संदीप अखिल, रायपुर। भिलाई— देश जिसे इस्पात नगरी के नाम से जानता है—सिर्फ बड़े उद्योगों की पहचान भर नहीं है, बल्कि यह वह धरती है जहाँ से ऐसे दूरदर्शी और कर्मशील उद्यमियों ने जन्म लिया, जिन्होंने अपनी सोच, कार्यशैली और सामाजिक प्रतिबद्धता से प्रदेश और देश को नई दिशा दी। इसी क्रम में एक प्रमुख नाम है विजय गुप्ता, Beekay इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक और BIT दुर्ग एवं रायपुर के ट्रस्टी।
हाल ही में 18 नवंबर को NEWS 24 MPCG और लल्लूराम डॉट कॉम के सलाहकार संपादक संदीप अखिल को दिए गए विशेष साक्षात्कार में विजय गुप्ता ने उद्योग, शिक्षा, समाजसेवा और नेतृत्व के महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तृत बातचीत की। उनके विचार और अनुभव इस बात का प्रमाण हैं कि जब अनुशासन, परिश्रम और सामाजिक संवेदना एक साथ चलें, तब सफलता केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं रहती, बल्कि जनकल्याण का माध्यम बन जाती है।
बीके ग्रुप की विरासत — पिता के सपनों से पुत्र की नई उड़ान तक
विजय गुप्ता बताते हैं कि बीके इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन की नींव 1970 में उनके पिता ने रखी थी। पंचवर्षीय योजनाओं के प्रभाव से प्रेरित होकर वे भिलाई आए और इसी इस्पात नगरी में ईंट निर्माण का कार्य शुरू किया। भिलाई स्टील प्लांट के प्रारंभिक निर्माण के समय जब शहर उद्योगों की संभावनाओं से भर रहा था, तब ही इस परिवार ने नए अवसरों की दिशा में कदम बढ़ा दिया था।

अमेरिका से पढ़ाई कर लौटने के बाद विजय गुप्ता ने अपने पिता की प्रेरणा से एक छोटी सी वर्कशॉप शुरू की, जहाँ भिलाई स्टील प्लांट के मशीन कलपुर्ज़ों की मरम्मत की जाती थी। वे साक्षात्कार में कहते हैं— “मेरे पिता ने हमेशा कहा कि ग्राहक का काम समय पर और गुणवत्ता के साथ पूरा करना ही असली ईमानदारी है। उसकी परियोजना का भविष्य तुम्हारे हाथों में है।”इसी सिद्धांत को उन्होंने जीवनभर अपनाया।
पहले वर्ष में मात्र 70,000 रुपए का कारोबार करने वाली यह छोटी इकाई आज 700 करोड़ रुपए के विशाल औद्योगिक साम्राज्य में बदल चुकी है। बीके ग्रुप देश के लगभग सभी बड़े स्टील प्लांट्स—सरकारी हों या निजी—के लिए महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। स्पंज आयरन, ब्लास्ट फर्नेस, रोलिंग मिल्स, कोक ओवन और रेलवे परियोजनाओं में इस कंपनी की विशेषज्ञता देशभर में मान्य है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कंपनी ने पहचान बनाई है। नाइजीरिया, युगांडा, केन्या और अफ़ग़ानिस्तान जैसे देशों में बीके ग्रुप के प्रोजेक्ट्स सफलता के साथ चल रहे हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में दूरदर्शी पहल — BIT की नींव रखने की कहानी
विजय गुप्ता का मानना है कि उद्योग तभी मजबूत बन सकता है, जब उसके पास तकनीकी रूप से सक्षम युवाओं का आधार हो। भिलाई स्टील प्लांट की स्थापना के बाद तकनीकी विशेषज्ञों की ज़रूरत को देखते हुए उन्होंने एक बड़ा कदम उठाया और 1986 में BIT दुर्ग की स्थापना की। यह अविभाजित मध्यप्रदेश का पहला स्वायत्त इंजीनियरिंग कॉलेज बना। साक्षात्कार में वे कहते हैं—“हमने शिक्षा को केवल डिग्री देने का माध्यम नहीं समझा। हमारा लक्ष्य ऐसे इंजीनियर तैयार करना था, जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।”
BIT दुर्ग के बाद रायपुर में भी BIT की स्थापना हुई और देखते ही देखते यह संस्थान देश के प्रतिष्ठित तकनीकी शिक्षण केंद्रों में शामिल हो गया। आज ये दोनों संस्थान 25,000 से अधिक इंजीनियर देश-विदेश की शीर्ष कंपनियों में भेज चुके हैं। BIT दुर्ग को पाँच अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में NBA मान्यता मिली है। इन्हीं संस्थानों से पहली बार MBA और MCA जैसे कोर्स शुरू हुए, जो बाद में पूरे प्रदेश के लिए मॉडल बने।विजय गुप्ता ने छात्रों को वैश्विक तकनीकी वातावरण से जोड़ने के लिए Microsoft और D-Link जैसी कंपनियों के साथ समझौता किया। उनका गर्व इस बात में झलकता है कि आज उन्हीं संस्थानों के कई शिक्षाविद देशभर में विश्वविद्यालयों के वाइस-चांसलर बने हैं।
