राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में मानव-भालू संघर्ष की घटनाएं प्रकाश में आ रही हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनसामान्य पर भालू के हमले की घटनाओं पर वन विभाग को तत्काल त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. इसी क्रम में वन मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा जनपद चमोली और उसके आसपास के क्षेत्रों में हाल के दिनों में भालू एवं गुलदार द्वारा किए जा रहे जानलेवा हमलों को लेकर आज वन विभाग के उच्चाधिकारियों से विस्तृत वार्तालाप किया गया. क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे मानव-वन्यजीव संघर्ष पर चर्चा करते हुए अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया कि आम जनता की जान-माल की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. सरकार इस गंभीर विषय को लेकर पूरी तरह संवेदनशील है और हालात पर लगातार निगरानी रखी जा रही है. वन मंत्री द्वारा वन विभाग को सतर्क किया गया कि आमजनमानस की सुरक्षा में किसी भी स्तर पर कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
हाल में हो रही मानव-भालू संघर्ष की तीव्रता एवं इसकी संवेदनशीलता के दृष्टिगत प्रमुख सचिव, वन एवं पर्यावरण के द्वारा वन विभाग के उच्चाधिकारियों से इस समस्या के निवारण के लिए की जा रही कार्रवाई की जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रमुख वन संरक्षक (HoFF) एवं प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीय/ मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के साथ भालू प्रभावित क्षेत्रों के समस्त प्रभागीय वनाधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. प्रमुख सचिव, वन एवं पर्यावरण के द्वारा बैठक में उपस्थित अधिकारियों विशेष रुप से प्रभागीय वनाधिकारियों को निर्देश दिये गए कि मुख्यमंत्री एवं वन मंत्री की अपेक्षा के अनुसार इस ज्वलंत समस्या को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए प्रभावी कार्रवाई की जाए तथा उसका सतत अनुश्रवण किया जाए.
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बैठक में प्रमुख वन संरक्षक (HoFF) द्वारा सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिे अतिरिक्त सतर्कता और सावधानी बरती जाए. वनाधिकारी आम जनमानस को आश्वस्त करें कि वन विभाग इस सम्बन्ध में संवेदनशील है एवं उनके द्वारा मानव-वन्यजीव संघर्ष के न्यूनीकरण के लिए सतत् प्रयास किए जा रहें हैं. प्रभाग स्तर पर जन जागरूकता कार्यक्रम/गोष्ठियो के माध्यम से स्थानीय लोगो से संवाद स्थापित किया जाए एवं उन्हे भालू एवं गुलदार से बचाव के लिए आवश्यक जानकारियां प्रदान की जाएं. प्रमुख वन संरक्षक, वन्यजीव एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक द्वारा निर्देश दिए गए कि वन्यजीवों की आबादी क्षेत्रों में आवाजाही ज्ञात करने के लिये प्रभाग स्तर पर उपलब्ध उपकरणों यथा कैमरा ट्रैप, ड्रोन, एनाइडर आदि का समुचित प्रयोग किया जाए. संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त बढ़ाई जाए, जिससे क्षेत्र में वन कर्मियों की उपस्थिति जन-मानस में परिलक्षित हो एवं उनमें विश्वास का भाव जागृत हो.
प्रमुख वन संरक्षक द्वारा प्रभागीय वनाधिकारियों को यह भी निर्देश दिए गए कि वन्यजीवों की आबादी क्षेत्र में आवाजाही की जानकारी विभाग को देने के लिए Intergrated हेल्पलाइन नंबर 1926 का प्रचार प्रसार किया जाए. उन्होंने कहा कि यदि दुर्भाग्यवश मानव क्षति की कोई घटना घटित होती है तो प्रभागीय वनाधिकारी अनिवार्य रूप से घटना स्थल पर जाए एवं प्रभावित परिवार से मिलकर उन्हें सांत्वना दें और नियमानुसार अनुग्रह राशि उपलब्ध कराए जाए. प्रमुख वन संरक्षक (HoFF) द्वारा बैठक में जानकारी दी गई कि मानव-वन्यजीव संघर्ष के न्यूनीकरण के लिये आवश्यक उपकरणों यथा ड्रोन, कैमरा ट्रैप इत्यादि क्रय किये जाने के लिए वन प्रभागों को 50 लाख की धनराशि तात्कालिक रूप से आवंटित की जा रही है.
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