दिल्ली में यमुना नदी का प्रदूषण लगातार चिंताजनक स्तर पर बना हुआ है। राजधानी सरकार का कहना है कि इसके लिए सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश और हरियाणा का योगदान भी जिम्मेदार है। दोनों राज्यों से बहकर आने वाले नालों का गंदा पानी यमुना में मिल रहा है, जिससे नदी का प्रदूषण कई गुना बढ़ जाता है। इस स्थिति को देखते हुए दिल्ली जल बोर्ड (DJB) ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखा है। DJB ने आग्रह किया है कि यमुना में सीवेज और औद्योगिक कचरे का बहाव उत्पत्ति स्थल (Point of Origin) पर ही रोका जाए। बोर्ड ने सुझाव दिया है कि दोनों राज्य सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता बढ़ाएं, औद्योगिक इकाइयों की निगरानी कड़ी करें और बिना ट्रीटमेंट के किसी भी नाले को यमुना में गिरने से रोकें।
पत्र के अनुसार, यमुना में प्रदूषण बढ़ाने में हरियाणा का योगदान काफी बड़ा है। नजफगढ़ ड्रेन से कुल 462 MGD कचरा यमुना में बहता है, जिसमें से 187 MGD दूषित पानी हरियाणा की नालियों से आता है। यह नदी में पहुंच रहे कुल प्रदूषण का एक बड़ा हिस्सा है। पत्र में बताया गया है कि बादशाहपुर से ड्रेन नंबर L-1, कुंडली औद्योगिक क्षेत्र से ड्रेन नंबर 6 इन दोनों स्रोतों से मिलकर लगभग 105 MGD अनुपचारित औद्योगिक और सीवेज कचरा नजफगढ़ ड्रेन में पहुंच रहा है। गुरुग्राम की कई नालियां L-1, L-2 और L-3 सीधे नजफगढ़ ड्रेन में गिरती हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर और बढ़ जाता है।
दिल्ली जल बोर्ड की मांग
दिल्ली जल बोर्ड ने हरियाणा और यूपी सरकारों से आग्रह किया है कि प्रदूषण को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं, ताकि नदी में केवल ट्रीटेड जल ही छोड़ा जाए। साथ ही कहा गया है कि यमुना की सफाई केवल दिल्ली के प्रयासों से संभव नहीं, बल्कि इसके लिए पड़ोसी राज्यों को भी बराबर की जिम्मेदारी निभानी होगी।
हरियाणा की कई नालियां सीधे नजफगढ़ ड्रेन में गिरती हैं, जिससे यमुना में भारी मात्रा में दूषित जल पहुंच रहा है। बहादुरगढ़ और भूपानिया क्षेत्रों से आने वाली मंगुनेशपुर और भूपानिया नालियां नजफगढ़ ड्रेन में मिलती हैं। कुंडली औद्योगिक क्षेत्र से ड्रेन नंबर 6 के माध्यम से सप्लीमेंट्री ड्रेन में अनुपचारित औद्योगिक अपशिष्ट (effluents) छोड़ा जा रहा है। इन स्रोतों से मिलकर यमुना में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। दिल्ली जल बोर्ड ने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि उत्तर प्रदेश से लगभग 105 MGD अनुपचारित औद्योगिक कचरा शाहदरा ड्रेन में प्रवेश करता है। इससे हिंडन कट नहर (Hindon Cut Canal) में जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD) का भार खतरनाक रूप से बढ़ रहा है, जो पानी की गुणवत्ता गिरने का संकेत है।
DJB की मांग: उत्पत्ति स्थल पर नियंत्रण जरूरी
पत्र में दिल्ली जल बोर्ड ने दोनों राज्यों से आग्रह किया है कि सीवेज और औद्योगिक कचरे को यमुना में पहुंचने से पहले ही उत्पत्ति स्थल पर रोका जाए और सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता तुरंत बढ़ाई जाए। DJB का कहना है कि सिर्फ दिल्ली के प्रयासों से नदी को साफ नहीं किया जा सकता इसमें पड़ोसी राज्यों को भी बराबर की जिम्मेदारी निभानी होगी। दिल्ली में नई बीजेपी सरकार यमुना नदी की सफाई को अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल कर रही है। सरकार ने नदी के पानी की गुणवत्ता में व्यापक सुधार लाने के लिए 2027 तक का लक्ष्य तय किया है। हालांकि, यमुना की दुर्दशा को देखते हुए यह लक्ष्य तभी पूरा हो सकता है जब दिल्ली के साथ-साथ पूरे एनसीआर से आने वाले प्रदूषण पर भी नियंत्रण किया जाए।
दिल्ली में मात्र 22 किलोमीटर में 76% प्रदूषण
