शिवा यादव, सुकमा। मुठभेड़ में मारे गए टॉप नक्सली लीडर माडवी हिडमा और उसकी पत्नी राजे का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया गया। एनकाउंटर के 2 दिन बाद दोनों का शव आज सुबह उनके गृहग्राम पूवर्ती पहुंचते ही गांव में मातम पसर गया।
ग्रामीणों और परिचितों की सैकड़ों की भीड़ अंतिम यात्रा में शामिल हुई। हिडमा और उसकी पत्नी के शव को गांव के मुख्य मार्ग से होकर श्मशान घाट तक ले जाया गया। विशेष बात यह रही कि दंपति को एक ही चिता पर अग्नि दी गई, इस दौरान ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं। बता दें कि 18 नवंबर को आंध्रप्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले में हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने टॉप नक्सली लीडर माडवी हिडमा और उसकी पत्नी राजे समेत 6 नक्सलियों को मार गिराया था।


हिडमा की मौत के बाद उसके गांव पूवर्ती में मातम पसरा हुआ था। वहीं हिडमा की मां ने पुलिस से भावुक अपील करते हुए कहा था कि “मैं बूढ़ी हो चुकी हूं… अपने बेटे का शव नहीं ला सकती। पुलिस मेरे बेटे का शव गांव ले आए, ताकि मैं अंतिम संस्कार कर सकूं। वहीं आज सुबह हिडमा के परिजन उसका और उसकी पत्नी का शव लेकर पूवर्ती गांव पहुंचे, जहां एक ही चिता पर दोनों का अंतिम संस्कार किया गया।
जानिए कौन था हिडमा
हिडमा का जन्म दक्षिण सुकमा के पूर्वती गांव में एक आदिवासी परिवार में हुआ था। वह महज 16 साल की उम्र में ही नक्सल संगठन से जुड़कर काम करने लगा। इसी दौरान उसने नक्सलियों के एजुकेशन सिस्टम और कल्चरल कमेटी से उसने पढ़ना- लिखना और गाना- बजाना तक सीखा। इसके बाद ट्रेनिंग पूरी होते ही उसकी पहली पोस्टिंग महाराष्ट्र के गढ़चिरौली इलाके में हुई। हिडमा सेंट्रल कमेटी का सबसे युवा सदस्य था। नक्सल संगठन में काम करते- करते वह नक्सलियों के खतरनाक चेहरों में शामिल हो गया। हिडमा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PGLA) की बटालियन-1 का चीफ और माओवादी स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZ) का भी सदस्य था। वह सीपीआई (माओवादी) की 21 सदस्यीय सेंट्रल कमेटी में भी शामिल था।
रमन्ना की मौत के बाद बना शीर्ष कमांडर
हिडमा कई बड़े नक्सल घटनाओं में शामिल रहा है। झीरम, बीजापुर और बुर्कापाल हमले का नेतृत्व भी हिडमा ने ही किया था। वहीं दंतेवाड़ा हमला भी हिडमा के नेतृत्व में हुआ था, इस हमले में 76 जवान शहीद हुए थे। इस हमले के बाद से संगठन में हिडमा की हैसियत बढ़ गई। कहा जाता है कि 2019 में रमन्ना की मौत के बाद हिडमा को नक्सलियों का शीर्ष कमांडर बना दिया गया था।
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