रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में अचानक नई कलेक्टर गाइडलाइन लागू किए जाने के बाद जमीन की सरकारी दरों में 20 से 300 प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी गई है. ये नई दरें 20 नवंबर से प्रभावी हो गई हैं, जिसका सीधा असर रजिस्ट्री शुल्क और स्टांप ड्यूटी पर पड़ रहा है. इससे जमीन खरीदना और बेचना पहले की तुलना में काफी महंगा हो गया है. नई गाइडलाइन के कारण रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई से लेकर अंबिकापुर सहित कई जिलों में जमीन, प्लॉट और मकानों के दामों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े लोग इसे उद्योग, शहरीकरण और आधारभूत संरचना पर सीधा प्रभाव मान रहे हैं.

नई कलेक्टर गाइडलाइन के विरोध में छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट ब्रोकर्स एसोसिएशन ने सोमवार को दोपहर 3 बजे प्रोग्रेसिव पॉइंट में महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है. एसोसिएशन के चेयरमैन महेश आर्या ने कहा कि इस बैठक में बढ़ाई गई दरों को वापस लेने की मांग शासन के सामने मजबूती से रखने की रणनीति तय की जाएगी. एसोसिएशन ने बिल्डर्स, चेंबर ऑफ कॉमर्स और सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे इस मुद्दे पर एकजुट होकर विरोध दर्ज कराएं, क्योंकि यह निर्णय पूरे व्यापार और आम जनता दोनों के हित में बड़ा नुकसान पहुंचाने वाला है. एसोसिएशन ने नई दरों का पुरजोर विरोध करते हुए कहा है कि इस फैसले से रियल एस्टेट उद्योग गहरे संकट में आ जाएगा. एसोसिएशन के चेयरमैन महेश आर्या का कहना है कि बढ़ी हुई दरों से जमीन खरीदना आम, गरीब, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के लिए लगभग असंभव हो जाएगा. कलेक्टर दरों में इतनी भारी वृद्धि से पूरा रियल एस्टेट बाजार प्रभावित होगा. जमीन के महंगे होने से मकान, प्लॉट, उद्योग और इंफ्रास्ट्रक्चर की लागत भी बढ़ जाएगी. इस फैसले के कारण व्यापार चौपट होने की स्थिति बन रही है.

आजीविका पर मंडरा रहा संकट एसोसिएशन ने इसे ‘शासन की गलत नीति’ बताते हुए कहा है कि रियल एस्टेट व्यवसाय से जुड़े हजारों व्यापारियों, कर्मचारियों, श्रमिकों और संबंधित उद्योगों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है.

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