संदीप अखिल, रायपुर। NEWS 24 MP-CG और lalluram.com के सलाहकार सम्पादक संदीप अखिल ने श्री शंकराचार्य समूह के चेयरमेन तथा श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भिलाई के चांसलर आईपी मिश्रा से एक विशेष साक्षात्कार लिया। 19 नवंबर को न्यूज़ 24 MPCG में प्रसारित इस बातचीत में श्री मिश्रा ने अपने जीवन के अनुभवों और शिक्षा तथा उद्योग जगत को लेकर अपने दृष्टिकोण को साझा किया। उनका मानना है कि “कुछ जीवन अपनी उपलब्धियों से नहीं, बल्कि उन मूल्यों से चमकते हैं जिन्हें वे समाज में स्थापित करते हैं।” उनका पूरा जीवन इसी दर्शन का साकार रूप है।
प्रारंभिक जीवन और दृढ़ संकल्प
साक्षात्कार में आई. पी. मिश्रा ने यह बताया कि उनका जन्म 6 अगस्त 1942 को मध्यप्रदेश के रोवा ज़िले के देओरा गाँव में हुआ। उन्होंने यह कहा कि पिता स्व. श्री एस. पी. मिश्र के संस्कारों ने उन्हें कठिन परिश्रम और ज्ञान को जीवन का आधार बनाने के लिए प्रेरित किया। वर्ष 1965 में, उन्होंने यह बताया कि उन्होंने शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, रायपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में विशिष्ट डिग्री प्राप्त की और इसी वर्ष देश की एक प्रमुख औद्योगिक धड़कन भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant – BSP) में अपना करियर शुरू किया।

औद्योगिक क्षेत्र में नेतृत्व
आई. पी. मिश्रा ने तीन दशकों से अधिक समय तक भिलाई इस्पात संयंत्र को अपनी सेवाएँ दीं और परियोजना महाप्रबंधक (General Manager–Projects) के उच्च पद तक पहुँचे। उन्होंने अपने साक्षात्कार में यह कहा कि “उद्योग केवल उत्पादन का केंद्र नहीं, बल्कि प्रगति का शिल्प है।”उन्होंने यह बताया कि उनके कार्यकाल में ब्लास्ट फर्नेस की स्थापना, कन्टिन्युअस कास्टिंग शॉप (टर्नकी प्रोजेक्ट), तीसरा सिन्टरिंग प्लांट (टर्नकी प्रोजेक्ट) और रेल मिल का आधुनिकीकरण (72 मीटर लंबी रेल के उत्पादन हेतु) जैसे कई महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक पूरे किए गए।उन्होंने यह उल्लेख किया कि रोहघाट खदान के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करना भी उनके प्रमुख योगदानों में से एक रहा।
शिक्षा जगत के निर्माता और मार्गदर्शक
31 अगस्त 2002 को सेवानिवृत्ति के बाद, आई. पी. मिश्रा ने अपने जीवन दर्शन को साझा करते हुए यह बताया कि उन्होंने इसे विश्राम नहीं, बल्कि जीवन को नई दिशा देने का अवसर माना। वे शिक्षा को समाज का सर्वोच्च निवेश मानते हैं।उन्होंने यह उल्लेख किया कि इसी दृष्टि से उन्होंने श्री गंगाजलि एजुकेशन सोसायटी की स्थापना की और इसके अंतर्गत इंजीनियरिंग, फार्मेसी, नर्सिंग, मैनेजमेंट और मेडिकल जैसे अनेक संस्थान खोले।उन्होंने साक्षात्कार में यह कहते हुए अपनी शिक्षा दृष्टि स्पष्ट की कि “शिक्षा केवल ज्ञान नहीं देती, यह सोचने, बदलने और समाज को गढ़ने की शक्ति देती है। आज वे श्री शंकराचार्य समूह के चेयरमेन तथा श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भिलाई के चांसलर हैं, जिसके बारे में उन्होंने यह बताया कि यह मध्य भारत में नवाचार, शोध और गुणवत्ता शिक्षा का प्रतीक बन चुका है।

सामाजिक सौहार्द और सेवा
आईपी मिश्रा का योगदान केवल उद्योग और शिक्षा तक सीमित नहीं है। उन्होंने अपने सामाजिक कार्यों का उल्लेख करते हुए यह कहा कि “समाज को बदलने के लिए किसी पद की नहीं, केवल एक संवेदनशील हृदय की आवश्यकता होती है।उन्होंने यह बताया कि उन्होंने श्री हनुमान मंदिर सनातन धर्म ट्रस्ट और लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर का पुनर्निर्माण कराया, तथा देवी त्रिपुर सुंदरी राजराजेश्वरी की स्थापना करवाई।उन्होंने यह उल्लेख किया कि मानव एकता समिति, भिलाई के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने सभी धर्मों के बीच सौहार्द और भाईचारे का संदेश फैलाया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि उन्होंने दहेज प्रथा के विरुद्ध जनजागरूकता अभियान चलाया और गरीब वर्ग की सहायता को अपना धर्म माना।
पर्यावरण और सांस्कृतिक चेतना
आईपी मिश्रा ने यह बताया कि उन्होंने सोसाइटी फॉर एनवायरमेंट एंड इकॉलॉजिकल डेवलपमेंट (SEED) के अध्यक्ष के रूप में पर्यावरण संरक्षण पर कई राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए। इसके अलावा, संगीत और संस्कृति के प्रति अपनी रुचि को देखते हुए उन्होंने यह उल्लेख किया कि उन्होंने श्री विघ्नेश्वर संगीत एवं नृत्य संस्थान के अध्यक्ष के रूप में त्यागराजा आराधना उत्सव का आयोजन भी किया।
जीवन दर्शन और युवाओं के लिए संदेश
अपने साक्षात्कार के दौरान आई. पी. मिश्रा ने यह कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए युवाओं की तकनीकी, वैज्ञानिक और प्रबंधकीय क्षमताओं को नई दिशा देना आवश्यक है। उन्होंने यह बताया कि उनकी यह सोच उनके संस्थानों में सकारात्मक परिवर्तन की प्रेरणा बन चुकी है।
साक्षात्कार के अंत में उन्होंने अपने जीवन का सार प्रस्तुत करते हुए यह कहा कि “उद्योग प्रगति को गढ़ते हैं, संस्थान भविष्य को; परंतु सौहार्द मानवता को गढ़ता है।” उनका जीवन इस बात का सजीव उदाहरण है कि एक व्यक्ति अपने समर्पण, दृष्टि और संवेदना से समाज को कितनी गहराई तक बदल सकता है। भिलाई की धरती ने उन्हें अवसर दिया, पर उन्होंने अपने कर्मों से पूरे मध्य भारत को आलोकित किया। उनका जीवन एक प्रेरक संदेश देता है कि “जब कर्म सेवा बन जाए, तो जीवन एक मिशन बन जाता है।”
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