वीरेंद्र कुमार, नालंदा। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत विश्व चेतना का केंद्र बनेगा और इस ऐतिहासिक उपलब्धि में नालंदा की भूमिका निर्णायक होगी। वे सोमवार को नव नालंदा महाविहार के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, विकसित भारत के अंतिम पड़ाव तक नालंदा अपनी नई और गौरवशाली पहचान को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश सांस्कृतिक पुनर्जागरण के स्वर्णिम दौर से गुजर रहा है, जहां भारत की पहचान विश्व पटल पर नए सिरे से लिखी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तनशील दौर में ज्ञान की धरती नालंदा की महत्ता और भी बढ़ जाती है।
शेखावत ने नालंदा की ऐतिहासिक विरासत को रेखांकित करते हुए कहा कि इस धरती ने पूरे विश्व को ज्ञान से आलोकित किया है। नालंदा का मूल संदेश सदा स्पष्ट रहा है, ज्ञान मानवता को जोड़ता है, विभाजित नहीं करता। यही विचार आज के वैश्विक समाज के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने नव नालंदा महाविहार परिसर में अत्याधुनिक ऑडिटोरियम और एकेडमिक भवन का शिलान्यास भी किया, जिससे शिक्षा और शोध के क्षेत्र में संस्थान को नई ऊंचाइयां मिलेंगी।
समारोह में शिक्षाविदों, शोधार्थियों, प्रशासनिक अधिकारियों और बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम के दौरान नालंदा की गौरवशाली परंपरा और भविष्य की दिशा पर विस्तार से चर्चा की गई। ज्ञान की धरती नालंदा एक बार फिर वैश्विक मंच पर भारत की बौद्धिक शक्ति के रूप में उभरने को तैयार है, और 2047 का भारत इसकी अगुवाई करेगा।
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