बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद भारत में शरण लेने वाली पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पहली प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को ‘पूरी तरह पक्षपातपूर्ण, राजनीतिक रूप से प्रेरित और अवैध’ करार दिया है. सजा के ऐलान के बाद एक न्यूज चैनल को नई दिल्ली से दिए अपने पहले इंटरव्यू में 78 वर्षीय शेख हसीना ने कहा कि यह फैसला एक ‘फर्जी और तथाकथित अदालत’ का है जिसे कोई जनादेश प्राप्त नहीं है. वहीं शेख हसीना की पार्टी बांग्लादेश अवामी लीग ने फैसले के खिलाफ 18 नवंबर (कल) को देश में बंद का ऐलान किया है.

5 अगस्त 2024 से भारत में ली है शरण

हसीना ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘मैं खुद पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करती हूं. यह मुकदमा मेरी अनुपस्थिति में चला और मुझे न तो अपना बचाव करने का मौका दिया गया, न ही अपनी पसंद के वकील रखने की इजाजत दी गई.’ शेख हसीना 5 अगस्त 2024 से ही भारत में शरण लिए हुए हैं. उन पर पिछले साल के हिंसक छात्र आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाते हुए इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने उन्हें दोषी ठहराया है.

उन्होंने कहा, ‘आईसीटी में इंटरनेशनल जैसा कुछ भी नहीं है. यह ट्रिब्यूनल केवल अवामी लीग के सदस्यों को ही निशाना बना रहा है, जबकि विपक्षी दलों द्वारा की गई हिंसा को पूरी तरह नजरअंदाज कर रहा है.’ हसीना ने कहा, ‘दुनिया का कोई भी सम्मानित और पेशेवर कानूनविद् बांग्लादेश के इस ICT को मान्यता नहीं देगा. इसका मकसद बांग्लादेश की आखिरी चुनी हुई प्रधानमंत्री को सत्ता से हटाना और अवामी लीग को राजनीतिक रूप से खत्म करना है.’

यूनुस सरकार पर हसीना ने लगाए गंभीर आरोप

शेख हसीना ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर ‘असंवैधानिक तरीके से सत्ता हथियाने और चरमपंथी ताकतों के समर्थन’ का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यूनुस के शासन में छात्रों, कपड़ा उद्योग में काम करने वाले मजदूरों, डॉक्टरों और शिक्षकों के शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का दमन किया जा रहा है, कई जगह गोलीबारी हुई है और पत्रकारों को प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि मोहम्मद यूनुस समर्थकों ने पूरे देश में अवामी लीग नेताओं और कार्यकर्ताओं के सैकड़ों घरों, दुकानों और संपत्तियों को नष्ट कर दिया.

अंतरराष्ट्रीय अदालत में मुकदमा लड़ने को तैयार

इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल द्वारा बताए जा रहे 1,400 से ज्यादा मृतकों के आंकड़े को शेख हसीना ने खारिज करते हुए कहा कि खुद बांग्लादेश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सिर्फ 614 परिवारों को ‘शहीद’ का दर्जा देकर सहायता राशि दी है. उन्होंने ये भी आरोप लगाए कि अभियोजन पक्ष ने गवाहों पर दबाव बनाकर उनके बयान दर्ज किए हैं. हसीना ने कहा, ‘मैं किसी तटस्थ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अपने ऊपर लगे आरोपों के खिलाफ मुकदमा लड़ने को पूरी तरह तैयार हूं, जहां निष्पक्ष तरीके से सबूतों की जांच हो सके. यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार इसलिए इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) में मेरा केस नहीं जाने दे रही, क्योंकि उन्हें पता है कि वहां मैं बरी हो जाऊंगी.’

कोर्ट ने सुनाई है मौत की सजा

बांग्लादेश में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ सुनवाई हुई. इसमें कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुनाई, जिसके बाद कोर्ट में तालियां गूंज उठी. न्यायमूर्ति मोहम्मद गोलाम मुर्तुजा मोजुमदार की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय न्यायाधिकरण 453 पृष्ठों के फैसले को पढ़ने के बाद यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराया है और कहा कि उनके खिलाफ आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं.

पूर्व गृह मंत्री को भी मौत की सजा, IGP को 5 साल की जेल

कोर्ट ने कहा कि हसीना को सिर्फ एक सजा मिल सकती है और वह है मौत की सजा. हसीना के साथ उनके पूर्व गृह मंत्री असद-उज-जमां खान कमाल को हत्याओं का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई है. तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक (IGP) चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को 5 साल जेल की सजा हुई है. असदुज़्ज़मान भगोड़ा है जबकि मामून हिरासत में है और उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है. मामून सरकारी गवाह बना है.

हसीना पर लगे हैं कुल 5 आरोप

हसीना पर कुल 5 आरोप तय हैं. पहले में प्रतिवादियों पर हत्या, हत्या के प्रयास, यातना और अन्य अमानवीय कृत्य शामिल हैं.
दूसरे में प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए घातक हथियारों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोनों के इस्तेमाल का आदेश देना है.
तीसरे में 16 जुलाई को बेगम रोकेया विश्वविद्यालय के छात्र अबू सईद की हत्या, चौथे में 5 अगस्त को चंखरपुल में 6 निहत्थे प्रदर्शनकारियों की हत्या की साजिश और पांचवें में 5 प्रदर्शनकारियों की हत्याकर जिंदा जलाने का आरोप है.

बांग्लादेश हिंसा

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल हुई बांग्लादेश हिंसा में 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच 1400 लोगों की जान गई थी और हजारों लोग घायल हुए थे. वहीं, बांग्लादेश में हालात बेकाबू होने के बाद शेख हसीना ने 5 अगस्त 2024 को देश छोड़ दिया था. तत्कालीन गृह मंत्री कमाल भी देश से भाग निकले थे. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पिछले 1 साल से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की गुहार लगा रही है, लेकिन भारत ने अभी तक इसपर कोई जवाब नहीं दिया है.

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