India-Russia Approves SU-57 Stealth Fighter Jets Defence Deal: भारत-रूस मेगा डिफेंस डील करने जा रहे हैं। रूस अपनी खतरनाक पांचवीं पीढ़ी की एसयू-57 स्टेल्थ फाइटर जेट्स भारत को देने के लिए तैयार हो गया है। इतना ही नहीं, रूस इस फाइटर जेट्स की तकनीक भी बिना शर्त ट्रांसफर करने को राजी हो गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के अगले महीने भारत दौरे के दौरान इस डील पर मुहर लग सकती है। इस डील की खबरें जैसे ही मीडिया में वायरल हुई, चीन-पाकिस्तान तक कांप गया है।

दुबई एयर शो में रूसी कंपनी रॉस्टेक के CEO सेर्गेई केमेजोव ने कहा कि वे इस फाइटर जेट्स की तकनीक भी बिना शर्त ट्रांसफर करेंगे। रूस से यह आश्वासन ऐसे समय आया है, जब भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में मास्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की है। पुतिन अगले महीने भारत आने वाले हैं।

CEO सेर्गेई केमेजोव ने कहा कि भारत और रूस कई दशकों से भरोसेमंद डिफेंस साझेदार रहे हैं। जब भारत पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे थे, तब भी रूस ने भारत की सुरक्षा के लिए हथियार सप्लाई करना जारी रखा था। उन्होंने कहा- आज भी हम वही पॉलिसी अपना रहे हैं। भारत को उसकी जरूरत के मुताबिक हर तरह का मिलिट्री इक्विपमेंट सप्लाई कर रहे हैं और भविष्य के सहयोग को और मजबूत कर रहे हैं। रूस का कहना है कि Su-57 की तकनीक पर कोई रोक नहीं होगी। इसमें इंजन, रडार, स्टेल्थ तकनीक और आधुनिक हथियारों की जानकारी भी दी जा सकती है। रूस ने यह भी कहा कि अगर भारत चाहे तो Su-57 को भारत में ही बनाया जा सकता है।

रूसी Su-57 जेट्स को अमेरिका के F-35 का तोड़

बता दें कि रूसी Su-57 जेट्स को अमेरिका के F-35 का तोड़ माना जाता है। Su-57 की तरह F-35 भी 5वीं जेनरेशन का लड़ाकू विमान है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह दुश्मन के रडार को चकमा दे सके।

भारत को एसयू-57 तकनीक मिलने का अर्थ

भारत को एसयू-57 तकनीक मिलने का मतलब है कि भारत भविष्य में अपना एसयू-57 वर्जन बना सकता है। तकनीक ट्रांसफर करना सामान्य बात नहीं है। खासकर लड़ाकू विमान जैसे हाई-एंड डिफेंस सिस्टम में। दरअसल, लड़ाकू विमानों की तकनीक दुनिया में सबसे गोपनीय और संवेदनशील होती है। लड़ाकू विमान सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि किसी भी देश की सैन्य ताकत, इंजीनियरिंग क्षमता और रणनीतिक बढ़त का प्रतीक है।

रूस ने चीन को नहीं दी एसयू-57 की तकनीक

चीन भी रूस का सबसे बड़ा रक्षा साझीदार है, लेकिन उसने उसे भी एसयू-57 की तकनीक नहीं दी है। रूस ने चीन को सिर्फ एसयू-35 लड़ाकू विमान दिए हैं, लेकिन उसके इंजन की तकनीक हस्तांतरण नहीं की। अमेरिका किसी भी देश को तकनीक का ट्रांसफर नहीं करता। इससे खरीदार देश को कई तरह के नुकसान होते हैं। तकनीक नहीं मिलने से खरीदार देश को रखरखाव, मरम्मत, कलपुर्जों एवं अपग्रेडेशन के लिए हमेशा आपूर्तिकर्ता देश पर निर्भर रहना पड़ता है।

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