पुरस्कारों की लंबी श्रृंखला — उद्योग और समाज दोनों में योगदान की मान्यता
विजय गुप्ता के कार्यों की पहचान राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर की गई है।उन्होंने साक्षात्कार में उल्लेख किया कि—
• भारत सरकार ने उन्हें 1998-99 में EPFO बेस्ट एम्प्लॉयर अवॉर्ड दिया।
• 2011 में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उन्हें इंडस्ट्रियल हेल्थ एंड सेफ्टी में प्रथम पुरस्कार मिला।
• वे CII के संस्थापक चेयरमैन रहे और राज्य के प्रथम उद्योग महासंघ के भी चेयरमैन रहे।
ये पद केवल सम्मान नहीं, बल्कि उनके नेतृत्व कौशल और सामाजिक सोच के प्रमाण हैं।
समाजसेवा — उद्योग की असली सफलता
विजय गुप्ता का स्पष्ट मत है— “उद्योग तभी सफल है जब वह समाज को सशक्त बनाए।” कोविड-19 महामारी के समय इसका उत्कृष्ट उदाहरण देखने को मिला। जब कई कंपनियाँ कर्मचारियों को निकालने पर मजबूर थीं, तब विजय गुप्ता ने एक भी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाने दी। संक्रमित कर्मचारियों के लिए चिकित्सकों की विशेष टीम बनाई गई और अग्रसेन भवन में 30 बिस्तरों वाला निःशुल्क कोविड केयर सेंटर शुरू किया गया। वे अपने कर्मचारियों को परिवार का हिस्सा मानते हैं। उनके शब्दों में— “कार्यस्थल तभी चलता है जब उसमें काम करने वाला हर व्यक्ति सुरक्षित और सम्मानित महसूस करे।”
कला, संस्कृति और पर्यावरण—एक संवेदनशील व्यक्तित्व
विजय गुप्ता स्वयं कला और पेंटिंग के शौकीन हैं। उनके नेतृत्व में बीके ग्रुप ने छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता भी उल्लेखनीय है। कंपनी ने उद्योग मानकों से आगे बढ़कर व्यापक वृक्षारोपण अभियान चलाया और हरित परिसर विकसित किए।
नेतृत्व का दर्शन — अनुशासन, विश्वास और समयबद्धता
साक्षात्कार में अपने नेतृत्व के मंत्र पर वे कहते हैं—
“अनुशासन, विश्वास और समयबद्धता—यही तीन शब्द किसी भी संगठन को महान बनाते हैं।”
वे युवा पीढ़ी को तकनीक अपनाने और अवसरों को पकड़ने की प्रेरणा देते हैं।
उनके अनुसार—
“छत्तीसगढ़ के युवा भाग्यशाली हैं। यहाँ छह राज्यों की सीमाओं के बीच उद्योग और विकास के अनगिनत अवसर हैं। बस आत्मविश्वास और नई तकनीक अपनाने की ज़रूरत है।”
टाटा समूह से प्रेरित होकर वे मानते हैं कि उद्यमिता का असली उद्देश्य केवल परिवार का विकास नहीं, बल्कि समाज की समृद्धि है।
विजय गुप्ता — प्रेरणा, नेतृत्व और सामाजिक चेतना का संगम
विजय गुप्ता ने बीके इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन को भारतीय इस्पात उद्योग के शीर्ष भरोसेमंद नामों में स्थान दिलाया। BIT के माध्यम से हजारों युवाओं को शिक्षा और तकनीकी उत्कृष्टता का रास्ता दिखाया। कोविड हो या औद्योगिक परिवर्तन—उन्होंने हमेशा मानवता, अनुशासन और दूरदर्शिता को प्राथमिकता दी। उनका जीवन इस संदेश का सजीव उदाहरण है कि— वास्तविक सफलता वही है जो समाज, शिक्षा और मानवता के उत्थान में योगदान दे।
विजय गुप्ता केवल एक सफल उद्योगपति नहीं, बल्कि एक शिक्षाविद्, समाजसेवी और प्रेरणादायी व्यक्तित्व हैं। वे यह संदेश देते हैं कि— यदि लक्ष्य स्पष्ट हो, कार्य के प्रति समर्पण हो और समाज के प्रति संवेदनशीलता हो, तो उद्योग भी सेवा का माध्यम बन सकता है। उनका जीवन वास्तव में “उद्योग, शिक्षा और समाजसेवा का संगम” है—और आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन का उज्ज्वल स्रोत।

