हेमंत शर्मा, इंदौर। जिला प्रशासन में इन दिनों एक नए साहब की कार्यशैली को लेकर माहौल गर्म है। कुछ ही महीनों पहले इंदौर में पदस्थ हुए अपर कलेक्टर नवजीवन पंवार को निर्वाचन की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन काम संभालते ही उनकी शैली से अफसरों और कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। 

सूत्रों के मुताबिक अपर कलेक्टर नवजीवन पंवार अब एसआईआर के काम में ऐसे जुटे हैं जैसे पूरे जिले के वे खुद ही सर्वोच्च अधिकारी हों। जिस तरह के निर्देश वे दे रहे हैं, वे कई बार इतने अव्यवहारिक होते हैं कि विभागीय कर्मचारी पूरा करना तो दूर, समझ भी नहीं पाते कि ऐसा संभव कैसे होगा। लेकिन साहब का एक ही जवाब होता है ‘जो कहा है, कर लो… नहीं तो देख लूंगा।’

 इस कार्यशैली से तंग आकर कई कर्मचारी पहले भी कलेक्टर से शिकायत कर चुके हैं। कलेक्टर शिवम वर्मा अपनी सहज और समझदारी भरी शैली से टीम को संभाल लेते हैं। पर जैसे ही माहौल शांत होता है, अपर कलेक्टर फिर वही दबाव वाली भाषा शुरू कर देते हैं। दो दिन पहले भी कलेक्टर ने अपनी टीम का मनोबल बढ़ाया था, लेकिन उसके बाद फिर से एडीएम उसी अंदाज़ में टूट पड़े। 

प्रशासनिक जानकार मानते हैं कि किसी भी बड़े काम में सफलता तभी मिलती है जब टीम का मनोबल बढ़ाया जाए, न कि उसे डराकर काम करवाया जाए। एक ओर कलेक्टर शिवम वर्मा प्रेम और संवाद से जरूरी काम करवा रहे हैं। वहीं एडीएम पंवार हर दिन नया विवाद खड़ा कर दे रहे हैं। इंदौर जैसे शहर में काम प्रेम, सहयोग और टीमवर्क से चलता है, जबरदस्ती से नहीं। अब जरूरत है कि वह अपनी कार्यशैली पर खुद ही थोड़ा विचार करें, क्योंकि इंदौर में आदेश से ज्यादा संवाद चलता है।

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