रायपुर। धान खरीदी को लेकर गरमाई सियासत के बीच पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर करार कटाक्ष किया है. रमन सिंह ने भूपेश सरकार की ओर से दिया गया नारा ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ पर सवाल उठाते हुए कहा, कि अब यह नारा बदलकर ‘ठगबो छत्तीसगढ़ के किसान ल’ हो गया है.

रमन सिंह ने कहा भूपेश बघेल पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली जाने की बजाय बेहतर है किसानों की धान खरीदी की व्यवस्था सरकार करे. चुनाव से पहले जो वादा किसानों से किया गया था उसे पूरा करे. वादे के अनुसार 15 नवंबर से धान खरीदी की शुरुआत सरकार को करनी चाहिए, न कि दिल्ली में जाकर नौटंकी. दिल्ली जाने की अपेक्षा छत्तीसगढ़ के हालात है, जिस प्रकार किसान परेशान दिख रहा है. पूरे के पूरे छत्तीसगढ़ में धान कटाई, बिसाई का काम तेजी से प्रारम्भ हो गया है. उन्होंने कहा कि किसानों को दस सालों में खेत से सीधे सोसाइटी में ले जाने की आदत बन गई है. इससे अब कोठार की परंपरा भी खत्म हो गई है. अब एक नया असमंजस यह है कि धान खरीदी में एक महीने विलम्ब कर दिल्ली यात्रा का शौक यदि है तो दिल्ली जाए, इससे फर्क नहीं पड़ता, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि धान ख़रीदी में एक महीने वक़्त बढ़ाने से प्रदेश के किसानों में हाहाकारी मच गई है. किसान परेशान है. उन्हें ये अब समझ आ रहा है. कांग्रेस सरकार ने 2500 रुपये प्रति क्विटल की दर से धान खरीदी की बात कही थी, उस वक़्त क्या केंद्र से पूछा था? केंद्र की अपनी नीति है, क्रियान्वयन कैसे होगा.

उन्होंने कहा कि धान के समर्थन मूल्य को लेकर केंद्र सरकार की नीति पहले से ही साफ है. जब कांग्रेस ने गांव-गांव घूम कर घोषणा पत्र बांटा था, तब क्या उन्हें नहीं मालूम था कि केंद्र की क्या नीति है. उन्हें यह नहीं लगा कि केंद्र की नीति का अध्ययन कर लें. केंद्र के पास चावल का बफर स्टॉक है. रखने की जगह सरकार के पास नहीं है. छत्तीसगढ़ समेत देश भर में चावल का जरूरत से ज्यादा स्टॉक है. एक्सपोर्ट हो नहीं पा रहा है. केंद्र ने अपनी बातें स्पष्ट कर दी हैं. जब भूपेश सरकार ने घोषणा पत्र में वादा किया है तो अब उन्हें ही इसका रास्ता निकालना चाहिए. एक साल में सरकार की हवा निकल गई. हालत खराब हो गई है. अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए सरकार लोगों को कंफ्यूज कर रही है.

उन्होंने यह भी कहा कि भूपेश सरकार के काम करने के तरीके से शायद सोनिया गाँधी नराज हैं, इसलिए राज्योत्सव में नहीं आईं.राज्योत्सव में उनका नहीं आना यह बताता है कि सरकार के काम के तरीके से वह खुश नहीं हैं. सच्चाई ये है कि सरकार दिवालियापन की स्थिति में है. तनख्वाह देने की स्थिति भी सरकार की नहीं है. केवल भ्रम फैला रही है सरकार.