साल 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस(Delhi Police) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। यह नोटिस दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा(Majindar Singh Sirsa) की उस अर्जी पर जारी हुआ है, जिसमें उन्होंने एक पुलिस अधिकारी की पुरानी रिपोर्ट को अदालत में पेश करने की मांग की है। अदालत ने संबंधित पक्षों को मामले पर अपना पक्ष रखने के लिए निर्देश दिए हैं।
दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर अर्जी में दावा किया है कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब में हुई हिंसा की जगह पर कमलनाथ मौजूद थे और यह तथ्य उस समय के पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है। सिरसा ने कोर्ट से अनुरोध किया कि उस समय के एडिशनल पुलिस कमिश्नर गौतम कौल द्वारा तत्कालीन पुलिस कमिश्नर को सौंपी गई रिपोर्ट को मामले के रिकॉर्ड में शामिल किया जाए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली पुलिस से मांगा जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट में 1984 सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस रविंदर डुडेजा ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए 15 जनवरी 2026 तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में मनजिंदर सिंह सिरसा की ओर से वरिष्ठ वकील एच.एस. फुल्का ने अदालत को बताया कि गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब हिंसा के दौरान कमलनाथ की मौजूदगी को लेकर पुलिस रिकॉर्ड में प्रविष्टियां मौजूद हैं और उस समय कई अखबारों में इस संबंध में रिपोर्टें भी प्रकाशित हुई थीं। फुल्का ने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से दायर स्टेटस रिपोर्ट में इन महत्वपूर्ण तथ्यों को शामिल नहीं किया गया है, जबकि यह रिकॉर्ड मामले के निष्पक्ष मूल्यांकन के लिए जरूरी है।
साल 2022 में कोर्ट में दायर की गई थी अर्जी
1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर 15 जनवरी 2026 तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। यह नोटिस दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा की उस अर्जी पर जारी हुआ है, जिसमें उन्होंने एक पुलिस अधिकारी की पुरानी रिपोर्ट को अदालत के रिकॉर्ड में शामिल करने की मांग की है। सिरसा की यह अर्जी साल 2022 में दायर उनकी मुख्य याचिका का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने 1984 दंगों में कथित भूमिका को लेकर कांग्रेस नेता कमलनाथ को बिना देरी गिरफ्तार करने की मांग की थी। इससे पहले 27 जनवरी 2022 को हाईकोर्ट SIT को इस याचिका पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दे चुका है।
FIR में पाँच आरोपी, कमलनाथ का नाम कभी नहीं था
यह मामला संसद मार्ग थाने में दर्ज FIR नंबर 601/84 से जुड़ा है। इस FIR में पाँच लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनके बारे में आरोप है कि दंगों के समय वे कमलनाथ के घर में ठहरे हुए थे। हालांकि, सबूतों के अभाव में सभी आरोपी बरी कर दिए गए। उल्लेखनीय है कि FIR में कभी भी कमलनाथ का नाम शामिल नहीं किया गया था।
गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब हिंसा का मामला
याचिका में दावा किया गया है कि 1 नवंबर 1984 को गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब के बाहर दंगाइयों की भीड़ ने हमला किया था, जिसमें दो सिखों—इंद्रजीत सिंह और मनमोहन सिंह—को कथित रूप से जिंदा जला दिया गया। सिरसा का कहना है कि घटना के दौरान कमलनाथ मौजूद थे और यह बात पुलिस रिकॉर्ड तथा कई समकालीन अखबारों की रिपोर्ट में दर्ज है। लेकिन सरकार की स्टेटस रिपोर्ट में इन तथ्यों को शामिल नहीं किया गया।
SIT ने 2019 में सात केस फिर खोले थे
सितंबर 2019 में SIT ने सिख विरोधी दंगों से जुड़े सात ऐसे मामलों को दोबारा खोलने का निर्णय लिया था, जिनमें आरोपी या तो बरी हो चुके थे या ट्रायल बंद हो गया था। इसके बाद सिरसा ने दावा किया कि कमलनाथ ने उन पाँच आरोपियों को पनाह दी थी, जो इन मामलों में शामिल थे। सिरसा के अनुसार, अब जब SIT इस केस की भी दोबारा जांच करेगी, तो दो गवाह SIT के सामने कमलनाथ की कथित भूमिका के बारे में बयान देंगे।
कोर्ट में सिरसा की मांग
सिरसा की ओर से वरिष्ठ वकील एच.एस. फुल्का ने अदालत में कहा कि उस वक्त के एडिशनल पुलिस कमिश्नर गौतम कौल की रिपोर्ट, जो तत्कालीन पुलिस कमिश्नर को सौंपी गई थी, मामले के रिकॉर्ड का हिस्सा बनाई जानी चाहिए क्योंकि उसमें घटनाओं का महत्वपूर्ण विवरण मौजूद है।
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