यमुना निगरानी समिति की रिपोर्ट के मुताबिक वजीराबाद बैराज से ओखला बैराज तक का 22 किमी का हिस्सा, नदी की कुल लंबाई का 2% से भी कम है, लेकिन पूरी यमुना का 76% प्रदूषण इसी हिस्से में केंद्रित है। यह हिस्सा दिल्ली की आबादी, सीवेज डिस्चार्ज और नालों के मिलन के कारण सबसे अधिक प्रदूषित माना जाता है। दिल्ली जल बोर्ड (DJB) अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यमुना की सफाई सिर्फ दिल्ली के प्रयासों से पूरी नहीं हो सकती। हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आने वाली नालियों और औद्योगिक क्षेत्रों का दूषित जल नदी में प्रदूषण का बड़ा स्रोत है। नजफगढ़ ड्रेन, शाहदरा ड्रेन, और हरियाणा के बादशाहपुर, भूपानिया, कुंडली जैसे औद्योगिक व शहरी क्षेत्रों से आने वाले नाले यमुना की सफाई अभियान की सबसे बड़ी बाधा बने हुए हैं। यमुना को 2027 तक स्वच्छ करने की दिशा में दिल्ली सरकार को सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्रों के उन्नयन, नालों की मरम्मत, अवैध डिस्चार्ज रोकने और पड़ोसी राज्यों के साथ बेहतर समन्वय पर जोर देना होगा।
DJB अधिकारियों के अनुसार, उत्तर प्रदेश से आने वाले 105 mgd अनुपचारित औद्योगिक और सीवेज अपशिष्ट सीधे शाहदरा ड्रेन में छोड़े जा रहे हैं। यह प्रदूषित पानी आगे चलकर हिंडन कट-नहर के माध्यम से यमुना में पहुंचता है और दिल्ली में नदी के BOD (जैविक ऑक्सीजन मांग) स्तर को गंभीर रूप से बढ़ा देता है। हरियाणा की ओर से भी स्थिति चिंताजनक है। बहादुरगढ़ और भूपानिया क्षेत्रों से बहने वाली मंगुनेशपुर एवं भूपानिया नालियों का पानी नजफगढ़ ड्रेन में मिलता है, जो बाद में यमुना में प्रवाहित होता है। इसके अलावा, कुंडली औद्योगिक क्षेत्र ड्रेन नंबर-6 के माध्यम से सप्लीमेंट्री ड्रेन में भारी मात्रा में प्रदूषित अपशिष्ट छोड़ रहा है।
DJB अधिकारियों ने जानकारी दी कि इस 22 किलोमीटर के हिस्से में कुल 22 बड़ी नालियां यमुना में गिरती हैं, जिनमें नजफगढ़, शाहदरा और सप्लीमेंट्री ड्रेन जैसी प्रमुख नालियों को NCR के जिलों—हरियाणा और उत्तर प्रदेश से भी भारी मात्रा में प्रदूषित जल मिलता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “दिल्ली अपनी सीवेज उपचार क्षमता बढ़ा रही है, लेकिन यदि NCR क्षेत्रों से इन उप-नालियों में आने वाले अतिरिक्त प्रदूषण भार को नहीं रोका गया, तो हमारे प्रयास अधूरे रह जाएंगे।”
DJB ने 10 नवंबर को यूपी और हरियाणा सरकारों को लिखे पत्र में कहा कि दिल्ली की ओर से यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं कि यमुना में कोई भी अनुपचारित सीवेज न छोड़ा जाए। इसके लिए शहर की सीवेज उपचार क्षमता को 694 mgd से बढ़ाकर 814 mgd कर दिया गया है। इसके साथ ही, दिसंबर 2027 तक सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता को लगभग 1060 mgd तक बढ़ाने के लिए बोली प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अधिकारियों का मानना है कि यदि पड़ोसी राज्यों से आने वाले अनुपचारित जल को नियंत्रित कर लिया जाए, तो आने वाले वर्षों में यमुना की जल गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार संभव है।
दिल्ली द्वारा यमुना में पड़ोसी राज्यों से आने वाले प्रदूषण पर गंभीर चिंता जताए जाने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी ओर से उठाए जा रहे कदमों का विवरण सामने रखा है। यूपी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीवेज उपचार क्षमता बढ़ाने की विस्तृत कार्य योजना 10 सितंबर को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में दायर एक हलफनामे में प्रस्तुत की गई है। अधिकारी के मुताबिक, हलफनामे में यह स्पष्ट किया गया है कि 2027 तक यमुना बेसिन में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। वर्तमान में मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, गाज़ियाबाद, बागपत, सहारनपुर और गौतम बुद्ध नगर सहित सात जिलों में स्थापित व संचालित 20 STPs में 285.43 MLD की क्षमता का अंतर है यानी जितना सीवेज उत्पन्न हो रहा है, उसकी तुलना में उपचार क्षमता कम है।
सरकार ने NGT को बताया कि इस अंतर को पूरा करने के लिए नए STPs का निर्माण प्रस्तावित है, पुरानी सीवर लाइनों का विस्तार किया जा रहा है, और घरों को सीवर नेटवर्क से जोड़ने का काम तेज गति से चल रहा है। अधिकारी ने कहा कि इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद नदियों में जाने वाले अनुपचारित सीवेज की मात्रा में उल्लेखनीय कमी आएगी और यमुना की जल गुणवत्ता सुधारने में राज्यों के बीच सहयोग और मजबूत होगा।
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