वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। ईएसआईसी योजना में गरीब महिला पर हुई चिकित्सीय लापरवाही के मामले में हाईकोर्ट ने बिलासपुर के लालचंदानी अस्पताल और आरबी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की जांच रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. दोनों अस्पतालों ने गलत पैर का ऑपरेशन के बाद फिर जल्दबाजी में दूसरा ऑपरेशन भी कर दिया था.
यह भी पढ़ें : CG Breaking News : सुकमा में DRG जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़, 3 नक्सली के मारे जाने की खबर
कोर्ट ने पाया कि समिति न तो विधिसम्मत ढंग से गठित थी, और न ही नियमों में निर्धारित अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन किया गया था. इस कारण उसकी रिपोर्ट कानून की दृष्टि में किसी भी प्रकार की वैधता नहीं रखती. कोर्ट ने कलेक्टर को निर्देश दिया है कि नियम 18 के अनुरूप नई उच्चस्तरीय समिति गठित कर चार माह के भीतर जांच पूरी कराएँ.

याचिकाकर्ता शोभा शर्मा ने कोर्ट को बताया कि प्रारंभिक उपचार उन्होंने लालचंदानी अस्पताल दयालबंद में कराया, जहां से उन्हें ऑपरेशन हेतु आरबी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस बिलासपुर भेजा गया. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया, उनके उपचार के लिए उपयुक्त बाएं घुटने की बजाय डाक्टरों ने लापरवाहीपूर्वक दाएं घुटने का ऑपरेशन कर दिया.
इस गंभीर भूल पर आपत्ति जताने पर बिना समुचित तैयारी और आवश्यक चिकित्सा मूल्यांकन के जल्दबाजी में बाएं घुटने का भी ऑपरेशन कर दिया गया. दोनो ऑपरेशनों के बावजूद न तो उनकी समस्या दूर हुई और न ही दर्द में राहत मिली, बल्कि उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई और उन्हें लंबे समय से चल नहीं पा रही. इसके साथ ही शारीरिक अक्षमता और तीव्र पीड़ा का सामना भी करना पड़ रहा है.
मामले की शिकायत पर गठित चार सदस्यीय समिति ने दोनों अस्पतालों को क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने पाया कि यह समिति न तो कलेक्टर द्वारा विधिवत गठित की गई थी, और न ही इसका नेतृत्व डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी के हाथों में था, जो नियमों में अनिवार्य है. अदालत ने स्पष्ट कहा कि ऐसी रिपोर्ट का कोई कानूनी महत्व नहीं है, और इसे किसी निष्कर्ष का आधार नहीं बनाया जा सकता.
Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H

