के लिए निःशुल्क उपलब्ध है। हमारा उद्देश्य है कि जरूरतमंद व्यक्ति को सुविधाएँ बिना किसी आर्थिक बोझ के मिल सकें।”

गंगा डायग्नोस्टिक एंड मेडिकल रिसर्च सेंटर प्रा. लि.

साल 2013 में रायपुर के पचपेड़ी नाका क्षेत्र में इस आधुनिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की गई। यहाँ MRI, 128 Slice CT Scan, सोनोग्राफी, एक्स-रे, ईसीजी, टीएमटी, मैमोग्राफी, पैथोलॉजी और RTPCR लैब जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
उन्होंने बताया,
“हमारी कोशिश है कि आम नागरिक को बेहतर स्वास्थ्य सेवा आधे मूल्य पर मिले। प्रतिदिन 400-600 मरीज यहाँ जांच कराते हैं और हर साल करीब 10 करोड़ रुपये की राशि जनता को राहत के रूप में लौटाई जाती है।”

    धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव

    सुभाष चंद अग्रवाल की सेवाएँ धर्म, शिक्षा और समाज सेवा के हर क्षेत्र में समान रूप से फैली हैं। वे निम्न संस्थाओं से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं –
    • श्याम मंदिर, रायपुर – संरक्षक

    • श्री कल्याण सेवा आश्रम, अमरकंटक – ट्रस्टी

    • अग्रसेन भवन, खरसिया – ट्रस्टी

    • श्री राणीसती मंदिर, रायपुर – ट्रस्टी

    • अग्रसभा, रायपुर – सलाहकार

    • श्री महावीर गौशाला, मौदहापारा, रायपुर – कार्यकारिणी सदस्य

    • जवाहर नगर व श्री जगन्नाथ मंदिर, रायपुर – सदस्य

    • अग्रसेवा सोसाइटी व महाराजा अग्रसेन ट्रस्ट महाविद्यालय, रायपुर – संरक्षक

    उन्होंने कहा —
    “धार्मिक संस्थाएँ समाज के नैतिक स्तंभ हैं। जब व्यक्ति धर्म और सेवा के साथ चलता है, तो समाज अपने आप आगे बढ़ता है।”

    उद्योग जगत में नेतृत्व और नीति निर्माण

    व्यवसायिक योगदान के साथ-साथ सुभाष चंद अग्रवाल ने उद्योग जगत के संगठनों में भी अग्रणी भूमिका निभाई। वे निम्न प्रमुख पदों पर रहे हैं —
    • All India Induction Furnace Association – वाइस प्रेसिडेंट

    • All India Steel Re-Roller Association – एग्जीक्यूटिव मेंबर

    • Chhattisgarh Steel Chamber – संस्थापक एवं पूर्व चेयरमैन

    • Chhattisgarh Steel Re-Roller Association – Past President

    • Raipur Iron & Steel Traders Association – संरक्षक

    • Urla Industrial Association – एग्जीक्यूटिव मेंबर

    • Chhattisgarh Udyog Mahasangh – सदस्य


    उन्होंने साक्षात्कार में कहा, “उद्योग केवल निजी संपत्ति नहीं, बल्कि प्रदेश की आर्थिक रीढ़ है। यदि हम मिलकर नीति निर्माण में सहयोग करें, तो छत्तीसगढ़ देश का अग्रणी औद्योगिक राज्य बन सकता है।”

    राष्ट्रीय सम्मान : ‘दानवीर भामाशाह’ का अलंकरण

    समाज और उद्योग दोनों क्षेत्रों में उनके असाधारण योगदान को देखते हुए 6 नवम्बर 2024 को भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ द्वारा उन्हें ‘दानवीर भामाशाह सम्मान’ से अलंकृत किया गया।
इस अवसर को याद करते हुए उन्होंने कहा,
    “यह सम्मान केवल मेरा नहीं, बल्कि उन सभी लोगों का है जिन्होंने मेरे साथ समाज सेवा की राह पर कदम बढ़ाया।”

    जीवन दर्शन और प्रेरणा

    सुभाष चंद अग्रवाल का जीवन इस बात का प्रमाण है कि उद्योग और समाज सेवा एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने व्यवसाय को सामाजिक उत्थान का माध्यम बनाया और सेवा को जीवन का उद्देश्य।
उनकी सोच है, “व्यक्ति तभी सफल है जब उसकी सफलता से दूसरों का जीवन संवर सके।”

    वे आज न केवल छत्तीसगढ़ के सफल उद्योगपति हैं, बल्कि समाज के ऐसे दानवीर हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति, समय और ऊर्जा समाज की भलाई के लिए समर्पित कर दी।

    प्रेरक विरासत का प्रतीक

    संदीप अखिल से बातचीत के दौरान सुभाष चंद अग्रवाल के शब्दों में एक गहरी विनम्रता और दृढ़ विश्वास झलकता है। वे कहते हैं, “मुझे गर्व है कि मैं उस भूमि से हूं जहाँ भामाशाह जैसे दानवीरों की परंपरा रही है। मेरा प्रयास है कि मैं उस परंपरा को आधुनिक रूप में आगे बढ़ा सकूं।”

    उनका जीवन यह संदेश देता है कि व्यवसाय में सफलता और समाज सेवा का संगम ही वास्तविक उपलब्धि है।
छत्तीसगढ़ के इस “दानवीर भामाशाह” की कहानी न केवल प्रेरक है, बल्कि यह साबित करती है कि जब एक व्यक्ति अपने जीवन को जनकल्याण के लिए समर्पित कर देता है, तब वह स्वयं समाज की अमर विरासत बन जाता है।