रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वाणिज्यिक कर (पंजीयन) मंत्री ओपी चौधरी के दूरदर्शी नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने पूरे राज्य के लिए गाइडलाइन दरों का व्यापक, वैज्ञानिक और तर्कसंगत पुनरीक्षण करते हुए ऐतिहासिक कदम उठाया है। छत्तीसगढ़ में अचल संपत्तियों के बाजार मूल्य निर्धारण से जुड़ी नई गाइडलाइन दरें 20 नवंबर 2025 से प्रभावशील होंगी। यह निर्णय जनता के हित, पारदर्शिता, उचित बाजार मूल्यांकन और नागरिकों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि “गाइडलाइन दरों का वैज्ञानिक और तर्कसंगत पुनरीक्षण राज्य के किसानों, भूमिस्वामियों और आम नागरिकों के हित में उठाया गया अत्यंत महत्त्वपूर्ण कदम है। पिछले कई वर्षों से दरों में संशोधन न होने के कारण वास्तविक बाजार मूल्य और गाइडलाइन दरों में बड़ा अंतर पैदा हो गया था। नई दरें न केवल न्यायसंगत मूल्यांकन सुनिश्चित करेंगी, बल्कि किसानों को भूमि अधिग्रहण में अधिक मुआवजा, नागरिकों को संपत्ति का सही मूल्य और बैंक से अधिक ऋण प्राप्त करने में भी सहायता प्रदान करेंगी। शासन की मंशा स्पष्ट है कि हर नागरिक को उसकी संपत्ति का उचित मूल्य मिले और किसी भी प्रकार की विसंगतियाँ या भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो। यह निर्णय प्रदेश के आर्थिक परिवेश को अधिक पारदर्शी, संतुलित और जनहितकारी बनाएगा।”

गाइडलाइन नियम 2000 के अनुसार दरों का प्रतिवर्ष पुनरीक्षण आवश्यक है, परंतु वर्ष 2017-18 के बाद से दरों में किसी प्रकार का संशोधन नहीं हुआ था। इस कारण वास्तविक बाजार मूल्य और गाइडलाइन दरों में भारी अंतर पैदा हो गया था, जिसका प्रतिकूल प्रभाव किसानों, भूमिस्वामियों, संपत्ति धारकों और आम नागरिकों पर पड़ रहा था।

राज्य में गाइडलाइन दरों के पिछले ढांचे नगरीय क्षेत्रों में दरों में भारी विसंगतियां थी। एक ही सड़क, वार्ड या आसपास के क्षेत्रों में अनुपातहीन अंतर दिखाई देता था। एक ही सड़क पर स्थित संपत्तियों की दरें अलग-अलग थीं, जिससे नागरिकों को वास्तविक मूल्यांकन में कठिनाई होती थी। ग्रामीण क्षेत्रों में भी एक ही मार्ग पर स्थित गांवों की दरों में अतार्किक भिन्नता थी, जिससे किसानों को मुआवजा और बैंक लोन में नुकसान होता था। पिछले सात वर्षों में बने नए हाईवे, कॉलोनी, औद्योगिक क्षेत्र आदि की दरें निर्धारित नहीं थीं, जिससे नागरिकों को संपत्ति मूल्य जानने में कठिनाई हो रही थी।

नगरीय क्षेत्रों में रोड-वाइज तैयार की गई है गाइडलाइन

वाणिज्यिक कर (पंजीयन) मंत्री ओपी चौधरी के दिशा निर्देश पर गाइडलाइन दरों को पुर्ननिर्धारित करते हुए पूरी प्रक्रिया को वैज्ञानिक, पारदर्शी और जनसुलभ बनाया गया है। नगरीय क्षेत्रों में गाइडलाइन को रोड-वाइज तैयार किया गया है, ताकि एक सड़क और समान परिस्थितियों वाले क्षेत्रों की दरें समान हों। अत्यधिक कंडिकाओं को समायोजित कर संख्या कम की गई, ताकि नागरिकों को मूल्य समझने में सरलता हो। ग्रामीण क्षेत्रों में सभी गांवों की दरों को नक्शे में प्रविष्ट कर, समान मार्ग और समान परिस्थितियों वाले गांवों की दरें यथासंभव समान और तर्कसंगत की गईं। वर्तमान दरों की वैज्ञानिक मैपिंग कर रैशनलाइज़्ड बेस रेट तैयार किए गए और इन्हीं के आधार पर नई दरें प्रस्तावित की गईं है।

