मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन को लेकर तमिलनाडु सरकार अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। इससे पहले तमिलनाडु सरकार एक बिल लेकर आई थी जिसके तहत अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन के लिए NEET की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था। हालांकि, इस बिल पर राष्ट्रपति ने रोक लगा दी थी जिसे चैलेंज करते हुए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। इसपर मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि संविधान पीठ के फैसले के बाद ही इस याचिका पर सुनवाई होगी।

11 सितंबर को फैसला रखा था सुरक्षित

पीठ ने कहा, आपको राष्ट्रपति संदर्भ के परिणाम का इंतजार करना होगा। आपको मुश्किल से चार सप्ताह इंतजार करना है। यह संदर्भ 21 नवंबर (गवई के सेवानिवृत्त होने से पहले) तय होना है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 सितंबर को राष्ट्रपति संदर्भ पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इसमें सवाल किया गया था कि क्या संवैधानिक अदालतें राज्यपाल और राष्ट्रपति को राज्य विधायिकाओं से पारित विधेयकों पर मंजूरी देने के लिए समय सीमा निर्धारित कर सकती हैं। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने तर्क दिया कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की ‘सहायता और सलाह’ के बाद विधेयक को राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते। उनकी दलील थी कि राज्यपाल को संविधान के तहत तय सीमाओं का पालन करना चाहिए।

12वीं के स्कोर के आधार पर हो MBBS एडमिशन- राज्य सरकार

दरअसल, पूरा विवाद तमिलनाडु सरकार के ‘द तमिलनाडु एडमिशन टू अंडरग्रेजुएट मेडिकल डिग्री कोर्सेज बिल, 2021’ लाने के बाद शुरू हुआ। इस बिल के अनुसार अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज में NEET के बजाय 12वीं के स्कोर के आधार पर एडमिशन मिलेगा। इस बिल को केंद्र सरकार ने देखा और मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने कहा कि राष्ट्रपति ने सहमति देने से इनकार कर दिया है। तमिलनाडु गवर्नर ने राज्य सरकार को यह बात बताई जिसके बाद बिल पारित कराने की प्रक्रिया बंद हो गई।

NEET ग्रामीण और सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए नुकसानदेह

इस संबंध में तमिलनाडु सरकार का कहना था कि NEET ग्रामीण या सरकारी स्कूलों से आने वाले बच्चों के लिए नुकसान वाला ऑप्शन है। स्टेट असेंबली में यह बिल पास भी हुआ था। इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन डाली। इस पिटीशन को एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड मिशा रस्तोगी मोहता ने फाइल किया है। अब केस को सीनियर एडवोकेट पी-विलसन हैंडल करेंगे। इस पिटीशन के जरिए एंटी-NEET बिल को राष्ट्रपति के मंजूरी न देने वाले फैसले को चैलेंज किया गया है। तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से दरख्वास्त की है कि बिल को रोकने के फैसले को असंवैधानिक घोषित किया जाए और बिल को उसकी उपयोगिता के आधार पर देखने की अनुमति दी जाए।

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