भिलाई। कांग्रेस ने इस बार प्रवक्ताओं का चयन नए तरीके से करने का फैसला किया है। पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर अपने पहले नेशनल टैलेंट हंट प्रोग्राम की शुरुआत कर दी है, जिससे दुर्ग ग्रामीण व शहर और भिलाई शहर जिला संगठन के युवाओं में भी खासा उत्साह है। यह कार्यक्रम केवल औपचारिक चयन प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक ऐसी प्रतिस्पर्धा है जिसमें प्रतिभागियों की राजनीतिक समझ, वक्तृत्व कला, संवाद क्षमता, मीडिया हॅडलिंग और त्वरित प्रतिक्रिया जैसी क्षमताओं को कठोर कसौटी पर परखा जाएगा।
टैलेंट हंट के लिए 20 नवंबर तक ऑनलाइन आवेदन लिए जा रहे हैं। इसके बाद 21 से 25 नवंबर के बीच आवेदनों की स्क्रीनिंग, 25 से 30 नवंबर तक रीजनल स्तर पर फिजिकल इंटरव्यू 1 से 5 दिसंबर के बीच गहन इंटरव्यू एवं पैनल डिस्कशन होंगे। हर चरण में उम्मीदवारों की राजनीतिक जागरूकता, मीडिया की समझ, इतिहास और वर्तमान घटनाओं का ज्ञान, त्वरित प्रतिक्रिया देने की क्षमता, कांग्रेस की विचारधारा से जुड़ाव और मुद्दों को स्पष्ट रूप से रखने की कला को परखा जाएगा।

इधर दुर्ग जिले में भी इसकी तैयारियां तेज हैं। पूर्व महापौर नीता लोधी को दुर्ग जिला प्रभारी नियुक्त किया गया है। वहीं जिला आयोजन समिति में कांग्रेस प्रवक्ता नासिर खोखर, जावेद खान, आशीष यदु और हेमा साहू को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये सभी जिले में आवेदकों से मुलाकात करेंगे, उनका साक्षात्कार लेंगे और चयन प्रक्रिया को व्यवस्थित तरीके से पूरा कराएंगे। नीता ने कहा है कि दुर्ग सहित प्रदेशभर में कांग्रेस के इस टैलेंट हंट ने युवाओं में नई ऊर्जा भर दी है, और पार्टी को भी उम्मीद है कि इसी प्रक्रिया से भविष्य के दमदार प्रवक्ता तैयार होंगे।
इस कार्यक्रम की खासियत यह है कि इसमें युवा, छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता, नए-पुराने कार्यकर्ता सभी को एक समान अवसर मिल रहा है। अगर कोई पार्टी का सदस्य नहीं है, लेकिन कांग्रेस की विचारधारा को मानते, समझते हैं, वे भी इस प्रतिस्पर्धा में शामिल हो सकते हैं।
नीता का कहना है कि यह देश में प्रवक्ता चयन की पहली ऐसी वैज्ञानिक और बहु स्तरीय प्रक्रिया है, जो प्रतिभा को प्राथमिकता देगी, न कि सिफारिश को। 7 नवंबर को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने इसका शुभारंभ करते हुए कहा कि पार्टी अब ऐसे प्रवक्ता तैयार करेगी जो न सिर्फ मुद्दों को समझें, बल्कि जनता तक सही जानकारी प्रभावी ढंग से पहुंचाने में सक्षम हों। इसलिए चयन प्रक्रिया को आधुनिक, पारदर्शी बनाया है।
अज्ञात वाहन की टक्कर से युवक की मौत
दुर्ग। डी मार्ट पोटिया दुर्ग के सामने थाना पुलगांव में अज्ञात वाहन चालक ने अपनी चपेट में ले लिया लिया उसकी टक्कर से युवक की घटना में मौत हो गई। पुलिस के अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया है। पुलगांव थाना प्रभारी अमित अंदानी ने बताया कि घटना स्थल के आसपास के सीसीटीवी फुटेज को खंगाल गया है, परंतु रात की घटना होने के कारण कैमरे में स्पष्ट नजर नहीं आ रहा है। अज्ञात वाहन चालक की तलाश में टीम लगी हुई है।
पुलिस ने बताया कि मृतक देवेश अग्रवाल (30 वर्ष) पिता शिव अग्रवाल निवासी राजीव नगर झंडा चौक दुर्ग का रहने वाला था। 13 नवंबर की रात 8 करीब परिजनों को घूम कर आने की बात कह कर अपने दुपहिया वाहन से निकला था। पोटिया चौक से पुलगांव चौक के डी-मार्ट के पास अज्ञात वाहन उसे कुचलकर फरार हो गया। पुलिस ने उसे तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
जानकारी के मुताबिक, देवेश की शादी दो साल पहले हुई थी और उनकी 11 महीने की एक बेटी है। रात 10 बजे जब परिजनों ने उसे फोन किया तो मोबाइल स्विच ऑफ मिला था। फोन नहीं लगने पर परिजन चिंतित हो गए और देवेश को ढूंढने के लिए घर के आसपास और परिचितों से पूछताछ शुरू की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली।
पुलगांव पुलिस ने परिवार वालों को बताया कि देवेश को एक गंभीर दुर्घटना में घायल अवस्था में अस्पताल लाया गया है। परिजन तत्काल अस्पताल पहुंचे, जहां पुलिस ने उन्हें देवेश की मौत की पुष्टि की। हादसे में देवेश का सिर बुरी तरह कुचल गया था, जिससे चेहरे से पहचान करना मुश्किल हो रहा था। उनकी पहचान हाथ पर लिखे नाम से की गई। घटना रात 11 बजे के आसपास की है।