नई दरें – जनता को सीधा लाभ

नगरीय क्षेत्रों में लगभग 20% की तर्कसंगत वृद्धि की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के हित में दरों में 50% से 300% तक वृद्धि की गई है, जिससे किसानों को भूमि अधिग्रहण आदि में 3 गुना तक अधिक मुआवज़ा मिलेगा। नई दरों से किसानों/भूमिस्वामियों को उनकी भूमि का अधिक एवं न्यायसंगत मुआवजा प्राप्त होगा। संपत्ति के विरुद्ध बैंक से अधिक राशि का लोन स्वीकृत होगा। आम नागरिकों के लिए अपनी संपत्ति की गाइडलाइन दर स्पष्ट और समझने में आसान होगी।

किसानों को मिलेगा उचित मुआवजा, ले सकेंगे अधिक बैंक लोन : मंत्री चौधरी

वाणिज्यिक कर (पंजीयन) मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि गाइडलाइन दरों का यह व्यापक और वैज्ञानिक पुनरीक्षण जनता के हितों को सर्वोपरि रखते हुए पूरी पारदर्शिता के साथ किया गया है। 2017-18 के बाद दरों में संशोधन न होने से राज्य में वास्तविक बाजार मूल्य और गाइडलाइन दरों में गंभीर असंतुलन पैदा हो गया था, जिससे किसान, भूमिस्वामी और सामान्य नागरिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रहे थे। नई गाइडलाइन दरें रोड-वाइज और वैज्ञानिक मैपिंग के आधार पर तैयार की गई है, ताकि हर क्षेत्र में दरें तर्कसंगत, समान और समझने में सरल हों।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में 50% से 300% तक की वृद्धि किसानों को उचित मुआवजा और अधिक बैंक लोन प्राप्त करने में बड़ा लाभ देगी, जबकि नगरीय क्षेत्रों में 20% की तार्किक वृद्धि मूल्य-विसंगतियां दूर करेगी। मंत्री चौधरी ने कहा कि विभाग भविष्य में भी विकास, नई बसाहटों, बाजार प्रवृत्तियों और क्षेत्रीय आवश्यकताओं के आधार पर नियमित समीक्षा करता रहेगा, ताकि किसी भी नागरिक को उनकी संपत्ति के वास्तविक मूल्य से वंचित न होना पड़े।

अब नियमित समीक्षा करेगा विभाग

उल्लेखनीय है कि लंबे अंतराल के बाद गाइडलाइन दरों का यह व्यापक और महत्त्वपूर्ण संशोधन किया गया है। भविष्य में भी विभाग द्वारा जिले स्तर पर उस क्षेत्र में हो रहे विकास, नए निर्माण, क्षेत्रीय परिस्थितियों, बाजार प्रवृत्तियों तथा नई बसाहटों/कॉलोनियों के विस्तार का नियमित आकलन किया जाता रहेगा। इसी आधार पर गाइडलाइन दरों में समय-समय पर आवश्यक, तर्कसंगत और जनहितकारी संशोधन किए जाते रहेंगे, ताकि नागरिकों को उनकी संपत्ति के वास्तविक मूल्य का लाभ निर्बाध रूप से मिलता रहे और किसी भी प्रकार की मूल्य-विसंगतियां उत्पन्न न हों।

क्या है गाइडलाइन कीमत?

सरकार संपत्तियों के लेनदेन के रजिस्ट्री पर टैक्स वसूलती है। यह टैक्स संपत्ति के मूल्य के निर्धारित प्रतिशत पर होता है। जैसे छत्तीसगढ़ में संपत्ति के विक्रय होने पर उसके विक्रय मूल्य पर 6.6 प्रतिशत स्टॉम्प शुल्क और 04 प्रतिशत पंजीयन शुल्क लिया जाता है। लोग टैक्स बचाने के लिए सही-सही विक्रय मूल्य दर्ज नही करते थे, इसीलिए गाइडलाइन कीमत की शुरुआत हुई, जो बाजार में प्रचलित कीमत का सर्वे कर तैयार किया जाता है।

गाइडलाइन कीमत कैसे तैयार किया जाता है‌?

