Rajasthan News: खाटूश्यामजी को बड़े धार्मिक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए केंद्र की स्वदेश दर्शन 2.0 योजना के तहत तैयार किए गए कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर संकट गहरा गया है। करीब 88 करोड़ रुपये की लागत वाले इस प्रस्तावित विकास कामों पर स्थानीय प्रशासन, मंदिर कमेटी और बीजेपी नेताओं ने गंभीर आपत्तियां जताई हैं, जिससे पूरी परियोजना अनिश्चित स्थिति में पहुंच गई है।

मेला मजिस्ट्रेट कार्यालय में हुई उच्च स्तरीय बैठक में सदस्यों ने साफ कहा कि कई विकास कार्य ऐसे स्थानों पर चिन्हित किए गए हैं, जिनका जमीनी जरूरतों से कोई मेल नहीं है। आरोप ये भी लगा कि योजनाएं दफ्तरों में बैठकर बनाई गईं, जबकि खाटू में आने वाले लाखों भक्तों की असल जरूरतें अलग हैं।

एडिशनल एसपी दीपक गर्ग ने 52 बीघा में प्रस्तावित मुख्य पार्किंग के मुद्दे को सबसे अहम बताया। उनका कहना था कि अगर इसी जमीन पर दूसरे निर्माण शुरू हो गए, तो पहले से मौजूद पार्किंग की दिक्कत और बढ़ जाएगी। त्योहारों और बड़े मेलों में पार्किंग खाटू का सबसे बड़ा संकट बन जाता है।

कमेटी सदस्यों ने कहा कि फूड कॉर्नर और कैफेटेरिया के लिए बहुत कम जगह रखी गई है। कथा पंडाल की क्षमता सिर्फ 500 लोगों की तय की गई है, जबकि यहां भीड़ कभी भी हजारों में पहुंच जाती है। भाजपा नेता गजानंद कुमावत ने दोहराया कि खाटू में ट्रैफिक जाम से छुटकारा दिलाने का एकमात्र हल रिंग रोड है। उनका कहना था कि जब तक रिंग रोड नहीं बनेगी, बाकी योजनाएं भी अधूरी रहेंगी।

सबसे बड़ी चिंता यह है कि केंद्र की ओर से दिया गया 87.87 करोड़ रुपये का बजट मार्च 2026 तक ही उपयोग किया जा सकता है। अगर लोकेशन बदलने और नए प्रस्तावों को मंजूरी देने की प्रक्रिया लंबी चली, तो पूरा बजट लैप्स होने का खतरा है। ऐसा हुआ तो अंतरराष्ट्रीय कॉरिडोर का सपना लंबे समय तक अधर में लटक जाएगा।

सीकर की अतिरिक्त जिला कलेक्टर भावना शर्मा ने पर्यटन विभाग से कहा है कि विवादित स्थानों को दोबारा चिन्हित करके जल्द संशोधित प्रस्ताव भेजें, ताकि काम समय पर आगे बढ़ सके।

डिप्टी सीएम दिया कुमारी पहले ही बता चुकी हैं कि खाटूश्यामजी में अयोध्या और काशी की तर्ज पर कॉरिडोर विकसित किया जाना है। इसमें डिजिटल म्यूजियम, फूड कोर्ट, कैफेटेरिया, लाइट एंड साउंड शो, बड़ा कथा पंडाल और आधुनिक पार्किंग जैसी सुविधाएं शामिल हैं।

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