भण्डेरा में अवैध लाल ईंट निर्माण जारी
देवरीबंगला। लाल ईंट का निर्माण पूर्णतः अवैध होने के बावजूद बड़े पैमाने पर इसका संचालन लगातार जारी है। किसानों की फसलों को हो रहे नुकसान और रहवासी क्षेत्र में वातावरण प्रदूषित होने से ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। छह माह पूर्व शिकायत के बाद भी प्रभावी कदम न उठाए जाने से प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं।
ग्राम भण्डेरा निवासी भूपेश यादव सहित कई ग्रामीणों ने 13 मई 2025 को कलेक्टर जनदर्शन में आवेदन देकर अवैध ईंट निर्माण रोकने की मांग की थी। ग्रामीणों ने बताया कि बाहरी व्यक्तियों ने स्थानीय किसानों से भूमि लेकर वहां अवैध रूप से लाल ईंट का निर्माण आरंभ किया।
विदित है कि लाल ईंट का व्यावसायिक उत्पादन प्रतिबंधित है। किसान अपनी आवश्यकतानुसार सीमित मात्रा में ईंट बना सकता है किन्तु भट्ठा चलाकर बड़े पैमाने पर निर्माण करना कानूनन वर्जित है। निर्माण से निकलने वाली काली राख एवं धुआं आसपास के परिवारों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं तथा सब्जी एवं अन्य फसलों को बर्बाद कर रहे हैं।
ग्राम भण्डेरा निवासी भूपेश यादव सहित ग्रामीणों ने 13 मई 2025 को कलेक्टर जनदर्शन में आवेदन देकर अवैध ईंट निर्माण रोकने की मांग की थी। लगभग छह माह बाद 10 नवम्बर 2025 को तहसीलदार प्रीतम साहू ने पटवारी, सरपंच, पंच, कोटवार एवं आवेदकों की उपस्थिति में स्थल निरीक्षण कराया तथा निर्माण सामग्री जप्त कर सरपंच की सुपुर्दगी में देने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद भी स्थल पर अवैध निर्माण पूर्ववत चल रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि केवल स्थल निरीक्षण और प्रतिवेदन बनाकर औपचारिकता पूरी कर ली गई पर वास्तविक रोकथाम हेतु प्रभावी कदम नहीं उठाए गए। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से पुनः आग्रह किया है कि अवैध लाल ईंट निर्माण को तुरंत बंद कराया जाए, जिम्मेदार व्यक्तियों पर कठोर कार्रवाई की जाए तथा पंचायत स्तर की जवाबदेही भी तय की जाए, जिससे किसानों की फसलों एवं गांव के परिवेश की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
दस माह भी नहीं टिक पाई की दस लाख की सड़क
दल्लीराजहरा। शहर के प्रवेश द्वार पर ही भ्रष्टाचार अपना चोला पहनकर नागरिकों का स्वागत करता दिखाई देता है। चिखलाकसा पंचायत क्षेत्र में अटल चौक से नगर पंचायत मार्ग की दोनों ओर बनाई गई आरसीसी सड़क कुछ ही महीनों में खराब होने लगी है, जिससे निर्माण गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।
नगर पंचायत द्वारा करीब 10.30 लाख की लागत से इस सड़क का निर्माण कराया गया था। स्थानीय निवासियों के अनुसार सड़क के दोनों किनारों की सीमेंट परत उखड़ चुकी है, और कई स्थानों पर आरसीसी पूरी तरह टूटकर बिखर गई है। ग्रामीणों का कहना है कि इतनी कम अवधि में सड़क का जर्जर होना निर्माण कार्य में अनियमितता या निम्न स्तरीय सामग्री के उपयोग की ओर संकेत करता है।
पंचायत के अभियंता राकेश पाठक ने बताया कि सड़क पर भारी वाहनों के चलने से ऐसा हुआ है। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि सड़क के बीच कई स्थानों पर वृक्षारोपण किए जाने से बड़े वाहनों का गुजरना संभव ही नहीं है। यह मार्ग मुख्य डामर सड़क के दोनों ओर स्थित सहायक सड़क के रूप में उपयोग किया जाता है, जहां छोटे वाहन और पैदल आवागमन ही होता है। लेकिन सवाल यह है कि जब सड़क के बीचों-बीच पेड़ लगे हुए हैं, बड़े वाहनों का प्रवेश ही संभव नहीं है, तो फिर यह ‘ओवरलोडेड वाहन’ आए कहां से? क्या ये भी ‘कागजी वाहन’ थे। जैसे कई काम ‘कागजी’ होते हैं?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह कार्य एक स्थानीय ठेकेदार द्वारा कराया गया था, जो पत्रकारिता से भी जुड़ा हुआ है। ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण स्वीकृति और निरीक्षण के दौरान अपने पत्रकार होने का प्रभाव का उपयोग कर कार्य को पास कराया गया, जिसके चलते कमी के बावजूद कार्रवाई नहीं की गई। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए आने वाली राशि का उचित उपयोग होना चाहिए, ताकि जनता को गुणवत्तापूर्ण सुविधाएँ मिल सकें। वहीं वे इस पूरे मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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