भोपाल। बिहार चुनाव में NDA की आंधी ने पूरे महागठबंधन को उड़ा दिया। चुनावी माहौल के दौरान चले MY (मुस्लिम+यादव) फैक्टर में एमपी के सीएम MY (मोहन यादव) ने सेंध लगा दी। बिहार वासियों को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री लालू, तेजस्वी और अखिलेश यादव से ज्यादा भा गए। नतीजा यह रहा कि NDA ने विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया। साथ ही सीएम डॉ. मोहन ने आरजेडी का परंपरागत वोट बैंक तोड़ दिया।
NDA की सफलता में मोहन यादव फैक्टर हुआ कारगर साबित
बिहार में एनडीए की सफलता में भी मोहन यादव फैक्टर कारगर साबित हुआ। यादव वोटों में तेजस्वी जैसा ध्रुवीकरण नहीं हुआ। चुनाव में मोदी की लोकप्रियता और मोहन यादव का प्रभाव, बिहार में एनडीए के लिए सकारात्मक समीकरण बना। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सक्रियता से बिहार में भाजपा को सामाजिक संतुलन मिला और तेजस्वी का यादव कार्ड नहीं चला।
सीएम के प्रचार वाली सीटों में नहीं चला तेजस्वी का जादू
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जिन सीटों पर प्रचार कर एनडीए का मनोबल बढ़ाया, वहां यादव वोटों में तेजस्वी का जादू नहीं चल सका। इस दौरान मोदी की लोकप्रियता के साथ मोहन यादव का मैदानी असर भी दिखा जिससे एनडीए के नतीजे उम्मीद से बेहतर बने।
मोदी-यादव की डबल इफेक्ट से बिहार में NDA की जीत
मोदी+यादव की डबल इफेक्ट से बिहार में एनडीए की जीत हुई। वहीं समाज का विश्वास विकास पर कायम रहा। तेजस्वी के जातीय एजेंडे पर मोहन यादव का समरसता मंत्र चला, जिससे बिहार में एनडीए को बड़ा लाभ मिला। यादव समाज ने विकास पर भरोसा दिया और मोहन यादव की सादगी और मोदी की लोकप्रियता ने फर्क बनाया।
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