Bihar News: बिहार चुनाव में मिली करारी हार और पारिवारिक कलह को लेकर लालू परिवार और राजद पार्टी इन दिनों खूब सर्खियों में बनी हुई है। वहीं, विपक्ष के नेता लगातार रोहिणी आचार्य के मामले को लेकर तेजस्वी और लालू यादव पर निशाना साध रहे हैं। इस बीच बीते 16 नवंबर राजद की समीक्षा बैठक हुई थी, जिसमें तेजस्वी ने कहा था कि, सब कह रहा है कि इसको निकाल दो, उसको निकाल दो…तो फिर पार्टी में रहेगा कौन? तेजस्वी का इशारा संजय यादव और रमीज की ओर था। तेजस्वी के इस बयान पर अब उनके बड़े भाई और जजद प्रमुख तेज प्रताप यादव की प्रतिक्रिया सामने आई है।
मेरी आवाज दबाई गई- तेज प्रताप
तेज प्रताप यादव ने तेजस्वी पर पलटवार करते हुए कहा है कि, सबको निकालोगे तो रहेगा कौन? यही सवाल अब जनता पूछ रही है। उन्होंने कहा कि, जब मुझे निकाला गया था, तो यही लोग सोच रहे थे कि “तेजप्रताप तो फ़ालतू है, इससे क्या फ़र्क पड़ेगा?” मुझे रोककर रखा गया… मेरी आवाज़ दबाई गई… फिर भी मैं पूरे मन से पार्टी में लगा रहा। लेकिन जिस दिन मैं बाहर निकला- और “नई RJD” की सच्चाई जनता के सामने रखी, उसी दिन इनको समझ आ गया कि इन्होंने क्या खोया है।
देखिए खुद आंकड़े क्या कहते हैं:
- 2015 – 80 सीट
- 2020 – 75 सीट
- 2025 – 25 सीट
तेज प्रताप यादव ने कहा कि, ये गिरावट मैं नहीं – जनता बता रही है कि गलती कहां हुई। और मज़ेदार बात – आज वही लोग पूछ रहे हैं: “सबको निकालोगे तो रहेगा कौन?” अफसोस यही सवाल तो आज जनता पूछ रही है – पार्टी बची कहां है?
पहले मुझे निकाला, फिर देवी जैसी मेरी बहन रोहिणी जी को निकाला। पूरा बिहार हंस रहा था- कि जिस परिवार ने लोगों को हंसाया और रुलाया, वहीं आज खुद मज़ाक का पात्र बन गया। इज्ज्त का तमाशा जब-जब हुआ है पार्थ, धर्म ने हस्तिनापुर ही नहीं-पूरा इतिहास बदल दिया है।
’25 से 5 पर आने में देरी नहीं लगेगी’
तेज प्रताप यादव ने आगे कहा कि, आज बिहार की बहनों बेटियों की आवाज़ फिर न्याय मांग रही है… और मैं वचन देता हूं- जिसने भी सम्मान को ललकारा, विनाश उसका सुनिश्चित है। ये राजनीति नहीं, जनता की चीरही रक्षा का युद्ध है।
याद रखना – अगली बार 25 से 05 पर आने में देर नहीं लगेगी। ये तो सिर्फ़ 20 दिन का ही कमाल है यदि मैं पूरे बिहार में घूमता तो इसी बार ये पाच सीट पर आ जाते। हम लोग 44 सीटो पर लड़े थे वहां आरजेडी को मात्र 5 सीट ही मिली। बिहार की जनता समझ चुकी है कि RJD अब लालू जी की विचारधारा वाली पार्टी नहीं, बल्कि जयचंदों द्वारा हथियाई गई पार्टी बन चुकी है।
जहां सिद्धांत की जगह चाटुकार बैठा हो, और समर्पण की जगह षड्यंत्र…वहां सवाल भी खोखले लगते हैं। मैंने कभी किसी को नहीं निकाला- मुझे तो मेरे ही घर से, मेरे ही लोगों से दूर किया गया। फिर भी जिस दिन जनता ने मुझे सुना एक बात साफ़ हो गई! राजनीति कुर्सी की नहीं- चरित्र की होती है। आज लोग ये नहीं पूछ रहे- “कौन रहेगा?” आज बिहार ये पूछ रहा है। “कौन सच के साथ खड़ा है?” और इसका जवाब वही देगा- जिसके पास जनता का प्रेम है, न कि चापलूसों की भीड़।
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