नई दिल्ली। निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता द्वारा सुप्रीम कोर्ट में फोन टैपिंग को लेकर लगाई गई याचिका से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम हटा लिया गया है.
मिली जानकारी के अनुसार, निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता ने फोन टैपिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी एक पक्ष बनाया गया था. मामले में महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने लल्लूराम डॉट कॉम को बताया कि इस पर हमारी आपत्ति को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम हटा दिया है.
जस्टिस अरुण मिश्रा ने जस्टिस इंदिरा बैनर्जी ने निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकेश जेठमलानी के पक्ष को सुनने के बाद फोन टैपिंग पर सवाल करते हुए इसे निजता का उल्लंघन बताया. सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए सवाल किया कि आखिर इस देश में क्या हो रहा है? व्यक्तिगत निजता नाम की कोई चीज नहीं रह गई है?
अदालत ने छत्तीसगढ़ राज्य का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल से सवाल किया कि किस अधिकारी ने यह (फोन टैपिंग) आदेश जारी किया है. कौल ने फोन टैपिंग के पक्ष में अपनी बात रखनी चाही, जिस पर अदालत ने उन्हें मामले में एफिडेविट दाखिल करने को कहा. प्रकरण से जुड़े अधिवक्ता रवि शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने की जानकारी दिए जाने पर अदालत ने आदेश दिया कि उनके (रवि शर्मा) खिलाफ बलपूर्वक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.
अदालत ने मामले से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम हटाए जाने पर सहमति प्रदान करते हुए राज्य सरकार की ओर पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा से कहा कि यह आप क्या कर रहे हो? इससे राज्य की छवि गलत नजर आती है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को तय की है. इस दौरान अधिवक्ता के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए और फोन टैपिंग का आदेश देने वाले अधिकारी को एफिडेविट देने आदेशित किया कि आखिर यह कदम क्यों उठाना पड़ा.
गौरतलब है कि अपनी बेटियों की फोन टैपिंग के मामले में निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है. गुप्ता की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ पुलिस अवैध तरीके से उनकी बेटियों का फोन टेप कर रही है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल होते ही छत्तीसगढ़ में इस बात को लेकर हड़कंप मच गया है कि पुलिस महकमे से आखिर कैसे सूचनाएं लीक हो रही हैं?