देहरादून. पूर्व सीएम हरीश रावत ने स्थाई निवास प्रमाण पत्रों के सत्यापन को लेकर बड़ा बयान दिया है. हरीश रावत ने कहा, पुष्कर सिंह धामी जी ने अभी एक दिन पहले एक बहुत ही गैर भाजपाई, मगर समझदारी भरी बात कही है. वह है स्थाई निवास प्रमाण पत्रों के सत्यापन की. उन्होंने कहा है कि 3 वर्ष के इस अंतराल में जितने भी ‘स्थाई निवास प्रमाण पत्र’ जारी हुए हैं उनकी जांच की जाएगी. मैं उसमें इतना और जोड़ना चाहता हूं कि इसको 2018 तो किया ही जाना चाहिए और यदि उनको लगता है कि 2018 के बजाय और पीछे से जांच करनी है तो 2012 से कर लें.
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आगे पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा, आज जो सारे प्रश्न उठ रहे हैं? जो प्रश्न हम ‘उत्तराखंडी छौं’ की भावना को चोट पहुंचा रहे हैं. उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि स्थाई निवास प्रमाण पत्र जारी करने में जालसाजी हुई है! समाचार तो यह है कि एक संस्था से जुड़े लोगों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सैकड़ों ऐसे स्थाई निवास प्रमाण पत्र जारी करवा दिए जो लोग वस्तुत: उत्तराखंड के निवासी नहीं हैं. 9 नवंबर, 2000 के दिन जो व्यक्ति उत्तराखंड में वास कर रहा था, यहां का उसका राशन कार्ड बना था, या बिजली का बिल दे रहा था या किसी भी तरीके की उसके बाद खेती थी, कुछ भी था, वह सारे लोग जो है उत्तराखंड के स्थाई निवासी हैं.
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हरीश रावत ने ये भी कहा कि नारसन से लेकर गंगोत्री तक, जसपुर से लेकर मुनस्यारी तक, इस तथ्य को सबने हृदय से स्वीकार किया. इसमें जब छेद होता है तो फिर लोगों का ग़ुस्सा निकलता है और लोगों में गुस्सा है कि जो अवसर उनके बच्चों को मिलना चाहिए था, वह अवसर ऐसे लोगों ने प्राप्त कर लिया है, सरकारी नौकरियों में भी और प्राइवेट नौकरियों में भी जो इसके लिए पात्र नहीं थे. लोगों के इस संदेह का निवारण बहुत आवश्यक है तो इसलिए इसकी जांच सीमा को 2018 करें और चाहें तो इसको 2012 तक कर लें.
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