हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर हाईकोर्ट में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर संचालित हो रहे 34 हॉस्पिटलों की दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान डॉक्टर माधव हसानी की ओर से 6 हफ्ते में जवाब देने का समय मांगा गया। लेकिन कोर्ट ने इस पर नाराज़गी जताते हुए कड़ी फटकार लगाई और 6 हफ्ते में जवाब मांगा है कि कैसे यह अस्पताल बिना दस्तावेजों के संचालित हो रहे हैं?

शिकायत के बाद भी विभाग ने नहीं की कार्रवाई

याचिकाकर्ता एडवोकेट चर्चित शास्त्री ने कोर्ट को बताया कि शहर में 34 अस्पताल फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चल रहे हैं।जिनकी शिकायतें पिछले 8 महीनों से लगातार स्वास्थ्य विभाग से की जा रही थीं। लेकिन विभाग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।

अस्पतालों का निरीक्षण कर खुद क्लीन चिट देते थे डॉक्टर हसानी

आरोप है कि डॉक्टर माधव हसानी अस्पताल संचालकों से मोटी रकम लेकर उन्हें बचा रहे थे, इसलिए फर्जी अस्पतालों पर कार्रवाई अटकाई जा रही थी। बताया गया कि डॉक्टर हसानी खुद अस्पतालों का निरीक्षण कर अगले ही दिन क्लीन चिट दे देते थे। हाईकोर्ट ने पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग को 6 हफ्ते में पूरी रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। अब विभाग 6 हफ्ते बाद अपनी रिपोर्ट कोर्ट में जमा करेगा और मामले की अगली सुनवाई जनवरी में तय की गई है। 

पहले भी विभागीय जांच में दोषी पाए गए हैं सीएमएचओ

इंदौर स्वास्थ्य विभाग कई महीनों से गंभीर आरोपों के घेरे में है और हाईकोर्ट की यह कड़ी टिप्पणी पूरे विभाग की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर रही है। इंदौर सीएमएचओ इसके पहले भी विभागीय जांच में दोषी पाए गए हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनका वेतन भी काटा गया था। इसके बावजूद उन्हें इंदौर सीएमएचओ बना दिया गया।

उठे कई गंभीर सवाल

कई बड़े डॉक्टर को नजरअंदाज क्यों किया गया? कहां बड़ा लेनदेन हुआ है? इस पर सवाल खड़े होते हैं। जब इस पूरे मामले में डॉक्टर माधव हसानी को फोन लगा कर जानकारी मांगी गई तो उन्होंने मैसेज लिखा कि वह अभी मीटिंग में हैं। इसके बाद उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। 

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