रायपुर। आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी है. इस तिथि को आंवला नवमी कहा जाता है. इसे अक्षय नवमी भी कहते हैं. इस दिन महिलाएं आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर संतान की प्राप्ति व उसकी रक्षा के लिए पूजा करती हैं. कहा जाता है कि भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल नवमी से लेकर कार्तिक पूर्ण्मा की तिथि तक आवंले के पेड पर निवास करते हैं. इसी के साथ आंवला नवमी के दिन आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने की भी प्रथा है और इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाने और उसे ग्रहण करने का विशेष महत्व माना जाता है.
आंवला नवमी के संबंध में कथा प्रचलित है कि प्राचीन समय में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर देवी लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष के नीचे शिवजी और विष्णुजी की पूजा की थी. तभी से इस तिथि पर आंवले के पूजन की परंपरा शुरू हुई है.
जानिए अक्षय नवमी का महत्व
- अक्षय नवमी का पर्व आंवले से सम्बन्ध रखता है.
- इसी दिन कृष्ण ने कंस का वध भी किया था और धर्म की स्थापना की थी.
- आंवले को अमरता का फल भी कहा जाता है.
- इस दिन आंवले का सेवन करने से और आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.
आंवला नवमी की पूजा विधि
- प्रातः काल स्नान करके पूजा करने का संकल्प लें.
- प्रार्थना करें कि आंवले की पूजा से आपको सुख,समृद्धि और स्वास्थ्य का वरदान मिले.
- आंवले के वृक्ष के निकट पूर्व मुख होकर , उसमे जल डालें.
- वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें , और कपूर से आरती करें.
- वृक्ष के नीचे निर्धनों को भोजन कराएं , स्वयं भी भोजन करें.
- पूजन के बाद परिवार और संतान की सुख-समृद्धि की कामना करके पेड़ के नीचे बैठकर परिवार व मित्रों के साथ भोजन ग्रहण करना चाहिए.