गाइडलाइन कीमत तैयार करने की प्रक्रिया साल के जनवरी महीने से शुरू हो जाती है। जनवरी महीने में एसडीएम, रजिस्ट्रार, तहसीलदार तथा विभिन्न विभागों के अधिकारी फिल्ड में सर्वे करके जमीन जायदाद के प्रचलित मूल्य से संबंधित आंकड़े संकलित करते हैं और इन आंकड़ों का प्रोसेस कर एसडीएम की अध्यक्षता की उप जिला मूल्यांकन कमेटी गाइडलाइन कीमत का खाका तैयार करती है। इसे कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जिला मूल्यांकन कमेटी को भेजा जाता है। जिला मूल्यांकन समिति इस प्रस्ताव का परीक्षण, विश्लेषण कर आवश्यक संशोधन कर सकती है। इसे अंतिम अनुमोदन के लिए राज्य स्तर के केंन्द्रीय मूल्यांकन कमेटी को भेजा जाता है। केन्द्रीय मूल्यांकन बोर्ड द्वारा अनुमोदित गाइडलाइन 01 अप्रैल से लागू होता है।

कितने साल में गाइडलाइन रिवीजन का प्रावधान है?

नियमों के अनुसार प्रत्येक वित्तीय वर्ष में नया गाइडलाइन जारी करने का प्रावधान है। अगर किसी इलाके में मार्केट रेट में अचानक कोई उछाल आए या कोई नई परियोजना स्थापित हो तो सरकार साल के बीच में भी गाइडलाइन रेट में वृद्धि कर सकती है। भारत के सभी राज्यों में हर साल संशोधित गाइडलाइन लागू किया जाता है। तेलंगाना जैसे कुछ राज्यों में साल के बीच में भी गाइडलाइन में वृद्धियां की गई हैं।

अर्थव्यवस्था को गहरा चोट

गाइडलाइन कीमत में नियमित रिवीजन नहीं होने से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होता है। सरकार के सभी विभागों में गाइडलाइन कीमत को मानक दर के रूप में स्वीकार किया जाता है। इनकम टैक्स में कैपिटल गेन की गणना गाइडलाइन दर को आधार मानकर किया जाता है। गाइडलाइन कीमत नहीं बढ़ने से कम इनकम टैक्स मिलता है। स्टॉम्प शुल्क और पंजीयन शुल्क में भी नुकसान होता है, इस प्रकार सरकार को राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

जमीन जायदाद के लिए होम लोन गाइडलाइन दर के आधार पर

शहर की जनसंख्या का एक बहुत बड़ा वर्ग वेतनभोगियों का है, जो अपने सपनों के प्लॉट, मकान खरीदी के लिए बैंक लोन पर निर्भर होते हैं। बैंक लोन के लिए संपत्ति का वैल्युशन सरकारी गाइडलाइन कीमत के आधार पर किया जाता है और इस आधार पर आंकलित संपत्ति के कीमत के 80 प्रतिशत तक बैंक लोन मिलता है। गाइडलाइन कीमत नहीं बढ़ने से इस वर्ग के लोगों को संपत्ति के वास्तविक बाजार मूल्य के अनुपात में बैंक लोन नहीं मिल पा रहा है।

भू-अर्जन में किसानों को नुकसान

सरकार विभिन्न विकास कार्यों जैसेः रेल, रोड अधोसंरचना आदि के लिए किसानों की भूमि का अधिग्रहण करती है। किसानों को भूमि अधिग्रहण के एवज में मुआवजा दिया जाता है, मुआवजा की गणना गाइडलाइन दर को आधार मानकर किया जाता है। गाइडलाइन दर कम होने से किसानों को देय मुआवजा भी कम हो जाता है, जिससे कि किसानों में रोष उत्पन्न होता है। रायपुर शहर के 50 किलोमीटर के परिधी के गांव में कृषि भूमि का दर औसतन 05 लाख से 10 लाख के बीच है, जबकि मार्केट रेट औसतन 25 लाख से 50 लाख के बीच है। ऐसे में अगर भूमि अधिग्रहण होता है तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

मनीलांड्रिग को बढ़ावा

मार्केट रेट के अनुपात में गाइडलाइन की दर नहीं बढ़ने से लोग प्रायः अंतर की राशि का भुगतान नगदी (कच्चे) में करते हैं। इससे नगदी की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलता है। कच्चे में लेनदेन को मनी लांड्रिग की श्रेणी में रखा गया है, जो एक गंभीर आर्थिक अपराध है।

8 सालों में बाजार मूल्य में कई गुना वृद्धि

पिछले 08 सालों में शहर में जमीन जायदाद के भाव कई गुना बढ़ चुके हैं। जबरदस्त रिटर्न के कारण रियल स्टेट निवेश का सर्वाधिक पसंदीदा माध्यम बन चुका है। कुछ इलाकों में 08 सालों में संपत्ति के मूल्य वृद्धि को निम्नलिखित टेबल से समझा जा सकता है।