पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने जहां एनडीए खेमे में खुशी की लहर दौड़ा दी, वहीं प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज के लिए यह नतीजे किसी बड़े झटके से कम नहीं रहे। राज्य की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने के बावजूद जनसुराज एक भी सीट नहीं जीत सकी और राजनीतिक अखाड़े में उसे गहरी चोट लगी।

एनडीए की बंपर जीत, महागठबंधन की निराशा

चुनाव आयोग द्वारा घोषित परिणामों में एनडीए को 202 सीटों के साथ भारी बहुमत मिला, जबकि महागठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया। इस भारी-भरकम मुकाबले में जनसुराज का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा। पार्टी के खराब प्रदर्शन पर अब भीतर ही भीतर सवाल उठ रहे हैं-रणनीति क्या सही थी? क्या संदेश जनता तक नहीं पहुंचा?

घबराने की जरूरत नही, उदय सिंह का बयान, हार के दो बड़े कारण गिनाए

जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने चुनाव परिणामों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पार्टी को इस हार से विचलित होने की जरूरत नहीं है।
उनके मुताबिक जनसुराज को मिली हार के दो प्रमुख कारण रहे-

  1. चुनाव के दौरान पैसों का भारी खेल
    उदय सिंह का आरोप है कि मतदान से ठीक पहले एनडीए की ओर से बड़े पैमाने पर पैसे बांटे गए, जिसका असर वोटिंग पैटर्न पर साफ दिखा। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में आम मतदाता प्रभावित हुआ और चुनाव का परिणाम इसकी तरफ झुक गया।
  2. आरजेडी के शासन का ‘डर फैक्टर’
    उदय सिंह के अनुसार पार्टी का पारंपरिक वोट बैंक इस बार एनडीए की ओर खिसक गया। उनका कहना है कि मतदाताओं में यह भय फैलाया गया कि अगर एनडीए कमजोर हुआ तो आरजेडी का शासन वापस आ सकता है, और इसी कारण उनका आधार वोट दूसरी तरफ मुड़ गया।

मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन उम्मीद से कम-उदय सिंह का दावा

जब पूछा गया कि क्या मुस्लिम वोटर्स ने जनसुराज का साथ नहीं दिया, तो उदय सिंह ने खुलकर स्वीकार किया कि जिस समर्थन की कल्पना की गई थी, वह नहीं मिला। उन्होंने कहा कि यह स्थिति भविष्य में बदलेगी क्योंकि उनकी पार्टी लगातार अपराध, भ्रष्टाचार और शासन की पारदर्शिता जैसे मुद्दे उठाती रहेगी।

जनसुराज की आगे की रणनीति

उदय सिंह ने भरोसा जताया कि पार्टी अभी शुरुआती दौर में है और संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम तेज होगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जनसुराज जनता के बीच अपनी पकड़ और मजबूत करेगा और मुद्दा-आधारित राजनीति को आगे बढ़ाएगा।