अमित पांडेय, सीधी। टाइगर रिजर्व क्षेत्र सीधी के पार्सली में गौर और हाथियों से संबंधित कार्यशाला हुई। कार्यशाला में पिछले वर्षों में लगभग आधा सैकड़ा से अधिक गौर आने के बाद उनकी वृद्धि, संरक्षण में क्या उपलब्धि एवं कमियों को बेहतर बनाने चर्चा हुई। कार्यशाला में देहरादून,चेन्नई, सहित अन्य प्रदेशों के वैज्ञानिक एक्सपर्ट शामिल हुए। वन विभाग के सीसीएफ, रिटायर्ड सीसीएफ अधिकारी, बांधवगढ़, पन्ना, जबलपुर, संजय टाइगर रिजर्व, अभ्यारण सहित सोन घड़ियाल के आला अधिकारी मौजूद रहे।
संख्या 60 से 70 तक पहुंच चुकी
विंध्य का सीधी जिला श्रृंखलाओं और वन की सुंदरता के लिए मशहूर है जहां 2 साल पहले 50 की संख्या में 700 किलोमीटर 20 घंटे का रास्ता तय कर सतपुड़ा के जंगल से गौर को सीधी लाया गया। यह गौर जानवर अपने आप में सुंदरता और भारी भरकम दिखने वाला वन्य जीव है। अब इनकी संख्या में भी वृद्धि हुई है। संख्या 60 से 70 तक पहुंच चुकी है।
सक्सेज स्टोरी के लिए एमपी लीड कर रहा
देहरादून से आए वैज्ञानिक पराग निगम की मानें तो यह कार्यशाला सक्सेज स्टोरी है जहां पहले 2011-12 में गौर बांधवगढ़ आए थे अब संजय टाइगर में भी आए गए है। 2006 से डिस्कस के बाद 2011 में शुरू हुआ। हम लोगों के लिए ये सक्सेज स्टोरी के लिए एमपी लीड कर रहा है। रिटायर्ड सीसीएफ जेएस चौहान ने संजय टाइगर रिजर्व को आने वाले समय में जिले के लिए अच्छा बताया। सीधी सीसीएफ अमित दुबे ने बताया कि दो दिवसीय कार्यशाला का विषय गौर और हाथी था। इसमें इनके संरक्षण के लिए क्या और प्रयास किया जा सकता है और आने वाले समय में कुछ और नवाचार किया जाए आदि विषयों पर चर्चा हुई।
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